भारत में मुँह के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जिसमें तंबाकू और गुटखा जैसे उत्पादों का बड़ा हाथ है। डॉक्टर लोगों को समय पर जाँच करवाने, ग़लतफ़हमियों से बचने और स्क्रीनिंग करवाने की सलाह दे रहे हैं, ताकि बीमारी का जल्दी पता चल सके और इलाज हो सके।
मुँह का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही समय पर पता चलने और इलाज कराने से इसे ठीक किया जा सकता है। इसलिए, लोगों को जागरूक करने और ज़रूरी कदम उठाने की ज़रूरत है।
मुख्य खबर:
- देश में मुँह के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, और इस बात को लेकर डॉक्टरों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि तंबाकू, गुटखा, खैनी और पान-मसाले जैसे उत्पादों के इस्तेमाल से यह बीमारी ज़्यादा हो रही है।
- जानकारों के मुताबिक, युवाओं और बुज़ुर्गों में इन चीज़ों का सेवन करने की आदत बढ़ रही है, जिससे मरीज़ों की संख्या में भी इज़ाफ़ा हो रहा है। इसलिए, लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की ज़रूरत है। समय रहते जाँच कराने और मुँह में छाले, दर्द या सूजन जैसे लक्षणों को पहचानने से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है और लोगों की जान बचाई जा सकती है।
- डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि कुछ लोग सोचते हैं कि अगर दर्द नहीं है तो कोई ख़तरा नहीं है, लेकिन यह सच नहीं है। इस ग़लतफ़हमी की वजह से मरीज़ देर से अस्पताल पहुँचते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है और ख़र्च भी बढ़ जाता है।
- मुँह के कैंसर से बचने के लिए तंबाकू छोड़ना, हर साल दाँतों की जाँच करवाना और ख़तरे वाले समूहों में स्क्रीनिंग करवाना ज़रूरी है। इसके लिए सरकार को लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने चाहिए। खाने में फल और सब्ज़ियाँ शामिल करना और मुँह की सफ़ाई रखना भी बीमारी से बचने में मदद करता है।
आगे की राह:
उम्मीद है कि स्वास्थ्य विभाग स्कूलों, दफ्तरों और सामुदायिक केंद्रों में लोगों को जागरूक करने और स्क्रीनिंग करवाने के लिए कार्यक्रम चलाएगा, ताकि बीमारी का जल्दी पता चल सके और मरीज़ों का इलाज हो सके।
