गंगा नदी में, भागलपुर के पास, एक खास जगह है: विक्रमशिला गंगा डॉल्फ़िन अभयारण्य। ये भारत का इकलौता अभयारण्य है जहाँ डॉल्फ़िन को सुरक्षित रखा जाता है, और यहाँ गंगा की कई तरह की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु भी देखने को मिलते हैं।
क्या देखें यहाँ
लगभग 60 किलोमीटर तक गंगा नदी का हिस्सा अभयारण्य के रूप में सुरक्षित किया गया है। ये भागलपुर, बिहार में है। यहाँ पर गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन को बचाने का काम किया जाता है, क्योंकि इनकी संख्या अब बहुत कम हो गई है। आप यहाँ नाव की सवारी कर सकते हैं, गाइड के साथ घूम सकते हैं और प्रकृति को करीब से देख सकते हैं। 1991 में इस अभयारण्य को बनाया गया था, जो सुल्तानगंज से लेकर कहलगाँव तक फैला हुआ है। गंगा में रहने वाली डॉल्फ़िन के लिए ये जगह बहुत जरूरी है। यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से अप्रैल तक होता है। बरारी घाट, विक्रमशिला सेतु और माणिक सरकार घाट जैसी जगहों से आप डॉल्फ़िन को आसानी से देख सकते हैं। इसके अलावा, आप विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुराने अवशेष, अजगैबीनाथ मंदिर और भागलपुर का मशहूर तसर सिल्क भी देख सकते हैं। यहाँ आपको प्रकृति, इतिहास और धर्म का एक अनोखा संगम देखने को मिलेगा।
परिचय
भागलपुर जिले में गंगा नदी पर बना विक्रमशिला गंगा डॉल्फ़िन अभयारण्य 60 कि.मी. के दायरे में फैला है। ये जगह सुल्तानगंज से कहलगाँव तक है। इसे खास तौर पर गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन को बचाने के लिए बनाया गया है। ये डॉल्फ़िन भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है, इसलिए इसका संरक्षण बहुत जरूरी है। बिहार पर्यटन विभाग यहाँ बोटिंग और गाइडेड टूर आयोजित करता है, जिससे आप प्रकृति का आनंद ले सकते हैं और पर्यावरण के बारे में भी जान सकते हैं। इस अभयारण्य का नाम पास ही स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय के नाम पर रखा गया है, जो प्राचीन समय में शिक्षा का एक बड़ा केंद्र था। इसलिए, ये जगह न सिर्फ प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।
इतिहास और महत्व
विक्रमशिला गंगा डॉल्फ़िन अभयारण्य को 1991 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत बनाया गया था। इसका मकसद गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन की घटती संख्या को रोकना और उन्हें सुरक्षित रखना था। 2009 में, भारत सरकार ने गंगा डॉल्फ़िन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया, जिससे लोगों में इसके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ी। इस क्षेत्र में विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेष भी हैं, जिसे 8वीं-9वीं शताब्दी में पाल राजा धर्मपाल ने बनवाया था। ये विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। सुल्तानगंज में अजगैबीनाथ मंदिर भी है, जो श्रावणी मेले और कांवर यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस तरह, ये क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
यहाँ क्या-क्या है देखने लायक
- गंगेटिक डॉल्फ़िन देखना: आप बोट राइड पर जा सकते हैं और डॉल्फ़िन को देख सकते हैं। ये डॉल्फ़िन पानी में उछलती हैं और सांस लेने के लिए सतह पर आती हैं। आप उन्हें बिना किसी परेशानी के आराम से देख सकते हैं।
- अलग-अलग तरह के पक्षी: अभयारण्य में लगभग 198 तरह के पक्षी पाए जाते हैं। इसके अलावा, यहाँ ऊदबिलाव, घड़ियाल और कई तरह के कछुए भी रहते हैं।
- विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेष: काहलगाँव के पास अंटिचक में इस विश्वविद्यालय के पुराने अवशेष हैं। यहाँ आप स्तूप, मठ और आंगन देख सकते हैं, जो बौद्ध धर्म की शिक्षा के बारे में बताते हैं।
- अजगैबीनाथ मंदिर: सुल्तानगंज में गंगा नदी के किनारे ये शिव मंदिर है, जो श्रावणी मेले के दौरान बहुत प्रसिद्ध होता है। यहाँ से गंगा नदी का दृश्य बहुत सुंदर दिखता है।
- भागलपुर का तसर सिल्क: भागलपुर को सिल्क सिटी भी कहा जाता है। यहाँ तसर सिल्क (जिसे भोजा या वन्या सिल्क भी कहते हैं) बनाया जाता है। आप यहाँ बुनकरों को काम करते हुए देख सकते हैं और हाथ से बने सिल्क के कपड़े खरीद सकते हैं।
घूमने का अनुभव
आप यहाँ बोट राइड और गाइडेड टूर पर जा सकते हैं, जहाँ आप डॉल्फ़िन को बिना किसी डर के करीब से देख सकते हैं। बिहार पर्यटन विभाग के अनुसार, सितंबर से अप्रैल तक का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे अच्छा होता है। कुछ लोग मानसून में भी यहाँ आना पसंद करते हैं। इसलिए, आप मौसम के हिसाब से अपनी योजना बना सकते हैं। आप यहाँ तस्वीरें ले सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि वन्यजीवों को कोई परेशानी न हो।
यहाँ कैसे पहुँचे
- ट्रेन से: सबसे पास का रेलवे स्टेशन भागलपुर जंक्शन है। अभयारण्य सुल्तानगंज से कहलगाँव के बीच में है। बरारी घाट और विक्रमशिला सेतु के पास से आप डॉल्फ़िन को अच्छे से देख सकते हैं।
- हवाई जहाज से: सबसे पास के हवाई अड्डे देवघर (लगभग 93 कि.मी.), दरभंगा (लगभग 150 कि.मी.) और पटना (लगभग 193 कि.मी.) हैं। यहाँ से आप सड़क या रेल मार्ग से भागलपुर और कहलगाँव पहुँच सकते हैं।
- सड़क से: भागलपुर शहर से सुल्तानगंज (पश्चिम की ओर) और कहलगाँव (पूर्व की ओर) के लिए बस, टैक्सी और ऑटो आसानी से मिल जाते हैं। कहलगाँव से आप नाव या ऑटो रिक्शा से अभयारण्य तक जा सकते हैं।
कहाँ ठहरें
- भागलपुर शहर: यहाँ आपको होटल अशोका ग्रैंड, होटल चिन्मये इन और होटल मैक्स इन जैसे कई विकल्प मिल जाएंगे। ये होटल रेलवे स्टेशन और मुख्य सड़कों के पास हैं।
- कहलगाँव और आसपास: यहाँ बजट होटल और गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं। इनके बारे में जानकारी आपको ऑनलाइन मिल जाएगी। भागलपुर के होटल भी अभयारण्य से ज्यादा दूर नहीं हैं।
- घूमने की योजना: अभयारण्य में घूमने के लिए सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा होता है। आप शहर में ठहर सकते हैं और वहाँ से टैक्सी या ऑटो रिक्शा से घाट या बोटिंग पॉइंट तक पहुँच सकते हैं।
खाने-पीने की चीजें और संस्कृति
भागलपुर और इसके आसपास के इलाकों में कढ़ी-बरी, घुघनी, खिचड़ी और चूड़ा के साथ मालपुआ और रबड़ी जैसी मिठाइयाँ बहुत मशहूर हैं। यहाँ मछली से बने व्यंजन और सरसों के तेल का स्वाद भी खूब मिलता है। इस क्षेत्र में अंगिका भाषा बोली जाती है, और यहाँ की लोक परंपराएँ, मंजूषा कला और विशहरी/मनसा पूजा जैसी चीजें यहाँ की संस्कृति को दर्शाती हैं। तसर सिल्क की बुनाई और स्थानीय बाजार में हस्तशिल्प की चीजें खरीदना भी एक अच्छा अनुभव है।
निष्कर्ष
विक्रमशिला गंगा डॉल्फ़िन अभयारण्य भारत का एकमात्र डॉल्फ़िन अभयारण्य है। ये आपको गंगा नदी की डॉल्फ़िन और यहाँ के जीव-जंतुओं के बारे में जानने का एक शानदार मौका देता है। इसके अलावा, आप विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुराने अवशेष और सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ मंदिर भी देख सकते हैं। ये यात्रा आपको बहुत कुछ सिखाएगी और हमेशा याद रहेगी।

