फ्रांस में बजट कटौती विरोध से परिवहन-शिक्षा ठप

फ्रांस में बजट कटौती के खिलाफ अलग-अलग यूनियनों की हड़ताल का असर साफ़ दिख रहा है। इसने लोगों के आने-जाने, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर डाला है। ट्रेनें और मेट्रो कम चल रही हैं, कई स्कूलों में क्लासें नहीं हो रही हैं और अस्पतालों में ज़रूरी काम ही हो पा रहा है। सरकार कह रही है कि उसे घाटा कम करना है, जबकि यूनियनें चाहती हैं कि सरकार उनसे बात करे और कुछ बदलाव करे।

हड़ताल कितनी फैली और इसका क्या असर हुआ

फ्रांस में कई यूनियनें मिलकर सरकार के बजट कटौती के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। पेरिस जैसे बड़े शहरों में रैलियां हो रही हैं, तो छोटे शहरों में लोग धरने पर बैठे हैं और काम धीरे कर रहे हैं। इसका सबसे ज़्यादा असर उन सेवाओं पर पड़ रहा है जो सरकार चलाती है।

यूनियनों का कहना है कि सरकार के इस कदम से लोगों को ठीक से सुविधाएँ नहीं मिल पाएंगी, खासकर गरीब लोगों और गांवों में रहने वालों को दिक्कत होगी। प्रदर्शन करने वाले लोग बैनर और नारे लगाकर सरकार से कह रहे हैं कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन पर पैसे कम न करे, बल्कि धीरे-धीरे सुधार करे। कई जगहों पर पुलिस भी तैनात है, लेकिन माहौल शांतिपूर्ण है।

गाड़ियों की आवाजाही में दिक्कत

ट्रेनें और बसें सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई हैं। कई रास्तों पर ट्रेनें और मेट्रो कम चल रही हैं, और कुछ तो बंद भी हैं। पेरिस में मेट्रो में बहुत भीड़ हो रही है, इसलिए लोगों को दूसरे रास्तों से जाने को कहा जा रहा है। बसों की टाइमिंग भी ठीक नहीं है, जिससे नौकरी करने वालों और छात्रों को देर हो रही है। हालांकि एयरपोर्ट पर ज़्यादा दिक्कत नहीं है, पर स्टाफ कम होने की वजह से लाइनें लंबी हो रही हैं। इसलिए लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे घर से जल्दी निकलें।

स्कूलों में पढ़ाई पर असर

स्कूलों और कॉलेजों में भी हड़ताल का असर दिख रहा है। कई सरकारी स्कूलों में टीचर नहीं आ रहे हैं, जिससे क्लासें नहीं लग रही हैं या कम समय के लिए लग रही हैं। कॉलेजों में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन परीक्षाएं और ज़रूरी लैब का काम हो रहा है। सबसे बड़ी परेशानी उन माता-पिता को हो रही है जिनके बच्चे छोटे हैं, क्योंकि उन्हें अचानक पता चलता है कि स्कूल बंद है और उन्हें बच्चों की देखभाल के लिए इंतज़ाम करना पड़ता है।

अस्पतालों में परेशानी

अस्पतालों में ज़रूरी सेवाएं तो चल रही हैं, लेकिन बाकी कामों में दिक्कत हो रही है। ऑपरेशन और दूसरी सेवाएं जो ज़रूरी नहीं हैं, उन्हें टाला जा रहा है। मरीज़ों को अपॉइंटमेंट फिर से लेने को कहा जा रहा है। स्टाफ कम होने की वजह से लोगों को ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ रहा है। यूनियनें कह रही हैं कि अगर बजट में कटौती हुई तो अस्पतालों में स्टाफ कम हो जाएगा, मशीनें खराब हो जाएंगी और बीमारियों से बचाव के कार्यक्रम भी ठीक से नहीं हो पाएंगे, जिससे कोरोना के बाद ठीक होने में और देर लगेगी।

सरकार का क्या कहना है

सरकार का कहना है कि उसे पैसे बचाने हैं और कर्ज़ कम करना है। सरकार का कहना है कि वह फिजूलखर्ची रोकना चाहती है और यह देखना चाहती है कि पैसे सही जगह लगें। सरकार यह भी कह रही है कि वह यूरोपीय संघ के नियमों का पालन कर रही है।

लेकिन लोग कह रहे हैं कि ऐसे मुश्किल समय में सरकार को लोगों की मदद करनी चाहिए, न कि पैसे बचाने चाहिए। लोगों का कहना है कि अगर शिक्षा और स्वास्थ्य पर पैसे कम किए गए तो गरीब लोगों को नुकसान होगा।

यूनियनों की मांगें

यूनियनें चाहती हैं कि सरकार बताए कि बजट कटौती से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। वे चाहती हैं कि ज़रूरी सेवाओं पर पैसे कम न किए जाएं और सरकार उनसे बात करे। यूनियनें यह भी चाहती हैं कि कर्मचारियों, स्थानीय नेताओं और समाज के लोगों को मिलाकर एक कमेटी बनाई जाए। यूनियनें अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शन कर रही हैं, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके, लेकिन लोगों को ज़्यादा परेशानी भी न हो।

सरकार का जवाब

सरकार ने कहा है कि ज़रूरी सेवाओं को चालू रखा जाएगा और जहां ज़रूरी होगा, वहां ज़्यादा मदद दी जाएगी। सरकार का कहना है कि वह सोच-समझकर खर्च करेगी और यह देखेगी कि पैसे का सही इस्तेमाल हो। सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

इसका क्या असर होगा

हड़ताल की वजह से काम करने के घंटे कम हो रहे हैं, चीज़ें महंगी हो रही हैं और लोग कम खरीदारी कर रहे हैं। इससे दुकानों और होटलों को नुकसान हो रहा है। अगर यह सब ज़्यादा दिन तक चला तो लोग डरे हुए रहेंगे और नया काम शुरू करने से हिचकिचाएंगे।

लोगों को यह भी चिंता है कि सरकार पैसे बचाने और लोगों की मदद करने में कैसे संतुलन बनाएगी। कुछ लोगों का सुझाव है कि सरकार को टैक्स चोरी रोकनी चाहिए, सब्सिडी को सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके काम को आसान बनाना चाहिए। इससे बजट कटौती की ज़रूरत कम हो सकती है।

आगे क्या होगा

फ्रांस में बजट कटौती के खिलाफ हो रही हड़ताल से पता चलता है कि लोगों की राय जाने बिना कोई भी बदलाव करना मुश्किल है। सरकार को लोगों से बात करके और उनकी परेशानियों को समझकर ही कोई फैसला लेना चाहिए। आने वाले दिनों में अगर सरकार और यूनियनें मिलकर कोई रास्ता निकालती हैं, तो हालात बेहतर हो सकते हैं।

Raviopedia

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