महिला आरक्षण कानून: क्या सुप्रीम कोर्ट समय-सीमा बदलेगा? 2029 से पहले लागू करने की मांग

महिला आरक्षण एक्ट को लागू करने की समय-सीमा को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अब सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस कानून को 2029 से पहले लागू किया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि अगर ऐसा होता है, तो लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तेजी से बढ़ेगा।

क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट में कुछ अर्जियां दाखिल की गई हैं जिनमें महिला आरक्षण कानून को लागू करने की समय-सीमा पर सवाल उठाए गए हैं। इन याचिकाओं में कहा गया है कि कानून को 2029 तक लागू करने का कोई मतलब नहीं है, इसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस कानून का मकसद महिलाओं को राजनीतिक रूप से मजबूत करना है और अगर इसे जल्दी लागू किया जाता है तो देश की राजनीति में जल्द ही बदलाव देखने को मिलेगा। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा और उम्मीद है कि केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा जाएगा ताकि समय-सीमा और लागू करने के तरीके पर स्पष्टता आ सके।

कानून की पृष्ठभूमि

महिला आरक्षण कानून को एक ऐतिहासिक फैसला माना गया था। इस कानून में महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33% सीटें देने की बात कही गई है। इसका मकसद राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। लेकिन, इस कानून को लागू करने में कुछ दिक्कतें हैं। इसमें डिलिमिटेशन (क्षेत्रों का फिर से निर्धारण) और जनगणना जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं, जिसकी वजह से इसकी समय-सीमा पर बहस हो रही है। कुछ जानकारों का मानना है कि अगर समय-सीमा में थोड़ी छूट दी जाती है, तो राज्य विधानसभाओं और लोकसभा में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। वहीं, अगर समय-सीमा सख्त रखी जाती है, तो इसका फायदा मिलने में देरी होगी। विपक्षी पार्टियों और कई सामाजिक संगठनों ने भी सरकार से यह मांग की है कि इस कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाए ताकि राजनीतिक दल टिकट बंटवारे और नेतृत्व के विकास में बदलाव ला सकें।

सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीदें हैं?

कानून के जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में संवैधानिक सिद्धांतों और संसद की मंशा को ध्यान में रखते हुए फैसला लेगा। कोर्ट यह देखेगा कि कानून को कैसे लागू किया जा सकता है ताकि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर सकें। सुप्रीम कोर्ट की शुरुआती टिप्पणियों और सरकार की बातों से पता चलेगा कि क्या इस कानून को 2029 से पहले लागू किया जा सकता है या नहीं।

आगे क्या होगा?

आने वाले हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से यह तय होगा कि इस मुद्दे पर क्या फैसला होता है। राजनीतिक पार्टियां भी इसी के अनुसार अपनी रणनीति बनाएंगी।


महिला आरक्षण कानून की समय-सीमा पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। याचिकाकर्ताओं ने 2029 से पहले लागू करने की मांग की है ताकि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ सके। कोर्ट के निर्देशों से पता चलेगा कि कानून को कब तक लागू किया जा सकता है और राजनीतिक दलों की रणनीति क्या होगी।

Raviopedia

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