1917 में स्थापित पटना संग्रहालय, बिहार की सभ्यता, कला और इतिहास को दर्शाता है। इंडो-सरैसेनिक शैली में बना यह संग्रहालय एक जादुई घर है, जहां प्राचीन मूर्तियां, बौद्ध अवशेष, सिक्के, पेंटिंग और एक विशाल जीवाश्म वृक्ष-तना जैसी दुर्लभ वस्तुएं सुरक्षित हैं। राजेंद्र प्रसाद गैलरी भी यहां का एक भाग है। बौद्ध 'रिलिक कास्केट' यहां का एक विशेष आकर्षण है, जबकि प्रसिद्ध दीदारगंज यक्षी को बिहार संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। पर्यटकों के लिए अक्टूबर से मार्च तक का मौसम बेहतर होता है। इसके अलावा, आप गोलघर, गांधी मैदान, खुदा बख्श पुस्तकालय और बिहार संग्रहालय भी घूम सकते हैं। हवाई मार्ग से जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, रेल मार्ग से पटना जंक्शन और सड़क मार्ग से शहर के केंद्र तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। एग्जीबिशन रोड, फ्रेजर रोड और गांधी मैदान के आसपास कई बजट के होटल उपलब्ध हैं। यहां लिट्टी-चोखा, सत्तू पराठा और खाजा जैसे स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें।
परिचय
पटना संग्रहालय बिहार की सांस्कृतिक यात्रा का प्रवेश द्वार है। यहां मगध, मौर्य, गुप्त और औपनिवेशिक काल की झलक एक ही छत के नीचे देखने को मिलती है। इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला और व्यवस्थित दीर्घाएं कला, इतिहास और प्रकृति के दुर्लभ मिश्रण का अनुभव कराती हैं। यह संग्रहालय शोधकर्ताओं, छात्रों, यात्रियों और लेखकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इतिहास और महत्व
इस संग्रहालय की शुरुआत 1917 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। इसका उद्देश्य पटना और आसपास के क्षेत्रों से प्राप्त प्राचीन वस्तुओं का संग्रह करना था। समय के साथ, यहां शिल्प, सिक्के, ताम्रपत्र, पेंटिंग और बौद्ध अवशेषों का एक बड़ा संग्रह विकसित हुआ, जो बिहार की संस्कृति को दर्शाता है। दीदारगंज यक्षी पहले यहां का मुख्य आकर्षण थी, लेकिन अब इसे बिहार संग्रहालय में ले जाया गया है।
क्या देखें
- बौद्ध अवशेष: वैशाली से प्राप्त 'रिलिक कास्केट' संग्रहालय की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।
- मूर्तियां और टेराकोटा: मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त और पाल काल की कलाकृतियां शिल्प के विकास को दर्शाती हैं।
- राजेंद्र प्रसाद गैलरी: भारत के पहले राष्ट्रपति के जीवन, पत्रों और यादों से जुड़ी वस्तुएं यहां प्रदर्शित हैं।
- पेंटिंग और मुद्राशास्त्र: यहां पुराने समय की पेंटिंग और सिक्कों का संग्रह है।
- प्राकृतिक इतिहास/भूविज्ञान अनुभाग: यहां विशाल जीवाश्म वृक्ष-तना और अन्य नमूने हैं जो प्रकृति के इतिहास को दर्शाते हैं।
- विशेष उल्लेख: दीदारगंज यक्षी अब बिहार संग्रहालय में है। इसलिए, दोनों संग्रहालयों को एक साथ देखना बेहतर रहेगा।
घूमने का अनुभव
संग्रहालय की दीर्घाएं अलग-अलग विषयों पर आधारित हैं, जिससे दर्शकों को इतिहास को समझने में आसानी होती है। नवंबर से फरवरी के बीच का मौसम यहां घूमने के लिए अच्छा होता है। इस दौरान आप आराम से घूम फिर सकते हैं और तस्वीरें ले सकते हैं। मानसून में आप इनडोर गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। आप थीम पर आधारित गैलरी वॉक, स्केचिंग, फोटो स्टोरी और आसपास के स्थलों (गोलघर, खुदा बख्श पुस्तकालय, बिहार संग्रहालय, बुद्ध स्मृति पार्क) की यात्रा भी कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
- हवाई मार्ग: जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शहर में ही है। आप एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब ले सकते हैं।
- रेल मार्ग: पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर टर्मिनल और दानापुर जैसे रेलवे स्टेशनों से शहर के केंद्र तक ऑटो, कैब या बसें उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग: राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से पटना अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए, बस या कार से यहां पहुंचना आसान है। शहर में ऑटो, कैब और सिटी बसें भी उपलब्ध हैं।
- लोकेशन संकेत: बुद्ध मार्ग और फ्रेजर रोड इलाके में पर्यटकों के लिए घूमना आसान है।
कहां ठहरें
- अपमार्केट: होटल मौर्या, लेमन ट्री प्रीमियर और द पनाश जैसे होटल गांधी मैदान और फ्रेजर रोड के पास स्थित हैं। यहां बिजनेस की सुविधाएं और रेस्तरां भी उपलब्ध हैं।
- मध्य-श्रेणी: एग्जीबिशन रोड, फ्रेजर रोड और बोरिंग रोड में कई होटल और बुटीक स्टे उपलब्ध हैं।
- बजट/परिवार: गांधी मैदान और बुद्ध मार्ग के आसपास बजट होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं मिल जाएंगी।
स्थानीय भोजन और संस्कृति
पटना के खाने में लिट्टी-चोखा, सत्तू पराठा, चना घुघनी, मांस-भात, खाजा, तिलकुट, मालपुआ और ठेकुआ बहुत प्रसिद्ध हैं। छठ पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले-उत्सव शहर को जीवंत रखते हैं। यहां मगही, भोजपुरी और अंगिका भाषाएं बोली जाती हैं।
निष्कर्ष
पटना संग्रहालय एक जीवित विद्यालय की तरह है, जहां बिहार का इतिहास और संस्कृति एक साथ देखने को मिलते हैं। यह कला, इतिहास, फोटोग्राफी या रिसर्च में रुचि रखने वालों के लिए एक शानदार जगह है। यदि आप बिहार की संस्कृति को करीब से जानना चाहते हैं, तो पटना संग्रहालय और बिहार संग्रहालय की यात्रा जरूर करें। इससे आपको बिहार की आत्मा को समझने और एक नया नज़रिया प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

