विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी के साथ एक संयुक्त बयान में अफ़ग़ानिस्तान को निकट का पड़ोसी बताया। पाकिस्तान को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर एक अप्रत्यक्ष संदेश भेजा गया और आतंकवाद के प्रति एक कठोर रवैया फिर से दोहराया गया।
मुख्य ख़बर:
भारत और तालिबान के बीच हुई हालिया वार्ता में, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इस बयान में अफ़ग़ानिस्तान को भारत का निकट का पड़ोसी बताया गया, जो क्षेत्रीय वास्तविकताओं पर ज़ोर देता है।
मुत्तक़ी ने कहा कि पिछले चार सालों में अफ़ग़ानिस्तान से सभी आतंकवादी गुटों को ख़त्म कर दिया गया है। उन्होंने पाकिस्तान को भी शांति का रास्ता अपनाने की सलाह दी।
इस मंच का इस्तेमाल करते हुए, भारत ने पाकिस्तान के अवैध रूप से कब्ज़ा किए गए कश्मीर (पीओके) पर भी कड़ी चेतावनी दी। इस मुद्दे को क्षेत्रीय स्थिरता से सीधे तौर पर जोड़ा गया।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब सीमा पार आतंकवाद और क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के बारे में नई सोच के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, सुरक्षा चिंताएँ और मानवीय मुद्दे अभी भी दुनिया भर में बहस का विषय हैं।
रणनीतिक रूप से, भारत अफ़ग़ानिस्तान के साथ एक व्यावहारिक रिश्ता रखने, मानवीय सहायता प्रदान करने और आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस कूटनीतिक चरण में, संदेशों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है, जिसमें शब्दों का चयन और साझा हितों को प्राथमिकता देना शामिल है।
असर और विश्लेषण:
इस वार्ता से दक्षिण एशिया में सहयोग और प्रतिस्पर्धा के नए रास्ते खुल सकते हैं, ख़ासकर जब अफ़ग़ानिस्तान के भीतर स्थिरता और पड़ोसी देशों की सुरक्षा चिंताएँ आपस में जुड़ी हुई हैं। पाकिस्तान के लिए, यह संदेश घरेलू और क्षेत्रीय नीतियों में बदलाव लाने का दबाव बना सकता है। वहीं, भारत के लिए संपर्क परियोजनाओं और मानवीय सहायता चैनलों को फिर से संतुलित करने का अवसर मिल सकता है।
आगे की राह:
आने वाले हफ़्तों में, मानवीय सहायता, छात्र वीज़ा और सीमित व्यापार को फिर से शुरू करने जैसे क्षेत्रों में ठोस प्रगति देखने को मिल सकती है, बशर्ते सुरक्षा गारंटी और निगरानी तंत्र पर सहमति बन जाए।
