बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, इलेक्शन कमीशन ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब EVM पर जो बैलेट पेपर होगा, उस पर उम्मीदवारों की फोटो बड़ी और रंगीन होगी। सरकार का कहना है कि इससे वोट डालने वालों को अपने उम्मीदवार को पहचानने में आसानी होगी। अक्सर ऐसा होता है कि एक ही नाम के कई उम्मीदवार खड़े हो जाते हैं या उनके चुनाव चिन्ह मिलते-जुलते होते हैं, जिससे लोगों को कन्फ्यूजन हो जाता है। इस नए नियम से वो कन्फ्यूजन भी कम होगा। जानकारों का मानना है कि ये एक अच्छा बदलाव है, लेकिन कुछ सवाल अभी भी हैं, जैसे कि क्या ये खर्चीला नहीं होगा, क्या सारे नियम एक जैसे रहेंगे, और क्या ये वाकई में सही है।
क्या है मामला?
बिहार में हर बार इलेक्शन के साथ वोट देने वालों की गिनती बढ़ती जा रही है, और अलग-अलग तरह के लोग वोट देने आते हैं। ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है कि हर वोटर अपने सही उम्मीदवार को पहचान सके। इलेक्शन कमीशन पहले से ही EVM पर उम्मीदवारों की फोटो देता है, लेकिन अब उन्हें बड़ा और रंगीन करने का फैसला किया है। सरकार को लगता है कि रंगीन फोटो से लोगों को सही उम्मीदवार पहचानने में आसानी होगी, खासकर उन इलाकों में जहां लोग कम पढ़े-लिखे हैं या जहां एक जैसे नाम वाले उम्मीदवार मैदान में हैं।
पहले क्या होता था?
पहले EVM पर उम्मीदवार का नाम, नंबर और उनकी पार्टी का निशान होता था। कुछ सालों से उम्मीदवारों की फोटो भी लगाई जाने लगी, ताकि नाम की वजह से होने वाले कन्फ्यूजन को कम किया जा सके। बिहार जैसे राज्य में, जहां गांवों में लोगों को चुनाव के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती और लोग कम पढ़े-लिखे होते हैं, फोटो एक बड़ी मदद साबित हुई है। 2020 के बिहार इलेक्शन में VVPAT का इस्तेमाल हुआ था, कोविड की वजह से ज्यादा पोलिंग बूथ बनाए गए थे, और लोगों को अच्छे से ट्रेनिंग भी दी गई थी। इससे इलेक्शन का सिस्टम और भी साफ-सुथरा हो गया था। अब रंगीन और बड़ी फोटो उसी दिशा में एक और कदम है, ताकि वोट डालते वक्त लोगों को कम से कम कन्फ्यूजन हो।
अभी क्या हो रहा है?
- सरकार के कदम: चुनाव कराने वाले अधिकारियों को कहा गया है कि उम्मीदवारों से अच्छी क्वालिटी की रंगीन फोटो लें, ताकि उन्हें EVM के बैलेट पेपर पर अच्छे से छापा जा सके।
- टेक्निकल नियम: ये तय किया जा रहा है कि बैलेट पेपर पर सभी फोटो का साइज एक जैसा हो, बैकग्राउंड सादा हो, और किसी भी तरह के प्रचार वाले कपड़े या निशान न हों। इससे पूरे राज्य में EVM पेपर एक जैसा दिखेगा।
- सबके लिए: ब्रेल वाली EVM मशीनें पहले की तरह ही रहेंगी। रंगीन फोटो का फायदा उन लोगों को ज्यादा होगा जो देख सकते हैं, खासकर बूढ़े लोगों को और कम पढ़े-लिखे लोगों को।
- खर्चा: रंगीन प्रिंटिंग का खर्चा कौन उठाएगा, ये जिलों के चुनाव ऑफिस देखेंगे। कमीशन का कहना है कि थोड़ा ज्यादा खर्चा होने के बावजूद, इससे लोगों को सही उम्मीदवार पहचानने में आसानी होगी और गलतियां कम होंगी।
- साफ-सफाई: VVPAT की पर्ची में अब भी उम्मीदवार का नाम और निशान ही दिखेगा। EVM पेपर पर रंगीन फोटो सिर्फ एक एक्स्ट्रा मदद है। इससे VVPAT की कानूनी वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होगा।
एक उदाहरण:
औरंगाबाद जिले में पिछले इलेक्शन में कुछ पोलिंग बूथ पर देखा गया कि जहां एक ही नाम के दो उम्मीदवार थे, वहां लोगों को समझने में दिक्कत हो रही थी। हालांकि, लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रोग्राम चलाए गए थे, फिर भी कुछ लोगों को वोट डालने से पहले पूछना पड़ रहा था। जिले के प्रशासन का मानना है कि बड़ी और रंगीन फोटो से ऐसे मामलों में कन्फ्यूजन कम होगा, खासकर गांवों में जहां बूढ़े लोग और पहली बार वोट डालने वाले ज्यादा होते हैं।
किसका क्या कहना है?
- सरकार: राज्य के चीफ इलेक्शन ऑफिसर का कहना है कि रंगीन फोटो एक अच्छा सुधार है। उनका ये भी कहना है कि ये लोगों को जागरूक करने के लिए चलाए जा रहे प्रोग्राम का ऑप्शन नहीं है, बल्कि ये उसमें मदद करेगा। नाम, निशान और फोटो, तीनों मिलकर सही उम्मीदवार को पहचानने में मदद करेंगे।
- एक्सपर्ट: चुनाव के जानकारों का कहना है कि ये एक अच्छा कदम है। उनके हिसाब से बैलेट पेपर ऐसा होना चाहिए कि वोटर बिना ज्यादा दिमाग लगाए सही ऑप्शन चुन सके। रंगीन फोटो से चेहरे को पहचानने में आसानी होती है, खासकर तब जब वोटर ने उम्मीदवार को पोस्टरों या सोशल मीडिया पर रंगीन रूप में देखा हो।
- सावधानी: एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि फोटो का रंग, प्रिंट की क्वालिटी और डिजाइन सब कुछ एक जैसा होना चाहिए। साथ ही, फोटो एकदम नई और हाई क्वालिटी की होनी चाहिए, ताकि फोटो फटने की वजह से कोई कन्फ्यूजन न हो।
लोगों की राय:
- गांव के लोग: गांव के ज्यादातर लोगों को लगता है कि रंगीन और बड़ी फोटो से उम्मीदवार को पहचानने में आसानी होगी।
- युवा: पहली बार वोट डालने वाले युवाओं को ये कदम पसंद आएगा।
- बूढ़े और कम पढ़े-लिखे लोग: इस तरह के लोगों के लिए फोटो एक बड़ी मदद साबित होगी। उन्हें नाम पढ़ने या निशान समझने में टाइम लगता है, लेकिन फोटो देखकर तुरंत पहचान जाते हैं।
- शहर के लोग: शहरों के लोगों को ये कदम अच्छा लग रहा है, लेकिन उनका कहना है कि पोलिंग बूथ पर और भी सुविधाएं होनी चाहिए, जैसे कि पीने का पानी और छांव।
क्या हैं दिक्कतें?
- खर्चा: रंगीन प्रिंटिंग का खर्चा और क्वालिटी बनाए रखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
- सही है या नहीं: कुछ लोगों का मानना है कि रंगीन फोटो से वोटर किसी खास उम्मीदवार को ज्यादा पसंद कर सकते हैं। इसलिए, फोटो के लिए नियम सख्त होने चाहिए।
- टेक्निकल गलतियां: प्रिंटिंग में गलती होने से बड़ी दिक्कत हो सकती है। इसलिए, हर चीज को अच्छे से चेक करना होगा।
- ट्रेनिंग:चुनाव कराने वाले लोगों को इस बदलाव के बारे में अच्छे से बताना होगा।
- सब कुछ एक जैसा: डिजाइन, फोटो का साइज और निशान की जगह, सब कुछ एक जैसा होना चाहिए।
आगे क्या हो सकता है?**
- नियम: फोटो लेने से लेकर प्रिंटिंग तक, हर चीज के लिए एक सख्त नियम होना चाहिए।
- जागरूकता: लोगों को जागरूक करने के लिए प्रोग्राम चलाए जाने चाहिए, ताकि उन्हें पता चले कि सही उम्मीदवार को कैसे पहचानना है।
- क्वालिटी: हर जिले में एक क्वालिटी सेल होनी चाहिए, जो प्रिंट की क्वालिटी चेक करे।
- शिकायत: अगर नाम या फोटो में कोई गलती हो, तो उसे तुरंत ठीक करने का सिस्टम होना चाहिए।
- सुविधाएं: रंगीन फोटो के साथ-साथ, विकलांग लोगों के लिए भी रैंप और व्हीलचेयर जैसी सुविधाएं होनी चाहिए।
आखिर में:
EVM पर बड़ी और रंगीन फोटो लगाने का फैसला एक अच्छा कदम है। इससे लोगों को कन्फ्यूजन कम होगा और वोट डालने में आसानी होगी। लेकिन, सरकार को खर्चा, क्वालिटी और नियमों का भी ध्यान रखना होगा। ये बदलाव तभी सफल होगा जब लोगों को वोट डालने में आसानी हो और सब कुछ साफ-सुथरा हो।


