कांतारा: अ लीजेंड – चैप्टर 1 एक शानदार फ़िल्म है जो हमारी पुरानी कहानियों, आस्था और प्रकृति के साथ सत्ता के संघर्ष को दिखाती है। फ़िल्म का कैनवास बहुत बड़ा है और इसे प्रभावशाली ढंग से पेश किया गया है, हालाँकि शुरुआत में थोड़ी धीमी और क्लाइमेक्स में थोड़ी कमज़ोर लगती है, लेकिन कुल मिलाकर यह एक यादगार और देखने लायक अनुभव है।
परिचय
फ़िल्म का नाम कांतारा: अ लीजेंड – चैप्टर 1 है, जिसे कांतारा: चैप्टर 1 के नाम से भी जाना जाता है। यह 2 अक्टूबर 2025 को दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई। इसे IMAX, 4DX, D-Box, ICE और Dolby Cinema जैसे आधुनिक फ़ॉर्मेट में भी दिखाया गया। फ़िल्म के लेखक और निर्देशक रिषभ शेट्टी हैं, और इसे होम्बले फ़िल्म्स के विजय किर्गंदूर और चालुवे गौड़ा ने बनाया है।
फ़िल्म में रिषभ शेट्टी के अलावा जयराम, रुक्मिणी वसंथ और गुलशन देवैया भी हैं, जिन्हें फ़िल्म के प्रचार में और क्रेडिट में प्रमुखता से दिखाया गया है। यह 2022 में आई फ़िल्म कांतारा का प्रीक्वल है। यह फ़िल्म पौराणिक, लोककथाओं, एक्शन और ड्रामा का मिश्रण है, जो इतिहास और मिथकों को जोड़कर दर्शकों को एक नया अनुभव कराती है।
कहानी
यह कहानी पुराने कर्नाटक के कदंब वंश के समय की है। यह भूत कोला नाम की परंपरा की शुरुआत और जंगल में रहने वाले लोगों के संघर्ष को दिखाती है। कहानी में 'बर्मे' नाम का एक नायक है, जो भगवान की सुरक्षा और राजा के लालच के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है।
कहानी में लोक आस्था, सत्ता, ज़मीन और प्रकृति के आपसी रिश्तों को दिखाया गया है। यह बताती है कि कैसे ये सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। यह फ़िल्म कांतारा की पिछली कहानी को भी आगे बढ़ाती है।
फ़िल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी है, और क्लाइमेक्स में थोड़ी कमी महसूस होती है। लेकिन दूसरे भाग में कहानी और भी ज़्यादा बड़ी और रोमांचक हो जाती है।
कलाकार
फ़िल्म में रिषभ शेट्टी ने बहुत ही शानदार अभिनय किया है, और ऐसा लगता है कि उनका फ़िल्म पर पूरा नियंत्रण है। जयराम, रुक्मिणी वसंथ और गुलशन देवैया जैसे कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है और अपने किरदारों को विश्वसनीय बनाया है।
निर्देशन और पटकथा
रिषभ शेट्टी ने लेखक और निर्देशक दोनों के रूप में फ़िल्म पर अपनी पकड़ बनाए रखी है। उन्होंने अपने सह-लेखकों (अनिरुद्ध माहेश, शनिल/शनील गुरु) के साथ मिलकर कहानी को आगे बढ़ाया है। फ़िल्म की कहानी में मिथक, इतिहास और लोक परंपराओं को जोड़ा गया है। हालाँकि, कुछ लोगों को फ़िल्म की संरचना में थोड़ा असंतुलन और क्लाइमेक्स में थोड़ी भविष्यवाणी महसूस हुई। फ़िल्म के डायलॉग और कहानी कहने का तरीका आस्था, समुदाय और सत्ता के संघर्ष को दिखाते हैं, जिससे कांतारा की कहानी और भी ज़्यादा मज़बूत लगती है।
संगीत और तकनीकी पक्ष
बी. अजनिश लोकनाथ का संगीत फ़िल्म के माहौल को और भी ज़्यादा आध्यात्मिक बनाता है, और दृश्यों के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है। अरविंद काश्यप की सिनेमैटोग्राफी और सुरेश संकलन की एडिटिंग बड़े दृश्यों, युद्ध के दृश्यों और बनावट को अच्छी तरह से दिखाती है। फ़िल्म को IMAX/4DX/D-Box/ICE/Dolby Cinema जैसे फ़ॉर्मेट में रिलीज़ किया गया है, और होम्बले फ़िल्म्स ने इसे बहुत ही अच्छी तरह से बनाया है, जिससे यह एक शानदार अनुभव बन जाती है।
खास बातें और कमज़ोरियाँ
फ़िल्म की सबसे अच्छी बातें हैं इसकी असली जैसी लगने वाली दुनिया, रिषभ शेट्टी का शानदार अभिनय, शक्तिशाली दृश्य और लोक आस्था को दिखाने का तरीका। कुछ लोगों को फ़िल्म की शुरुआत में गति थोड़ी धीमी लगी, और क्लाइमेक्स भी उतना दमदार नहीं लगा। लेकिन कुल मिलाकर, फ़िल्म इतिहास और मिथकों का एक अच्छा मिश्रण है, और यह दर्शकों को बहुत पसंद आएगी।
निष्कर्ष और वर्डिक्ट
कुल मिलाकर, कांतारा: अ लीजेंड – चैप्टर 1 एक मज़बूत, देखने में शानदार और लोककथाओं से भरी हुई फ़िल्म है। यह अपनी कहानी और तकनीकी कौशल से दर्शकों को एक अच्छा अनुभव कराती है। यह फ़िल्म उन लोगों को बहुत पसंद आएगी जो लोककथाओं, मिथकों और बड़े पैमाने पर बनी कहानियों को पसंद करते हैं। हालाँकि, जो लोग तेज़ गति वाली कहानियाँ पसंद करते हैं, उन्हें फ़िल्म की गति थोड़ी धीमी लग सकती है।
रेटिंग:
3.5/5 ⭐, फ़िल्म में कुछ अच्छी और कुछ कमज़ोर बातें हैं, लेकिन फिर भी यह देखने लायक है।


