बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं, और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान अब सुलझती दिख रही है। इसी सिलसिले में गृह मंत्री अमित शाह 16 से 18 अक्टूबर तक बिहार के दौरे पर हैं। दूसरी तरफ, महागठबंधन और अन्य पार्टियाँ भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट, नामांकन और रैलियों के साथ मैदान में डटी हुई हैं।
बिहार में 2025 के चुनाव की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। खबर है कि NDA में सीटों को लेकर सहमति बन गई है। इसी सिलसिले में गृह मंत्री अमित शाह आज से तीन दिन के लिए बिहार दौरे पर हैं। वे यहाँ मीटिंग करेंगे, रणनीति पर बात करेंगे और उन सीटों पर ध्यान देंगे जहाँ पार्टी कमजोर है।
उधर, महागठबंधन में भी पार्टियाँ अपने उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिह्न तेज़ी से बाँट रही हैं। इससे कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार दिख रहे हैं। आज कई बड़े नेताओं के नामांकन और सभाएँ हैं। इससे पता चलता है कि पार्टियाँ ज़मीनी स्तर पर प्रचार और बूथ मैनेजमेंट को लेकर कितनी गंभीर हैं।
चुनाव के गणित के हिसाब से देखें तो सामाजिक समीकरण, संगठन की ताकत और गठबंधन में तालमेल बहुत ज़रूरी होंगे। टिकट देते समय स्थानीय लोगों की पसंद, जीतने का पिछला रिकॉर्ड और अलग-अलग जातियों और क्षेत्रों को ध्यान में रखा जाना ज़रूरी है।
लोगों को सुविधा हो और त्योहार भी ठीक से मन सकें, इसके लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं और प्रशासन तैयारी कर रहा है। इससे पता चलता है कि सरकार यातायात और भीड़ को संभालने के लिए कितनी सजग है। बड़े नेताओं की रैलियाँ, सोशल मीडिया पर प्रचार और स्थानीय मुद्दों को उठाने से राज्य में बातचीत और ध्रुवीकरण दोनों ही चीज़ें तेज़ हो रही हैं।
आगे क्या होगा?
आने वाले हफ्तों में उम्मीदवारों की आखिरी लिस्ट, घोषणापत्र और ज़िलेवार प्रचार की योजना के साथ चुनाव प्रचार और तेज़ हो जाएगा। सभी की निगाहें गठबंधन में तालमेल और बागी नेताओं पर टिकी रहेंगी।
