यूएन जनरल असेंबली में गाज़ा और यूक्रेन संघर्ष पर विशेष चर्चा।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में इस बार गाज़ा और यूक्रेन के मुद्दे छाए रहे। दुनिया भर के देश इन दोनों जगहों पर शांति कैसे लाई जाए, इस पर बात कर रहे थे। हर कोई चाहता था कि लोगों को मदद मिले, लड़ाई बंद हो, देशों की सीमाओं का सम्मान हो, और जो गलत कर रहे हैं उन्हें सज़ा मिले। लेकिन, इन बातों को कहने के तरीके और वोटिंग के दौरान देशों के रुख से पता चला कि मामले को लेकर सबकी राय अलग-अलग है।

बातचीत का मुद्दा और क्या था एजेंडा

इस साल UNGA में सभी देशों के लिए यह एक इम्तिहान था। गाज़ा और यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है, उससे दुनिया भर में सुरक्षा, मानवीय नियमों और देशों के आपसी संबंधों पर सवाल उठ रहे हैं।

देशों ने अपनी बात रखते हुए सबसे ज़रूरी चीज़ों पर ध्यान दिया, जैसे कि लड़ाई को कुछ समय के लिए रोकना, हमेशा के लिए बंद करना, बंधकों को छुड़ाना, लोगों को बचाना और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करना। कई देशों ने कहा कि लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए रास्ते खुलने चाहिए, मदद बिना रोक-टोक के मिलनी चाहिए और इस पर नज़र रखने के लिए स्वतंत्र लोग होने चाहिए।

इस बातचीत का मकसद किसी एक का साथ देना नहीं था, बल्कि लोगों को बचाना, अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करवाना और शांति लाने के तरीकों पर सहमत होना था। हालांकि, देशों के बीच मतभेद साफ दिख रहे थे।

UNGA का रोल और तरीका

UNGA में दुनिया के 193 देश हैं। यह जो भी कहता है, उसे मानना ज़रूरी नहीं है, लेकिन इससे पता चलता है कि दुनिया किस दिशा में जाना चाहती है। सुरक्षा परिषद में कई बार कुछ देश वीटो कर देते हैं, जिससे कोई फैसला नहीं हो पाता। ऐसे में UNGA सभी देशों को एक साथ आकर अपनी राय रखने का मौका देता है।

यूक्रेन के मामले में 2022 में UNGA ने बहुत सारे वोटों से एक प्रस्ताव पास किया था, जिसमें हमले की निंदा की गई थी और कहा गया था कि यूक्रेन की सीमाएं पहले जैसी ही रहनी चाहिए। इसी तरह, 2023 में गाज़ा में भी लोगों को मदद पहुंचाने के लिए लड़ाई रोकने की अपील की गई थी, जिसे 100 से ज़्यादा देशों ने सपोर्ट किया था।

इस बार की बातचीत में सबसे ज़्यादा ध्यान इस बात पर था कि प्रस्तावों में किस तरह के शब्द इस्तेमाल किए जाएं जैसे कि युद्धविराम कहें या मानवीय विराम कहें। इससे पता चलेगा कि आगे किस तरह से बात होगी।

गाज़ा: लोगों पर खतरा और युद्धविराम

गाज़ा में जो हिंसा हो रही है, उससे बहुत सारे लोग बेघर हो गए हैं, अस्पतालों की हालत खराब है और लोगों को खाने-पीने की चीज़ें नहीं मिल रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों का कहना है कि ज़्यादातर लोग मदद पर निर्भर हैं और इमारतों को भी बहुत नुकसान पहुंचा है।

कई देशों ने कहा कि लड़ाई को तुरंत, पूरी तरह से और हमेशा के लिए रोक देना चाहिए, और बंधकों को बिना किसी शर्त के रिहा कर देना चाहिए। उन्होंने स्कूलों, अस्पतालों और शरणार्थियों के रहने की जगहों को बचाने और मानवीय कानूनों का पालन करने की बात भी कही।

यह भी कहा गया कि मदद पहुंचाने के लिए रास्ते खुले रहने चाहिए, मदद पर नज़र रखने के लिए लोग होने चाहिए और कुछ समय के लिए कोई गोलीबारी नहीं होनी चाहिए। कुछ देशों ने यह भी कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए और जो दोषी हैं, उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए।

यूक्रेन: सीमाओं की सुरक्षा और चिंताएं

यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर बात करते हुए देशों ने कहा कि हर देश की सीमाएं सुरक्षित रहनी चाहिए। UNGA ने 2022 के बाद से जो भी प्रस्ताव पास किए हैं, उनमें भी यही बात कही गई है।

लोगों और ज़रूरी इमारतों पर हमलों को लेकर चिंता जताई गई, जैसे कि बिजली घर, अस्पताल और स्कूल। लड़ाई रोकने, लोगों को सुरक्षित निकालने और मानवीय कानूनों का पालन करने की बात पर ज़ोर दिया गया। कुछ देशों ने यह भी कहा कि ज़मीन से बारूदी सुरंगें हटाई जानी चाहिए, शहरों को फिर से बसाना चाहिए और जो लोग बेघर हो गए हैं, उन्हें वापस लौटने में मदद करनी चाहिए।

शांति लाने के लिए बातचीत करने, शांति पर नज़र रखने और सुरक्षा की गारंटी देने जैसे तरीकों पर बात हुई। मिसाइलों और ड्रोन से होने वाले हमलों की निंदा की गई और लोगों को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की मांग की गई।

बातचीत में अलग-अलग राय और वोटिंग

बातचीत में कुछ बातों पर तो सभी सहमत थे, लेकिन कुछ मुद्दों पर राय अलग-अलग थी। पश्चिमी देशों ने कहा कि यूक्रेन पर हमला करने वालों की निंदा होनी चाहिए और उन्हें तुरंत पीछे हटना चाहिए, जबकि कुछ देशों ने कहा कि बातचीत से हल निकालना चाहिए और सभी की बात सुननी चाहिए।

गाज़ा के मुद्दे पर अरब देशों, इस्लामी देशों और दुनिया के कई देशों ने कहा कि लड़ाई को तुरंत रोका जाना चाहिए, लोगों तक बिना रोक-टोक के मदद पहुंचनी चाहिए और नागरिकों को सुरक्षित रखना चाहिए। कुछ देशों ने सुरक्षा परिषद पर भी सवाल उठाए कि वह इस मामले में कुछ नहीं कर रही है और UNGA के रोल को अहम बताया।

भारत समेत कई देशों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन होना चाहिए, लोगों को तुरंत मदद मिलनी चाहिए, आतंकवाद का विरोध होना चाहिए और बातचीत से हल निकालना चाहिए। कुल मिलाकर, वोटिंग में भी मुद्दे के हिसाब से अलग-अलग राय देखने को मिली, लेकिन लोगों को बचाने और मदद पहुंचाने पर ज़्यादातर देश सहमत थे।

प्रस्तावों की भाषा और कानूनी पहलू

प्रस्तावों में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को लेकर भी बहस हुई, जैसे कि तुरंत और हमेशा के लिए युद्धविराम कहा जाए या कुछ समय के लिए मानवीय विराम की बात की जाए। दो-राज्य समाधान, बंधकों की रिहाई और नागरिकों को बचाने जैसे मुद्दों पर भी सुझाव दिए गए।

यूक्रेन के मामले में प्रस्तावों में UN चार्टर, देशों की सीमाओं की सुरक्षा और ताकत का इस्तेमाल न करने जैसे ज़रूरी सिद्धांतों पर ज़ोर दिया गया। जांच करने और दोषियों को सज़ा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मदद लेने की बात भी कही गई।

कानूनी तौर पर यह भी बात हुई कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और मानवीय कानूनों का उल्लंघन करने वालों को सज़ा देने में क्या दिक्कतें हैं, और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट और जांच आयोग क्या कर सकते हैं। यह साफ किया गया कि UNGA जो भी सिफारिशें करता है, उससे पता चलता है कि दुनिया किस दिशा में जाना चाहती है, लेकिन उन्हें लागू करना देशों पर निर्भर करता है कि वे मिलकर क्या कदम उठाते हैं।

आर्थिक और मानवीय असर

इन दोनों लड़ाइयों का असर सिर्फ उन देशों तक ही सीमित नहीं है। तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, खाने-पीने की चीज़ों की कमी और सामान भेजने में ज़्यादा पैसे लगने से कई देशों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। गरीब देशों पर महंगाई और कर्ज़ का बोझ बढ़ रहा है।

लोगों के लिए भी बहुत दिक्कतें हैं। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और उन्हें स्वास्थ्य, पानी और रहने की जगहों की ज़रूरत है। यूक्रेन और गाज़ा दोनों में इमारतों को फिर से बनाने में बहुत पैसा लगेगा, जिसके लिए कई देशों को मिलकर मदद करनी होगी।

देशों ने कहा कि लोगों तक मदद बिना किसी भेदभाव के पहुंचनी चाहिए और स्थानीय संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए। स्कूलों को फिर से खोलने, लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने और उन्हें रोज़गार दिलाने जैसे मुद्दों को भी ध्यान में रखने की बात कही गई।

आगे क्या किया जा सकता है

बातचीत से यह पता चला कि आगे तीन चीज़ें ज़रूरी होंगी लोगों तक ज़्यादा से ज़्यादा मदद पहुंचाना, बातचीत को और बढ़ाना और दोषियों को सज़ा दिलवाना। देशों ने कहा कि UN को निगरानी रखने और रिपोर्ट देने के लिए और मज़बूत बनाना चाहिए, और यह भी देखना चाहिए कि ज़मीन पर लोगों तक मदद कैसे पहुंचाई जाए।

गाज़ा में सबसे ज़रूरी है कि नागरिकों को बचाया जाए, बंधकों को रिहा करवाया जाए और लोगों तक बिना रोक-टोक के मदद पहुंचाई जाए। लंबे समय में शहरों को फिर से बसाना, खाने-पीने और स्वास्थ्य की सुरक्षा करना और राजनीतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू करना ज़रूरी है, जिसमें आसपास के देशों को भी मदद करनी होगी।

यूक्रेन में शांति बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी, सीमाओं का सम्मान और तनाव को कम करने के लिए कदम उठाने ज़रूरी हैं। बारूदी सुरंगों को हटाना, इमारतों को फिर से बनाना और शरणार्थियों को सुरक्षित वापस लाना भी ज़रूरी है, जिसके लिए कई सालों की प्लानिंग करनी होगी।

निष्कर्ष

UNGA में गाज़ा और यूक्रेन पर हुई बातचीत से यह साफ हो गया कि दुनिया के लिए सबसे ज़रूरी क्या है नागरिकों की सुरक्षा, लोगों तक मदद पहुंचाना, अंतरराष्ट्रीय कानून और बातचीत। प्रस्तावों में इस्तेमाल होने वाले शब्दों और वोटिंग में भले ही मतभेद रहे, लेकिन मदद, जांच और बातचीत पर सहमति बनी। आगे यह देखना होगा कि देश UNGA की बातों को कितनी जल्दी ज़मीन पर उतारते हैं और लोगों की मदद करते हैं व शांति लाते हैं।

Raviopedia

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