प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVKY) में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। पता चला है कि कई ट्रेनी गायब थे, कागज़ात फर्जी थे, और कुछ सेंटर तो थे ही नहीं! 2015 में शुरू हुई इस योजना में जून 2025 तक 1.64 करोड़ से ज़्यादा युवाओं को ट्रेनिंग देने का दावा किया गया था। इस साल के लिए ₹1,538 करोड़ भी दिए गए, पर अब निगरानी और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं।
मुख्य खबर:
हाल ही में हुई एक जांच में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) की पोल खुल गई है। पता चला है कि कई स्टूडेंट बिना क्लास आए ही रजिस्टर हो गए, कागज़ों में झोल है, और कई ट्रेनिंग सेंटर तो बस कागज़ों पर ही चल रहे हैं। सरकार ने ये योजना 2015 में शुरू की थी, ताकि युवाओं को ट्रेनिंग देकर नौकरी के काबिल बनाया जा सके। दावा किया गया था कि जून 2025 तक 1.64 करोड़ से ज़्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दी जा चुकी है, और इस साल के लिए ₹1,538 करोड़ का बजट भी रखा गया था।
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि रजिस्ट्रेशन, अटेंडेंस, टेस्ट और सर्टिफिकेट देने में भी गड़बड़ियां हैं। इससे ये पता लगाना मुश्किल है कि कितने लोगों को सही में नौकरी मिली। कई सेंटरों के पते गलत पाए गए, और कुछ तो चल ही नहीं रहे थे। इससे पता चलता है कि सरकार की निगरानी में कमी है, और प्राइवेट कंपनियों से ऑडिट कराने की ज़रूरत है।
इस योजना का मकसद युवाओं को नौकरी के लिए तैयार करना था, पर इन गड़बड़ियों से लोगों का पैसा बर्बाद हो रहा है और युवाओं को कोई फायदा नहीं हो रहा। अब कौशल मंत्रालय और दूसरी सरकारी एजेंसियों को ध्यान देना होगा कि सब कुछ ठीक से हो, अटेंडेंस सही से लगे, और जो काम करे, उसे ही पैसा मिले। तभी ट्रेनिंग और नौकरी के बीच सही तालमेल बन पाएगा।
इस गड़बड़ी से कई लोगों को नुकसान हो रहा है। ट्रेनिंग देने वाली कंपनियां, टेस्ट लेने वाली एजेंसियां, नौकरी देने वाली कंपनियां, और सबसे ज़्यादा वो युवा जिनके करियर इस योजना पर डिपेंड करते हैं, सब परेशान हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सरकार अटेंडेंस का रिकॉर्ड रखने के लिए जियो-टैगिंग करे, सर्टिफिकेट को ब्लॉकचेन से जोड़े, और नौकरी मिलने का रिकॉर्ड सही से रखे, तो ये गड़बड़ियां कम हो सकती हैं।
पहले भी कई बार ये सवाल उठ चुका है कि क्या ट्रेनिंग देने के बाद युवाओं को नौकरी मिल रही है या नहीं। अक्सर देखा गया है कि ट्रेनिंग तो हो जाती है, पर नौकरी नहीं मिलती। इसलिए अब निगरानी और जांच बहुत ज़रूरी है। विपक्ष भी इस योजना पर सवाल उठाता रहा है, जबकि सरकार हमेशा यही कहती है कि उसने बहुत सारे लोगों को ट्रेनिंग दी है। इसलिए अब ज़रूरी है कि सरकार खुद जांच कराए और लोगों से भी राय ले।
आगे क्या होगा:
उम्मीद है कि सरकार जल्द ही जांच कराएगी, गलतियों को सुधारेगी, और ऑनलाइन सिस्टम को और बेहतर बनाएगी। अगली तिमाही में सरकार हर राज्य का रिपोर्ट कार्ड भी जारी कर सकती है, जिससे पता चलेगा कि कहां कितने लोगों को नौकरी मिली। अगर सरकार पैसे तभी दे जब नौकरी मिल जाए, तो इस योजना का असली फायदा नज़र आएगा।
