गाजा में युद्धविराम बरकरार, शर्म अल-शेख में शांति समझौता; ट्रंप और सिसी करेंगे अगुवाई

गाजा में दो साल से चल रहा युद्ध खत्म हो गया है और युद्धविराम जारी है। हालाँकि, कई अहम सवाल अभी भी बने हुए हैं जिनके जवाब नहीं मिले हैं। वहीं, हमास कुछ शर्तों से सहमत नहीं है जिसकी वजह से वह समारोह में हिस्सा नहीं लेगा। सोमवार को मिस्र के शर्म अल-शेख में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी शांति समझौते पर हस्ताक्षर समारोह की अध्यक्षता करेंगे।

मुख्य खबर:

गाजा में युद्धविराम बना हुआ है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी की अगुवाई में मिस्र के शर्म अल-शेख में सोमवार को होने वाले शांति समझौते और बंधक सौदे पर हस्ताक्षर करने की तैयारी ज़ोरों पर है। हमास ने हथियार छोड़ने की शर्तों पर ऐतराज़ जताया है जिसके चलते उसने औपचारिक समारोह में शामिल न होने का फैसला किया है। इससे समझौते के लंबे समय तक बने रहने और सुरक्षा व्यवस्था पर संदेह बना हुआ है।

युद्धविराम के बावजूद कुछ मुद्दे हैं जिन पर अभी स्पष्टता की ज़रूरत है, जैसे कि लोगों को फिर से बसाना, सीमा पर नियंत्रण, सुरक्षा की गारंटी और फिर से निर्माण की योजना। माना जा रहा है कि इन मुद्दों पर अगली बातचीत निर्णायक होगी। क्षेत्रीय शांति, बंधकों की रिहाई और सीमा पार लोगों की आवाजाही से जुड़े प्रावधानों पर सहमति की कितनी गुंजाइश है, इसी से पता चलेगा कि शांति कितनी स्थायी है। औपचारिक हस्ताक्षर से पहले कूटनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं।

दूसरी तरफ, अमेरिका में एक अलग घटनाक्रम में राष्ट्रपति ट्रंप ने सरकारी कामकाज ठप होने के बावजूद अमेरिकी सैनिकों को वेतन देने का आदेश दिया है। इसे देश के अंदर स्थिरता और सैनिकों के मनोबल को बनाए रखने के लिए एक ज़रूरी कदम माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बताता है कि देश में आर्थिक मुश्किलों के बावजूद सुरक्षा और रक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। इसका असर सहयोगी देशों के साथ बातचीत में भी दिख सकता है।

निष्कर्ष

शर्म अल-शेख में समारोह होने के बाद असली चुनौती शर्तों को लागू करने, निगरानी रखने और सभी पक्षों की राजनीतिक इच्छाशक्ति को बनाए रखने में है। हमास की गैरमौजूदगी से पता चलता है कि आने वाले समय में मुश्किलें बढ़ सकती हैं और बातचीत की ज़रूरत बनी रहेगी। आने वाले समय में इस क्षेत्र में काफी राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है, क्योंकि कई गुट अपने फायदे के लिए सत्ता हासिल करने की कोशिश करेंगे। शांति समझौते को सफल बनाने के लिए इन चुनौतियों का सामना करना बेहद ज़रूरी होगा। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए लगातार कोशिश करते रहने की ज़रूरत होगी ताकि सभी लोग सुरक्षित और समृद्ध जीवन जी सकें।





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