कृषि संकट की जड़ों में: सिंचाई की कमी, MSP का टकराव और किसानों की न्याय की लड़ाई
भारत में खेती-बाड़ी का संकट सालों से चला आ रहा है. इसकी जड़ में हैं सिंचाई की कमी, फसलों के सही दाम (MSP) को लेकर अनिश्चितता, और किसानों के लगातार प्रदर्शन. बिहार जैसे राज्यों में तो ये समस्या और भी गंभीर होती जा रही है.
शुरुआत:
भारत की लगभग आधी आबादी आज भी खेती पर निर्भर है. लेकिन इस सदी के तीसरे दशक में खेती का संकट गहराता जा रहा है. सिंचाई की कमी, फसलों की सही कीमत की गारंटी न होना, और बार-बार किसानों के प्रदर्शनों ने खेती के पुराने तरीकों को हिला दिया है. इससे किसानों की ज़िंदगी और देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. बिहार के किसानों की हालत तो और भी खराब है. वहां सिंचाई की कमी और सही MSP न मिलने से खेती करना बहुत मुश्किल हो गया है.
ये संकट कब से है?:
भारत में खेती का संकट कोई नई बात नहीं है. 1917 में चंपारण सत्याग्रह से लेकर आज तक किसान अपनी दिक्कतों के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं. सिंचाई की कमी और पैसे की तंगी ने किसानों को बार-बार आंदोलन करने पर मजबूर किया है. अंग्रेजों के ज़माने में किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाई जाती थी, जिससे उनका बहुत नुकसान होता था. आज़ादी के बाद भी सिंचाई और फसलों के दाम की समस्या बनी रही. हरित क्रांति के बाद सिंचाई का सही तरीके से विकास नहीं हुआ और कुछ ही फसलों पर ध्यान दिया गया, जिससे दिक्कतें और बढ़ गईं.
सिंचाई की मुश्किल:
भारत में लगभग 37% खेत ही सिंचित हैं, जबकि 63% खेत बारिश पर निर्भर हैं. बिहार जैसे कई राज्यों में सिंचाई की सुविधा बहुत कम है. भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है, बिजली कटौती से सिंचाई का खर्चा बढ़ रहा है. किसान अपनी फसलों के लिए पर्याप्त पानी नहीं जुटा पाते, क्योंकि पानी के इंतज़ाम और नई सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल ठीक से नहीं हो पा रहा है.
सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी योजनाएं तो चलाई हैं, लेकिन इनसे फसलों की सिंचाई में जितनी मदद मिलनी चाहिए, उतनी नहीं मिल पाई है. बिहार में कई किसान बारिश पर निर्भर कम उपज वाली फसलें उगाते हैं, जिससे उनकी कमाई कम होती है.
MSP की तलाश:
किसानों के लिए MSP एक तरह से कम से कम आमदनी की गारंटी होनी चाहिए, लेकिन भारत में MSP को कानूनी रूप से लागू करने पर बहस चल रही है. सरकार MSP को फसल की लागत से लगभग 1.5 गुना ज़्यादा तय करती है, लेकिन ये कानूनी तौर पर ज़रूरी नहीं है. इसलिए कई किसानों को MSP का फायदा नहीं मिल पाता.
2020-21 के किसान आंदोलन में MSP को कानूनी गारंटी देने की मांग उठी थी. सरकार का कहना है कि इसे लागू करने में कई दिक्कतें हैं, जैसे कि खर्चा, महंगाई और भंडारण की समस्या. बिहार में तो किसान इस मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं, जिसमें मुफ्त बिजली और सिंचाई सुविधा की मांग भी शामिल है.
बिहार में किसान आंदोलन:
भारत में किसान आंदोलन का इतिहास 1917 के चंपारण सत्याग्रह से शुरू होता है. उस समय किसानों ने नील की खेती के खिलाफ आंदोलन किया था. आज भी बिहार में किसान सिंचाई सुविधा, MSP की कानूनी गारंटी, कर्ज़ माफी और खाद्य सुरक्षा के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं. हाल ही में गया में किसानों ने सिंचाई सुविधा और मुफ्त बिजली की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.
किसानों का कहना है कि बिना सिंचाई के वे ज़्यादा फसल नहीं उगा सकते हैं और MSP की गारंटी न होने से उन्हें फसल बेचने में डर लगता है. सरकार के विशेषज्ञों का मानना है कि MSP को कानूनी रूप से लागू करना मुश्किल है, लेकिन इसे बेहतर बनाने की कोशिश की जानी चाहिए.
नीति में दिक्कतें:
भारत में खेती की नीतियों में निजीकरण, छोटे किसानों पर बढ़ता बोझ और सिंचाई के सही इंतज़ाम की कमी दिखती है. सिंचाई की कमी से हज़ारों किसान परेशान हैं, वहीं कुछ लोग MSP को सरकारी दखलंदाज़ी मानते हैं.
सरकार जल संरक्षण और नई सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा तो देती है, लेकिन कई राज्यों में ये योजनाएं ठीक से लागू नहीं हो पा रही हैं. छोटे किसानों की संख्या ज़्यादा होने से उन्हें नीति में बदलाव का ज़्यादा फायदा नहीं मिल पाता.
बिहार और दूसरे राज्यों की तुलना:
बिहार में सिंचाई की समस्या ज़्यादा है, जबकि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में सिंचाई की सुविधा बेहतर होने के बावजूद जल स्तर गिर रहा है. दुनिया भर में ड्रिप सिंचाई और स्मार्ट जल प्रबंधन तकनीकों ने खेती को ज़्यादा टिकाऊ बनाया है. भारत सरकार PMKSY जैसी योजनाएं चला रही है, लेकिन इन्हें लागू करने के तरीके में सुधार की ज़रूरत है.
अब सोचने का समय है:
खेती का संकट सिर्फ किसानों का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा का सवाल है. सिंचाई की समस्या, MSP की कानूनी गारंटी और किसान आंदोलन, ये तीनों ही बातें इस संकट की जड़ में हैं. बिहार जैसे राज्यों में जहां सिंचाई की कमी से किसान आत्महत्या करने और गरीब होने पर मजबूर हैं, वहां सरकार को जल्दी और सही कदम उठाने होंगे.
किसानों की परेशानी को समझना, उनकी बात सुनना और वैज्ञानिक तरीके से समाधान निकालना ही भविष्य का रास्ता है. इस लेख के ज़रिए लोग जागरूक हों, इस पर बात करें और एक ज़िम्मेदार नागरिक की तरह अपनी भूमिका निभाएं.
कुछ सवाल:
- बिहार में सिंचाई की समस्या को कैसे ठीक किया जा सकता है?
- MSP को कानूनी गारंटी देने के फायदे और नुकसान क्या हैं?
- किसान आंदोलनों का भारत की खेती की नीति पर क्या असर पड़ा है?
- दुनिया भर में कौन सी सिंचाई तकनीकें हैं जो भारत में काम आ सकती हैं?
