केंद्र सरकार और बिहार सरकार मिलकर पटना और गया से काठमांडू जैसे कुछ खास अंतरराष्ट्रीय रास्तों पर हवाई सेवाएं शुरू करने की सोच रही हैं, और इस पर तेजी से काम चल रहा है। इसके साथ ही, नेपाल बॉर्डर तक रेल सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए ट्रेनों की संख्या बढ़ाने और नए रास्तों पर भी विचार किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अगले चरण में प्रोजेक्ट की पूरी रिपोर्ट और रास्तों के बारे में अच्छे से जानकारी मिलने के बाद फैसला लिया जा सकता है। यह सब पर्यटन, कारोबार और लोगों के आने-जाने को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
क्यों है इसकी ज़रूरत
- बिहार, खासकर पटना और गया, लंबे समय से चाहता है कि यहां से दूसरे देशों के लिए सीधी उड़ानें शुरू हों। काठमांडू से सीधा कनेक्शन बहुत ज़रूरी माना जा रहा है, क्योंकि यहां बौद्ध धर्म के तीर्थयात्री आते हैं, लोग इलाज के लिए आते हैं, और कारोबार भी होता है।
- रेलवे की बात करें तो रक्सौल, जोगबनी और नौतनवा जैसे रास्ते नेपाल से लोगों और सामान के आने-जाने के लिए मुख्य रास्ते हैं। ट्रेनों की संख्या बढ़ने से बॉर्डर के पास के इलाकों की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, तीर्थयात्रा करने वाले लोग आसानी से आ-जा सकेंगे, और छोटे कारोबार भी बढ़ेंगे।
- राजनीति के हिसाब से देखें तो चुनावों के समय ऐसे एलान करने से विकास की बातें करने में मदद मिलती है, और शहरों में रहने वाले लोगों, व्यापारियों और जो लोग विदेश में रहते हैं, उन पर अच्छा असर पड़ता है।
किसने क्या कहा
- जदयू के एक प्रवक्ता ने कहा कि बेहतर कनेक्टिविटी होने से बिहार में निवेश बढ़ेगा और पाटलिपुत्र से बौद्ध सर्किट तक पर्यटन के नए मौके मिलेंगे।
- भाजपा के एक नेता ने बताया कि हवाई और रेल मंत्रालय के सामने रास्तों और ज़रूरतों के बारे में जानकारी रखी गई है और धीरे-धीरे ज़रूरी approvals मिलने पर काम शुरू हो जाएगा।
- राजद की तरफ से कहा गया कि घोषणाएं अच्छी हैं, लेकिन जब तक रनवे को ठीक नहीं किया जाएगा, रात में लैंडिंग की सुविधा नहीं होगी, किराये कम नहीं होंगे, और आखिरी जगह तक पहुंचने के लिए अच्छी सुविधा नहीं होगी, तब तक ज़्यादा फायदा नहीं होगा।
- हवाई सेवा से जुड़े जानकारों का कहना है कि काठमांडू के रास्ते पर छोटे विमानों के लिए जगह, मौसम और बॉर्डर के पार तालमेल बिठाना ज़रूरी होगा। रेलवे में बॉर्डर पर कस्टम, प्लेटफॉर्म की क्षमता जैसी चीज़ें भी बहुत ज़रूरी हैं।
लोगों की राय
कारोबारियों, ट्रैवल एजेंटों और होटल वालों ने इसे बहुत अच्छा बताया है, खासकर गया-बोधगया में पर्यटन और इलाज के लिए आने-जाने वाले लोगों के लिए।
छात्रों और विदेश में रहने वाले लोगों ने समय पर और कम कीमत वाली सेवाएं देने की मांग की है, ताकि त्योहारों और परीक्षा के समय भीड़ कम हो।
विपक्षी पार्टियों ने निर्माण कब तक पूरा होगा और कितना पैसा लगेगा, इस पर स्पष्ट जानकारी मांगी है, जबकि सत्ता पक्ष इसे डबल इंजन का फायदा बता रहा है।
इसका क्या मतलब है
- राजनीति पर असर: ऐसे बड़े एलान से शहरों और बॉर्डर के पास के इलाकों में विकास की बातें करने में मदद मिलती है। पटना, गया, दरभंगा, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जैसे इलाकों में इसका फायदा सत्ता पक्ष को मिल सकता है।
- समाज: व्यापारी, युवा, होटल-ट्रैवल कारोबार से जुड़े लोग और विदेश में रहने वाले परिवारों पर इसका अच्छा असर होगा। गांवों में रहने वाले लोगों के लिए ट्रेनों की संख्या बढ़ना और आखिरी जगह तक पहुंचने के लिए अच्छी सुविधा होना ज़्यादा ज़रूरी होगा। इसलिए रेलवे में सुधार ज़मीन पर कितना होता है, यह राजनीति पर असर डालेगा।
क्या हैं परेशानियां
हवाई रास्ते
- रनवे की मज़बूती, टर्मिनल की क्षमता, स्लॉट, मौसम और एटीसी का तालमेल।
- कुछ जगहों पर लूप/डबलिंग, आईसीपी पर कस्टम क्लीयरेंस, और पीक सीजन के लिए ज़्यादा ट्रेनों का इंतज़ाम।
निष्कर्ष
रेल और हवाई सेवाओं को बढ़ाने का प्रस्ताव बिहार में पर्यटन, कारोबार और बॉर्डर के पार आने-जाने के लिए एक अच्छा कदम है, जिसका राजनीति पर भी असर हो सकता है। अब देखना यह है कि रास्तों के बारे में पूरी जानकारी, बजट और समय सीमा कब तक तय होती है, ताकि लोगों को इसका फायदा मिले।

