डेनमार्क के एयरपोर्ट पर ड्रोन के हमले के बाद फ्लाइट्स रुक गईं. सरकार का कहना है कि ये सोची-समझी साज़िश है. इस घटना के बाद हवाई सुरक्षा, ड्रोन से बचने वाली तकनीक और ज़रूरी जगहों की सुरक्षा के बारे में बातें हो रही हैं.
पूरी खबर:
डेनमार्क के कई एयरपोर्ट पर कुछ अजीब ड्रोन देखे गए, जिसके चलते फ्लाइट्स को कुछ देर के लिए रोकना पड़ा. इससे लोगों को काफी परेशानी हुई. सरकार का कहना है कि ये सोची-समझी साज़िश है. अब जाँच करने वाले लोग ये पता लगाने में लगे हैं कि ड्रोन कहाँ से आए, कौन इन्हें उड़ा रहा था, और उनका मकसद क्या था. इस घटना ने ये दिखा दिया है कि ज़रूरी जगहों पर खतरे बढ़ रहे हैं और हवाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए ड्रोन से बचने वाली तकनीक कितनी ज़रूरी है.
कुछ जानकारों का कहना है कि ड्रोन को ट्रैक करने वाले सिस्टम, जियोफेंसिंग (एक तरह की वर्चुअल बाउंड्री) और उन्हें रोकने वाले सिस्टम लगाने चाहिए. साथ ही, कानून को भी और सख्त करना चाहिए ताकि आगे से ऐसी घटनाएं न हों. एयरपोर्ट को भी हमेशा तैयार रहना चाहिए कि अगर कुछ गड़बड़ हो तो क्या करना है. अलग-अलग एजेंसियों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि लोगों को सुरक्षित रखा जा सके और फ्लाइट्स समय पर चलें. यूरोप में जो राजनीतिक माहौल चल रहा है, उसे देखते हुए अब साइबर हमलों का खतरा और भी बढ़ गया है, इसलिए और भी सावधानी बरतनी होगी.
आगे क्या होगा:
उम्मीद है कि जल्द ही जाँच पूरी हो जाएगी और सुरक्षा को और भी बेहतर बनाने के लिए नए नियम बनाए जाएंगे.
