मनोज बाजपेयी की ' इंस्पेक्टर जेंडे' Netflix पर है? जानें क्राइम-कॉमेडी का असर!

इंस्पेक्टर ज़ेंडे Netflix पर रिलीज़ हुई एक हिंदी कॉमेडी-क्राइम फिल्म है, जिसमें मनोज बाजपेयी ने सच्ची घटनाओं से प्रेरित इंस्पेक्टर मधुकर ज़ेंडे की भूमिका निभाई है। जिम सर्भ का स्टाइलिश कार्ल भोजराज और चिन्मय मांडलेकर का हल्का-फुल्का निर्देशन 70-80 के दशक के मुंबई की यादों में एक बिल्ली और चूहे का खेल बनाते हैं। मजबूत परफॉर्मेंस और रेट्रो वाइब्स इसे देखने लायक बनाते हैं, हालांकि दूसरे भाग में कहानी की गति थोड़ी धीमी है। क्या यह फिल्म क्राइम पसंद करने वालों के लिए देखने लायक है? हमारा रिव्यू पढ़ें।

परिचय

इंस्पेक्टर ज़ेंडे एक हिंदी कॉमेडी-क्राइम फिल्म है जो सीधे Netflix पर आई है। इसे चिन्मय मांडलेकर ने निर्देशित किया है। फिल्म में मनोज बाजपेयी, जिम सर्भ, सचिन खेडेकर और गिरिजा ओक जैसे कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। 5 सितंबर, 2025 को रिलीज़ हुई यह फिल्‍म, कुछ सच्ची घटनाओं से प्रेरित है, और इसमें एक बिल्ली और चूहे का खेल दिखाया गया है।
इस प्रोजेक्‍ट को जय शेवाकरमानी (नॉर्दर्न लाइट्स फिल्म्स) और ओम राउत (रेट्रोफाइल्स) जैसे प्रोडक्‍शन हाउसों का समर्थन मिला है, जिनका उल्‍लेख आधिकारिक पोस्‍टर्स और क्रेडिट में किया गया है।

कहानी

कहानी 1970 और 1980 के दशक के मुंबई की पृष्ठभूमि पर आधारित है। फिल्म में, एक खूंखार अपराधी, कार्ल भोजराज जेल से भाग जाता है। इंस्पेक्टर मधुकर ज़ेंडे को उसे फिर से पकड़ने का जिम्मा सौंपा जाता है। यह कहानी इंस्पेक्टर मधुकर ज़ेंडे के जीवन से प्रेरित है, जिन्‍होंने वास्‍तव में चार्ल्स शोभराज को दो बार पकड़ा था। हालांकि, फिल्म इसे हल्के-फुल्के और पुरानी यादों भरे अंदाज में दिखाती है। कहानी में लगातार पीछा करने का सिलसिला चलता रहता है, जिसमें हास्य और रोमांच का मिश्रण है। हम कहानी के बारे में ज्‍यादा खुलासा नहीं करेंगे ताकि आपका मजा किरकिरा न हो।

अभिनय

मनोज बाजपेयी ने इंस्पेक्टर ज़ेंडे की भूमिका को बहुत ही स्वाभाविक तरीके से निभाया है। उन्होंने ज़ेंडे को एक ज़िम्मेदार, समझदार और थोड़े मजाकिया इंसान के तौर पर दिखाया है। जिम सर्भ कार्ल भोजराज के किरदार में शानदार लगे हैं। उनका किरदार स्टाइलिश, चालाक और खतरनाक है, जो कार्ल भोजराज के करिश्माई और मानसिक रूप से पेचीदा व्यक्तित्व को पर्दे पर लाता है। सचिन खेडेकर, गिरिजा ओक, भालचंद्र (भाऊ) कदम और हरीश दुधाडे जैसे सहायक कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है, जिससे कहानी और भी सशक्त हो गई है।

निर्देशन और पटकथा

निर्देशक चिन्मय मांडलेकर ने कॉमेडी और अपराध को मिलाकर एक खास अंदाज अपनाया है। उन्होंने फिल्म के टोन को हल्का रखा है, लेकिन अपराध की गंभीरता को भी कम नहीं होने दिया। स्क्रीनप्ले एक क्लासिक नेवला बनाम सांप की तरह है, जिसमें पुरानी यादों, मज़ाक और जांच-पड़ताल को एक सरल और समझदारी से दिखाया गया है। हालांकि, कुछ लोगों को लग सकता है कि फिल्म का दूसरा भाग थोड़ा धीमा है और कहानी में आगे क्या होने वाला है, इसका अंदाज़ा लगाना आसान है, जिससे रोमांच थोड़ा कम हो सकता है।

संगीत और तकनीकी पहलू

फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर और गाने 80 के दशक के बॉलीवुड संगीत को श्रद्धांजलि देते हैं। कई चेज़ सीक्वेंस (पीछा करने वाले दृश्य) पुराने ज़माने के संगीत से प्रेरित हैं, जो दृश्यों में ऊर्जा भर देते हैं। विशाल सिन्हा की सिनेमैटोग्राफी भी कमाल की है। उन्होंने उस दौर के मुंबई को, लोकेशन को और पीछा करने वाले दृश्यों को बहुत ही सुंदर और वास्तविक तरीके से कैमरे में कैद किया है। साउंड डिज़ाइन (अनिरबान सेनगुप्ता) और प्रोडक्शन डिज़ाइन (राजेश चौधरी) ने मिलकर फिल्म के वातावरण को विश्वसनीय बनाने में मदद की है। एडिटिंग ज्यादातर क्रिस्प है, लेकिन कुछ जगहों पर थोड़ी ढीली लग सकती है।

खास बातें और कमजोरियां

फिल्म में मनोज बाजपेयी और जिम सर्भ जैसे कलाकारों का शानदार अभिनय 80 के दशक की यादें, और हल्का-फुल्का लेकिन सम्मानजनक अंदाज इसे खास बनाते हैं। दूसरी ओर, कहानी की गति कहीं तेज तो कहीं धीमी लगती है, और कुछ घटनाएं ऐसी हैं जिनका पहले से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है, जिससे फिल्म का रोमांच थोड़ा कम हो जाता है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, इंस्पेक्टर ज़ेंडे एक ऐसी फिल्म है जिसे देखा जा सकता है। यह एक्टिंग और पुरानी यादों पर आधारित क्राइम-कॉमेडी है, जो एक सच्ची कहानी को मनोरंजक तरीके से पेश करती है। यह फिल्म उन दर्शकों को ज़्यादा पसंद आएगी जो अपराध की कहानियों में हंसी-मजाक और पुराने मुंबई का माहौल देखना चाहते हैं। हालांकि, जो लोग एकदम कसा हुआ और रोमांच से भरपूर थ्रिलर देखना चाहते हैं, उन्हें यह फिल्म थोड़ी कमज़ोर लग सकती है।

रेटिंग: 

3.5/5 ⭐ - मजबूत अभिनय और अनोखे अंदाज के लिए, हालांकि कुछ जगहों पर फिल्म की गति थोड़ी धीमी है।




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