कैमूर पर्वत श्रृंखला, जो बिहार के कैमूर जिले में है, एक अद्भुत पर्यटन स्थल है। यहाँ हरे-भरे जंगल हैं और इनके बीच कई सुंदर झरने हैं, जैसे कि तेलहर कुंड और करकट जलप्रपात। इसके अतिरिक्त, यहाँ प्राकृतिक घाटियाँ और रोमांचक ट्रेकिंग रास्ते भी हैं।
तेलहर कुंड लगभग 80 मीटर ऊँचा एक झरना है। इसके पास दुर्गावती नदी का पठार और करमचाट डैम जैसी जगहें भी हैं जो देखने लायक हैं। मानसून के मौसम में यह जगह बहुत ही खूबसूरत हो जाती है।
करकट जलप्रपात करमनाशा नदी पर है। यहाँ मगरमच्छों को बचाने के लिए काम किया जा रहा है और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस वजह से यह जगह वन्यजीव और प्रकृति से प्यार करने वाले लोगों के लिए एक खास जगह बन गई है।
इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी है, जिसका नाम है मुंडेश्वरी देवी मंदिर। माना जाता है कि यह मंदिर 108 ईस्वी में बना था और यह भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जहाँ आज भी पूजा होती है। यह मंदिर शैव और शाक्त परंपराओं का एक अनूठा मिलन है।
यहाँ पहुँचने के लिए बनारस एयरपोर्ट (जो 60 किलोमीटर दूर है), मोहनिया/भभुआ रोड जंक्शन और एनएच-30 सबसे सुविधाजनक रास्ते हैं। आपको ठहरने के लिए कई विकल्प मिल जाएँगे जिनकी जानकारी जिला प्रशासन की सूची में दी गई है।
कैमूर पर्वत श्रृंखला विंध्य पर्वतमाला का पूर्वी हिस्सा है। यह अपने पुराने पत्थरों, गहरी घाटियों, गुफाओं और कई झरनों के लिए मशहूर है। कैमूर वन्यजीव अभयारण्य, मौसमी झरने और शांत जंगल के रास्ते इस जगह को ट्रेकिंग, नेचर-वॉक और बर्डवॉचिंग के शौकीनों के लिए स्वर्ग जैसा बनाते हैं।
मुंडेश्वरी देवी मंदिर इस क्षेत्र की पहचान है। यह देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जहाँ लगातार पूजा-पाठ होता रहता है।
माँ मुंडेश्वरी देवी मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) 108 ईस्वी का मानता है। इस मंदिर की अष्टकोणीय नागर शैली की वास्तुकला इसे और भी खास बनाती है। यहाँ की स्थानीय परंपरा में चेरो समुदाय का प्रभाव दिखता है और शैव-शाक्त उपासना का संगम भी है। इस वजह से यह जगह शक्ति और शिव दोनों की आराधना का केंद्र बन गई है। जिले के रिकॉर्ड में मंदिर के लेख 389 ईस्वी (गुप्तकाल) के बारे में बताते हैं, जिससे पता चलता है कि यह मंदिर कितना पुराना है और यहाँ पूजा की परंपरा कितनी पुरानी है।
यहाँ घूमने के लिए बहुत कुछ है:
तेलहर कुंड (अधौरा): यह लगभग 80 मीटर ऊँचा झरना है जो दुर्गावती नदी के पठार पर स्थित है। यह भभुआ से लगभग 32 किलोमीटर और मोहनिया से लगभग 47 किलोमीटर दूर है। इसके आस-पास करमचाट डैम और एक प्राकृतिक झील भी है जो स्नान और फ़ोटोग्राफ़ी के लिए बहुत अच्छी जगहें हैं।
करकट जलप्रपात (करकट/करकटगढ़): करमनाशा नदी पर स्थित यह झरना अब वन्यजीव और ईको-टूरिज्म के लिए जाना जाता है। यहाँ मगरमच्छों को बचाने के लिए भी काम किया जा रहा है।
कैमूर वन्यजीव अभयारण्य: यह अभयारण्य जैव विविधता से भरपूर है और यहाँ ट्रेकिंग और वन्यजीवों को देखने के शानदार अवसर मिलते हैं।
मुंडेश्वरी देवी मंदिर: यह प्राचीन मंदिर अष्टकोणीय आकार का है और शैव-शाक्त परंपरा का एक जीवंत केंद्र है। यह लगातार पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
स्थानीय व्यू-पॉइंट्स और नेचर ट्रेल्स (अधौरा क्षेत्र): यहाँ हरे-भरे जंगलों, घाटियों और मौसमी झरनों के बीच आसान ट्रेकिंग/हाइकिंग के रास्ते हैं।
घूमने का सबसे अच्छा समय:
मानसून (जून-अगस्त) में तेलहर कुंड और कैमूर के झरने पूरे शबाब पर होते हैं। झरनों की आवाज़ और धुंधला मौसम फ़ोटोग्राफ़ी और प्रकृति को देखने के लिए बहुत अच्छा होता है।
सर्दियों में (अक्टूबर-दिसंबर) ट्रेकिंग करना और जंगल के रास्तों पर धीरे-धीरे घूमना बहुत ही सुखद होता है। मौसम साफ होने की वजह से दूर-दूर तक के नज़ारे भी देखने को मिलते हैं।
करकट जलप्रपात क्षेत्र में मगरमच्छों को बचाने और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की कोशिशें की जा रही हैं। इससे यह जगह परिवारों और छात्रों के लिए भी बहुत अच्छी हो गई है।
कैमूर वन्यजीव अभयारण्य के रास्ते और प्राकृतिक घाटियाँ बर्डवॉचिंग, छोटी हाइक और पिकनिक के लिए बहुत अच्छे हैं। हालाँकि, यहाँ के स्थानीय निर्देशों का पालन करना और पर्यावरण का ध्यान रखना ज़रूरी है।
यहाँ कैसे पहुँचें:
हवाई मार्ग: कैमूर का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट बनारस (वाराणसी) है, जो लगभग 60 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग: मोहनिया (भभुआ रोड जंक्शन) जिले का मुख्य रेलवे जंक्शन है। यहाँ से देश के कई हिस्सों के लिए ट्रेनें मिलती हैं।
सड़क मार्ग: पटना से लगभग 200 किलोमीटर और वाराणसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। एनएच-30 के ज़रिए आरा होते हुए यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।
कहाँ ठहरें:
जिला प्रशासन द्वारा सूचीबद्ध विकल्प: होटल कैमूर विहार (मोहनिया), होटल कुबेर (भभुआ), होटल कोहिनूर (भभुआ), होटल मोहानिया विहार (मोहनिया), होटल आनंद लोक/डायमंड आदि।
स्टेशन के पास विकल्प: भभुआ रोड रेलवे स्टेशन के पास Panache Inn Kaimur Vihar समेत कई होटल ट्रेवल पोर्टल्स पर मिल जाएँगे।
यहाँ का खाना और संस्कृति:
भोजन: यहाँ लिट्टी-चोखा जैसा बिहार का मशहूर व्यंजन आसानी से मिल जाता है। स्टेशन और शहर के इलाके में उत्तर भारतीय शाकाहारी और स्नैक विकल्प भी उपलब्ध हैं।
रेस्तराँ: भभुआ में काइमूर जाइका समेत कई परिवार-उपयुक्त रेस्तराँ और मिठाई-नाश्ता केंद्र हैं जहाँ स्थानीय स्वाद के साथ किफायती विकल्प मिलते हैं।
त्योहार: मुंडेश्वरी धाम में महाशिवरात्रि पर मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। मुंडेश्वरी महोत्सव और नवरात्रि के दौरान भी यहाँ कई आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलते हैं।
निष्कर्ष:
झरनों की गूँज, अभयारण्य की हरियाली, आसान ट्रेकिंग रास्ते और प्राचीन मुंडेश्वरी धाम का आध्यात्मिक माहौल—कैमूर हिल्स प्रकृति, रोमांच और संस्कृति का एक अद्भुत संगम है। मानसून की बारिश से लेकर सर्दियों की धूप तक, यह इलाका हर मौसम में एक अलग अनुभव देता है और यहाँ की यात्रा हमेशा यादगार बन जाती है।

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