अमित शाह: 2026 से एफआईआर तीन साल में निपटेंगी, प्रणालीगत सुधार की घोषणा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 2026 से आपराधिक न्याय व्यवस्था में जो बदलाव किए जा रहे हैं, उसके तहत एफआईआर को निपटाने के लिए तीन साल की समय सीमा तय की जाएगी। इस कदम से लंबी तारीखों की समस्या खत्म होगी और पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सकेगा।

मुख्य खबर

  • भारत में न्याय मिलने में होने वाली देरी को लेकर कई बार सवाल उठाए गए हैं। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि 2026 से एफआईआर को निपटाने के लिए तीन साल की समय सीमा तय की जा रही है। उनका कहना है कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है। यह घोषणा भारतीय दंड प्रक्रिया में किए जा रहे बदलावों का एक हिस्सा है। इसका मकसद तारीख पर तारीख की पुरानी समस्या को खत्म करना है, ताकि मामलों की सुनवाई समय पर हो सके।
  • इंडियन एक्सप्रेस के 4 अक्टूबर 2025 के न्यूज़ आर्काइव के मुताबिक, यह बयान न्याय व्यवस्था में सुधार, डिजिटल केस-मैनेजमेंट और जवाबदेही से जुड़ा हुआ है। सरकार का कहना है कि जांच, अभियोजन और सुनवाई के लिए समय सीमा तय करने से पुलिस और न्यायालयों के बीच बेहतर तालमेल होगा। इससे पेंडिंग मामलों की संख्या भी कम होगी।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि समय सीमा तय करने के साथ-साथ केस लोड के हिसाब से जजों, अभियोजकों और फॉरेंसिक जांच करने वालों की संख्या भी बढ़ानी होगी। तभी इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।
  • आर्काइव में यह भी बताया गया है कि सरकार आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और नागरिक सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। इससे राज्यों की पुलिस और अभियोजन शाखाओं को भी मदद मिलेगी। वे स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) और तकनीकी प्लेटफॉर्म अपना सकेंगे। इससे डेटा को ट्रैक करने और केस की निगरानी करने में आसानी होगी और पारदर्शिता भी आएगी।
  • उम्मीद है कि एफआईआर को निपटाने के लिए समय सीमा तय करने से पीड़ितों को जल्दी न्याय मिल सकेगा। हालांकि, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जांच ठीक से होनी चाहिए और कानूनी मदद भी मिलनी चाहिए।

आगे की राह

सरकार 2026 से पहले कुछ नियम और डिजिटल ट्रैकिंग स्टैंडर्ड जारी कर सकती है, ताकि राज्यों को तैयारी के लिए समय मिल जाए। इसे ठीक से लागू करने के लिए मानव संसाधन, फॉरेंसिक जांच और ई-कोर्ट को आपस में जोड़ना होगा। इसके लिए कुछ निवेश भी करना होगा।

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