भारतीय बाजार उछाल के साथ खुलने की उम्मीद, US-China टिकटॉक डील पर सकारात्मक संकेत
टिकटॉक को लेकर संभावित समझौते की खबरों से वैश्विक सेंटिमेंट सुधरा, प्री-ओपन में मजबूत शुरुआत के संकेत
आज भारतीय शेयर बाजार के हरे निशान में खुलने की उम्मीद है। अमेरिका और चीन के बीच टिकटॉक के कामकाज को लेकर जो बातचीत चल रही है, उसमें कुछ प्रगति हुई है। इससे टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है। अब अगर भारत की बात करें, तो यहां गिफ्ट निफ्टी कैसा प्रदर्शन करता है, रुपये की चाल कैसी रहती है, कच्चे तेल के दाम और विदेशी निवेशक (FII) क्या रुख अपनाते हैं, इन सब पर नजर रखनी होगी।
क्या-क्या हुआ?
दुनिया भर के बाजारों में निवेशकों का मूड थोड़ा बेहतर हुआ है और टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में खरीदारी देखने को मिली है।
अमेरिका और चीन के बीच टिकटॉक के डेटा और कामकाज को लेकर जो डील होने की उम्मीद है, उससे टेक्नोलॉजी सेक्टर को काफी सहारा मिला है।
गिफ्ट निफ्टी के शुरुआती संकेत अच्छे हैं, जिससे लग रहा है कि सेंसेक्स और निफ्टी में भी तेजी देखने को मिल सकती है।
भारत में आईटी, मीडिया, एंटरटेनमेंट, इंटरनेट, बैंकिंग और मिडकैप कंपनियों के शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है।
यह सब कब हुआ?
- यह सब 16 सितंबर 2025, मंगलवार को प्री-मार्केट ट्रेडिंग में देखने को मिला।
- अमेरिका और एशिया से जो खबरें आईं, उनका असर मुंबई के दलाल स्ट्रीट पर भी पड़ा।
- कच्चे तेल के दाम और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल ने भी बाजार के मूड को प्रभावित किया।
किसका क्या कहना है?
- बाजार के जानकारों का मानना है कि अगर टिकटॉक डील को लेकर चीजें साफ हो जाती हैं, तो बाजार में और भी तेजी आ सकती है।
- ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि आईटी और मीडिया सेक्टर में थोड़े समय के लिए शेयरों की खरीद-बिक्री बढ़ सकती है, जबकि बैंकिंग सेक्टर में गिरावट आने पर खरीदारी का मौका मिल सकता है।
- फंड मैनेजरों के मुताबिक, अगर डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है और कच्चे तेल के दाम स्थिर रहते हैं, तो विदेशी निवेशक और पैसा लगा सकते हैं।
क्या है मामला?
अमेरिका के अधिकारियों को टिकटॉक के डेटा की सुरक्षा को लेकर काफी समय से चिंता है। उन्होंने पहले भी डेटा को स्थानीय स्तर पर स्टोर करने, एल्गोरिदम में पारदर्शिता लाने और गवर्नेंस स्ट्रक्चर को सुधारने जैसे मुद्दे उठाए थे।
भारत में 2020 में शॉर्ट-वीडियो ऐप्स पर बैन लगने के बाद, टिकटॉक से जुड़े फैसले टेक्नोलॉजी सेक्टर के वैल्यूएशन और निवेशकों की भावनाओं पर असर डालते रहे हैं।
जब भी अमेरिका और चीन के बीच टेक्नोलॉजी को लेकर बातचीत में प्रगति होती है, तो दुनियाभर की टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में तेजी आती है। इसका असर भारत की आईटी, टेक्नोलॉजी और इंटरनेट से जुड़ी कंपनियों पर भी पड़ता है।
इसका क्या असर होगा?
सेक्टर के हिसाब से:
- आईटी/टेक: रिस्क लेने वाले निवेशकों की वजह से शुरुआत में तेजी आ सकती है।
- मीडिया और इंटरनेट: प्लेटफॉर्म से जुड़ी खबरों से बाजार में अच्छा माहौल बन सकता है।
- बैंकिंग/फाइनेंशियल: अगर बाजार में तेजी आती है, तो लोन ग्रोथ और वैल्यूएशन से इन सेक्टरों को फायदा हो सकता है।
- मेटल्स/ओईएम: चीन से जुड़ी खबरों से कमोडिटी मार्केट में स्थिरता आ सकती है।
- बड़े बदलाव: अगर रुपये के दाम स्थिर रहते हैं, कच्चे तेल के दाम कम होते हैं और दुनियाभर में ब्याज दरें घटती हैं, तो बाजार में तेजी बनी रह सकती है।
- मार्केट की चाल: मिड और स्मॉल कैप कंपनियों के कुछ शेयरों में तेजी आ सकती है, लेकिन ज्यादा वैल्यूएशन वाले शेयरों में मुनाफावसूली का जोखिम भी रहेगा।
- इन पर रहेगी नजर: गिफ्ट निफ्टी की चाल, डॉलर इंडेक्स, ब्रेंट क्रूड, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड, FII और DII का निवेश, और किसी भी तरह की घोषणा पर।
निष्कर्ष
प्री-ओपन संकेत अच्छे हैं और अमेरिका-चीन के बीच टिकटॉक को लेकर बातचीत में प्रगति की खबरों से बाजार में अच्छा माहौल है। लेकिन यह तेजी बनी रहेगी या नहीं, यह रुपये की चाल, कच्चे तेल के दाम, विदेशी निवेश और किसी भी तरह के आधिकारिक बयान पर निर्भर करेगा। जो लोग दिन में ट्रेडिंग करते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव पर ध्यान रखें और अलग-अलग सेक्टरों में निवेश करते रहें।

