ऐसा लगता है कि भारत का IT सर्विस सेक्टर काफ़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 27 (FY27) में यह लगभग 6-7% की दर से बढ़ेगा। इसकी वजह यह है कि जेनरेटिव AI, क्लाउड को आधुनिक बनाने और ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में काफ़ी काम हो रहा है। इससे कंपनियों को नए प्रोजेक्ट मिल रहे हैं और वे AI की मदद से अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ा रही हैं और कमाई के नए रास्ते खोज रही हैं।
मुख्य कहानी
6-7% वृद्धि क्यों संभव है:
FY27 (अप्रैल 2026-मार्च 2027) में 6-7% की वृद्धि का अनुमान दो मुख्य कारणों पर आधारित है: AI प्रोजेक्ट्स की डिमांड और डिलीवरी में सुधार। हालाँकि हाल के महीनों में बड़े बदलाव वाले सौदों की गति थोड़ी धीमी हुई है, लेकिन AI पर ध्यान देने वाले कार्यक्रम अभी भी पाइपलाइन को समर्थन दे रहे हैं।
कंपनियां उन सौदों को प्राथमिकता दे रही हैं जो लागत को कम करने, कोड को आधुनिक बनाने और ऑपरेशंस को ऑटोमेट करने पर केंद्रित हैं। इसके अलावा, वैश्विक मांग में कमी के बीच, उम्मीद है कि भारतीय IT कंपनियों का मार्केट शेयर बढ़ेगा क्योंकि वेंडर मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे समग्र विकास स्थिर रह सकता है।
AI डील्स: नई मांग के स्रोत
जेनरेटिव AI अब इस्तेमाल के मामलों को प्रोडक्शन लेवल पर ला रहा है। कोड जनरेशन, टेस्ट ऑटोमेशन, नॉलेज मैनेजमेंट, चैट ऑप्स और कॉन्टैक्ट सेंटर AI जैसे इस्तेमाल के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इससे काम तेजी से हो रहा है और आउटपुट की क्वालिटी में सुधार हो रहा है।
क्लाउड सर्विस देने वाली बड़ी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप मजबूत हो रही है। AI फाउंडेशन मॉडल्स, वेक्टर डेटाबेस और सुरक्षा पर मिलकर काम करने से बड़े सौदे हो रहे हैं। कई कंपनियां अपने AI प्लेटफॉर्म को सर्विस के रूप में पैकेज कर रही हैं, जैसे कोपायलट, प्रॉम्प्ट-सेफ्टी और डेटा-गवर्नेंस।
सेक्टर-वार प्रभाव: BFSI से मैन्युफैक्चरिंग तक
BFSI सेक्टर में धोखाधड़ी का पता लगाने, KYC ऑटोमेशन, जोखिम मॉडलिंग और पर्सनलाइजेशन पर निवेश बढ़ रहा है। रेगुलेटरी मानकों के कारण पायलट प्रोजेक्ट से प्रोडक्शन में बदलाव सावधानी से हो रहा है, लेकिन इसके फ़ायदे साफ़ हैं - कम समय और बेहतर कंप्लायंस।
मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल में डिमांड फोरकास्टिंग, विज़ुअल इंस्पेक्शन और सप्लाई-चेन को बेहतर बनाने पर काम तेज़ी से हो रहा है। हेल्थकेयर में मेडिकल कोडिंग और क्लेम्स प्रोसेसिंग AI से बेहतर हो रहे हैं। इन सेक्टरों में AI-आधारित डील्स FY27 में ग्रोथ का मुख्य आधार बन सकती हैं।
टैलेंट और रिस्किलिंग: हायरिंग का नया तरीका
FY27 में हायरिंग थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन स्किल्स की ज़रूरतें बदल रही हैं। डेटा इंजीनियरिंग, एमएलऑप्स, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग और क्लाउड आर्किटेक्चर में लेटरल हायरिंग और अपस्किलिंग ज़रूरी होगी। कंपनियां AI-सक्षम प्रोजेक्ट मैनेजर्स और डोमेन एक्सपर्ट्स पर भी ध्यान दे रही हैं।
रिस्किलिंग कार्यक्रम बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे हैं - इन-हाउस अकादमियां, सर्टिफिकेशन प्रोग्राम और जॉब-रोटेशन के माध्यम से। टियर-2/3 शहरों में डिलीवरी सेंटर का विस्तार होने से लागत कम होती है, जिससे मार्जिन और ऑनशोर-ऑफशोर मिक्स संतुलित रहता है।
मार्जिन गणित: उत्पादकता बनाम निवेश
AI टूल्स से डिलीवरी उत्पादकता में काफ़ी सुधार हो सकता है - कोडिंग और टेस्टिंग में कम समय लगता है, रीयूजेबिलिटी बढ़ती है और बग-फिक्स साइकिल छोटा होता है। इससे बेहतर उपयोग दर और प्रोजेक्ट टर्नओवर होता है, जो ऑपरेटिंग मार्जिन को सपोर्ट करता है।
दूसरी ओर, AI इंफ्रास्ट्रक्चर, मॉडल-लाइसेंसिंग और सुरक्षा पर शुरू में निवेश करना ज़रूरी है। इससे शुरू में मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है, लेकिन स्केल-अप के साथ टूल्स पर खर्च कम हो जाता है। रुपये में उतार-चढ़ाव और प्राइसिंग रणनीतियाँ FY27 की लाभप्रदता को प्रभावित करेंगी।
नीतियाँ, नियमन और घरेलू मांग
आधार, UPI और ONDC जैसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के आसपास एंटरप्राइज समाधान की घरेलू मांग बढ़ रही है। भारतAI मिशन, सेमीकंडक्टर और IT हार्डवेयर पहलों से AI इकोसिस्टम को नीतिगत समर्थन मिलने की उम्मीद है।
डेटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क के स्पष्ट होने से AI को अपनाने की गति बढ़ सकती है। साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र में भाषा-AI समाधान, नागरिक सेवाओं के चैटबॉट और दस्तावेज़ प्रोसेसिंग जैसे समाधान भारतीय IT के लिए नया बाजार खोल रहे हैं।
सामाजिक-आर्थिक असर: नौकरियां और कौशल
AI से नौकरियों का स्वरूप बदलेगा - दोहराव वाले कार्यों का ऑटोमेशन बढ़ेगा, जबकि उच्च-मूल्य विश्लेषण का महत्व बढ़ेगा। इससे एंट्री-लेवल प्रोफाइल्स में बदलाव हो सकता है और कोपायलट के साथ काम करने की क्षमता ज़रूरी हो सकती है।
गिग-टैलेंट और फ्रीलांस विशेषज्ञों के साथ काम करने का चलन बढ़ेगा। समावेशी स्किलिंग से सेक्टर का सामाजिक फैलाव बढ़ सकता है। विश्वविद्यालय-उद्योग सहयोग इस बदलाव को आसान बना सकते हैं।
जोखिम और अनिश्चितताएं
वैश्विक आर्थिक मंदी और बजट कटौती का खतरा बना हुआ है। रेगुलेटरी स्पष्टता और डेटा-लोकलाइजेशन पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
प्राइसिंग का दबाव विकास को सीमित कर सकता है। प्रतिस्पर्धी माहौल में ग्लोबल पीयर्स भी AI सेवाओं में आगे बढ़ रहे हैं। डिलीवरी क्वालिटी और IP सुरक्षा इस प्रतिस्पर्धा में महत्वपूर्ण होंगे।
आगे की राह: किन संकेतों पर नज़र
FY27 में 6-7% ग्रोथ के लिए कुछ संकेतकों पर नज़र रखना ज़रूरी होगा - AI पायलट्स का प्रोडक्शन-स्केल पर रूपांतरण और बड़े डील्स का औसत आकार। इसके साथ ही, यूरोप और अमेरिका के मांग-संकेतक भी महत्वपूर्ण होंगे।
मध्यम अवधि में AI-आधारित सेवाओं से डिमांड बढ़ सकती है। जो कंपनियां डोमेन-कॉन्टेक्स्ट, जिम्मेदारी और साझेदारी में आगे रहेंगी, वे बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, FY27 में भारतीय IT सर्विस सेक्टर के लिए 6-7% वृद्धि का अनुमान AI-आधारित मांग और डिलीवरी उत्पादकता में सुधार पर आधारित है। जोखिमों के बावजूद, नीतिगत समर्थन जैसी चीज़ें इस ग्रोथ को सहारा दे सकती हैं। आने वाले महीनों में AI पायलट्स का स्केल-अप, बड़े सौदों की रफ़्तार और मार्जिन इस अनुमान को बदल सकते हैं।


