बिहार चुनाव: आयोग ने कमर कसी, 470 पर्यवेक्षक तैनात!

चुनाव आयोग (Election Commission of India - ECI) बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद है। आयोग ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए 470 बड़े अधिकारियों को पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात करने का फैसला किया है। ये अधिकारी चुनाव प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखेंगे।

पर्यवेक्षकों की तैनाती:

आयोग ने जो 470 अधिकारी तैनात करने का फैसला किया है, उनमें अलग-अलग तरह के विशेषज्ञ शामिल हैं:

  • 320 भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी
  • 60 भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी
  • 90 अन्य सेवाओं (जैसे IRS, IRAS, ICAS) के अधिकारी
इन सभी अधिकारियों को मिलाकर जनरल, पुलिस और व्यय (खर्च) पर्यवेक्षक बनाया गया है।
इन सभी की तैनाती का मकसद यह है कि चुनाव बिना किसी गड़बड़ी के हों।

दिल्ली में होगी अहम बैठक:

इन पर्यवेक्षकों को 3 अक्टूबर को दिल्ली में बुलाया गया है। यहाँ, चुनाव आयोग के अधिकारी उन्हें चुनाव से जुड़ी सभी जरूरी बातें समझाएंगे और बताएंगे कि उन्हें क्या करना है। इसके बाद, आयोग की एक टीम बिहार जाएगी और वहां की तैयारियों का जायजा लेगी। टीम यह देखेगी कि मतदान केंद्र ठीक से बने हैं या नहीं, सुरक्षा व्यवस्था कैसी है और क्या सब कुछ चुनाव के लिए तैयार है।

चुनाव आयोग की नजर हर चीज पर:

चुनाव आयोग का कहना है कि ये पर्यवेक्षक उनकी आंख और कान की तरह काम करेंगे। मतलब, ये अधिकारी हर छोटी-बड़ी चीज पर नजर रखेंगे और आयोग को तुरंत खबर देंगे। इनका काम होगा कि:

  • चुनाव के नियमों का पालन हो (आचार संहिता)
  • सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए
  • उम्मीदवार चुनाव में ज्यादा पैसा न खर्च करें
  • ये पर्यवेक्षक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20B और अनुच्छेद 324 के तहत काम करेंगे।

बिहार में चुनाव की तैयारी:

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। अभी जो सरकार है, उसका कार्यकाल 22 नवंबर को खत्म हो रहा है। इसलिए, नवंबर में चुनाव होने की पूरी संभावना है। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब, मिजोरम और ओडिशा में कुछ जगहों पर उपचुनाव भी होने हैं। चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि बिहार और इन सभी जगहों पर चुनाव शांति से हों।

पर्यवेक्षकों से क्या होगा फायदा:

इन पर्यवेक्षकों की तैनाती से कई फायदे होंगे:

  • जो इलाके संवेदनशील हैं, उन पर खास नजर रखी जा सकेगी।
  • अगर कोई चुनाव के नियमों को तोड़ेगा, तो उसकी तुरंत खबर मिलेगी।
  • उम्मीदवारों के खर्च पर लगाम लगेगी।
  • लोगों का चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा बढ़ेगा।
  • चुनाव से जुड़े झगड़े कम होंगे।
  • लोगों को वोट देने के लिए जागरूक किया जाएगा, जिससे ज्यादा लोग वोट देंगे।

आगे क्या होगा:

3 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली बैठक के बाद, चुनाव आयोग यह तय करेगा कि कौन सा मतदान केंद्र संवेदनशील है, कहां कितने सुरक्षा बलों की जरूरत है और उम्मीदवारों के खर्च पर कैसे नजर रखनी है। इसके बाद, चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा और चुनाव से जुड़े सभी नियम बताए जाएंगे। चुनाव आयोग का कहना है कि वह पूरी पारदर्शिता के साथ काम करेगा, ताकि लोगों को लगे कि चुनाव सही तरीके से हो रहे हैं। इससे लोगों का लोकतंत्र पर विश्वास और मजबूत होगा


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