आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक खास काम करने वाले हैं. वो 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत राज्य की 50 लाख महिलाओं के बैंक खातों में सीधे 5,000 करोड़ रुपये जमा करेंगे. ये एक बड़ा कार्यक्रम है जिसका मकसद महिलाओं को अपना काम शुरू करने, छोटे-मोटे बिजनेस करने और रोजगार पाने में मदद करना है. सरकार ये पैसा सीधे बैंक खातों में डालेगी ताकि सब कुछ साफ-साफ हो और समय पर हो जाए. लेकिन राजनीतिक गलियारों में लोग इसे आने वाले चुनाव में महिलाओं को अपनी तरफ करने की कोशिश के तौर पर भी देख रहे हैं.
क्यों किया जा रहा है ऐसा?
बिहार सरकार पिछले 10 सालों से महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए कई काम कर रही है, जैसे कि स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) बनाना. 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' भी उसी का एक हिस्सा है. इसका मकसद है कि महिलाएं अपना खुद का काम शुरू करें, कुछ नया सीखें और छोटे बिजनेस को आगे बढ़ाएं. इस योजना के तहत हर महिला को लगभग 10,000 रुपये मिलेंगे. राजनीति के हिसाब से देखा जाए तो ये कदम 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के वोट पाने की तैयारी है.
किसका क्या कहना है?
मुख्यमंत्री: सरकार का कहना है कि वो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है और इससे उनके परिवार की इनकम भी बढ़ेगी. उनका ये भी कहना है कि पैसा सीधे बैंक में जाएगा जिससे कोई गड़बड़ी नहीं होगी.
वित्त विभाग: वित्त विभाग का कहना है कि वो पैसा धीरे-धीरे करके डालेंगे और बैंकों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि किसी को भी परेशानी न हो. अगर किसी को कोई दिक्कत होती है तो उसे भी ठीक किया जाएगा ताकि हर महिला को उसका पैसा मिल जाए.
सत्तापक्ष: सत्तापक्ष का कहना है कि वो अच्छे काम कर रहे हैं और सबका साथ सबका विकास कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे महिलाएं बिजनेस करने के लिए आगे आएंगी, स्वयं सहायता समूह बढ़ेंगे और गांवों में पैसा आएगा.
विपक्ष: विपक्ष का कहना है कि ये सिर्फ चुनाव के लिए किया जा रहा है. वो सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास ये देखने का कोई तरीका है कि ये पैसा महिलाओं को सही में रोजगार देगा या नहीं. वो ये भी पूछ रहे हैं कि सरकार ने महिलाओं को चुनने का क्या तरीका अपनाया है.
लोगों की राय
विपक्षी गठबंधन: विपक्षी गठबंधन का कहना है कि सरकार सिर्फ चुनाव के लिए ये सब कर रही है. उन्होंने सरकार से ये भी कहा है कि वो बताए कि कितना पैसा आया और कहां गया, और ये भी बताए कि क्या ये योजना सही से काम कर रही है.
सत्ताधारी पक्ष: सत्ताधारी पक्ष का कहना है कि वो महिलाओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं और इससे देश का विकास होगा.
आम लोग: गांवों में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को ये योजना अच्छी लग रही है. शहरों में कुछ लोग चाहते हैं कि सरकार उन्हें लोन लेने में मदद करे, बाजार तक पहुंचने में मदद करे और ट्रेनिंग भी दे. सोशल मीडिया पर लोग मिली-जुली बातें कर रहे हैं. कुछ लोग सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं तो कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार को ये देखना चाहिए कि योजना सही से काम कर रही है या नहीं.
इसका क्या असर होगा?
राजनीति: बिहार की राजनीति में महिलाओं का वोट बहुत मायने रखता है. इस योजना से सरकार महिलाओं के मुद्दों पर बात कर सकती है और उन्हें अपनी तरफ कर सकती है.
चुनाव: सरकार इस योजना के जरिए गरीब और पिछड़े वर्ग की महिलाओं तक पहुंच सकती है. इससे उन्हें चुनाव में फायदा हो सकता है.
जाति: अलग-अलग जाति की महिलाओं की जरूरतें अलग-अलग होती हैं, जैसे कि रोजगार, सुरक्षा और सरकारी योजनाएं. ये योजना सभी जातियों की महिलाओं को एक साथ ला सकती है क्योंकि सबको पैसे का फायदा होगा.
क्या हैं परेशानियां?
बैंकों तक पहुंचना, आधार कार्ड बनवाना, फॉर्म भरने में गलती होना और पैसे को रोजगार में बदलना कुछ परेशानियां हैं. अगर सरकार पैसे के साथ-साथ महिलाओं को ट्रेनिंग दे, उन्हें बाजार तक पहुंचने में मदद करे और लोन लेने में मदद करे, तो ये योजना लंबे समय तक काम कर सकती है. नहीं तो ये सिर्फ थोड़े समय के लिए पैसे देने जैसा होगा.
आखिर में
सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ये योजना शुरू की है. अब ये देखना है कि सरकार इस योजना को सही से चलाती है या नहीं और क्या ये योजना महिलाओं को सच में रोजगार देने में मदद करती है या नहीं.
