बिहार में गंगा के किनारे बसे पटना और भागलपुर, दोनों ही शहरों का अपना अलग रंग है। यहाँ आपको आध्यात्म, इतिहास और प्रकृति का एक अनोखा संगम देखने को मिलेगा। पटना के गांधी घाट पर हर सप्ताह होने वाली गंगा आरती हो, एम.वी. गंगा विहार में नदी में क्रूज़ का मज़ा हो, या फिर गंगा के दियारा क्षेत्र की सुंदरता, ये सारे अनुभव आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। भागलपुर में विक्रमशिला गैंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी है, जहाँ आप गंगा की 60 किलोमीटर लंबी धारा में दुर्लभ डॉल्फिन को देख सकते हैं और नाव में विहार कर सकते हैं। काहलगांव के पास विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अवशेष हैं, जो पाल वंश के समय की शिक्षा और विरासत की कहानी कहते हैं। सुल्तानगंज में अजगैबीनाथ मंदिर है, जो कांवड़ यात्रा करने वालों के लिए एक खास जगह है। कुप्पाघाट आश्रम में महर्षि मेहीं ने साधना की थी और यहाँ उनकी गुफा भी है, जो लोगों को बहुत आकर्षित करती है। पटना का जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डा और भागलपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन यहाँ पहुँचने के लिए बहुत सुविधाजनक हैं।
परिचय
गंगा नदी के किनारे बसे पटना और भागलपुर, बिहार की आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक खूबसूरती का एक जीता-जागता उदाहरण हैं। यहाँ शाम की आरती से लेकर नदी के बीच बने द्वीप और डॉल्फिन सेंचुरी तक, आपको कई तरह के अनुभव मिलेंगे। पटना का गांधी घाट गंगा आरती के लिए जाना जाता है, तो भागलपुर में विक्रमशिला विश्वविद्यालय और गैंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी नदी की संस्कृति और उसे बचाने की अनूठी कहानी बताते हैं। भागलपुर को सिल्क का शहर भी कहा जाता है और यहाँ का स्थानीय शिल्प और विरासत भी बहुत खास है।
इतिहास और पौराणिक महत्व
गांधी घाट इसलिए खास है क्योंकि यहाँ महात्मा गांधी की अस्थियाँ विसर्जित की गई थीं। यहाँ होने वाली आरती हरिद्वार और वाराणसी की परंपरा से प्रेरित है और इसके लिए पुजारियों को खास ट्रेनिंग दी जाती है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने की थी। यह प्राचीन बौद्ध शिक्षा का केंद्र था और यहाँ उत्तरा-वाहिनी गंगा क्षेत्र की संस्कृति का गहरा प्रभाव दिखता है। सुल्तानगंज का अजगैबीनाथ मंदिर कांवड़ यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। यहाँ शिलालेखों और मूर्तियों का संग्रह है, जो इसे इतिहास और धर्म के नजरिए से बहुत खास बनाता है। कुप्पाघाट में महर्षि मेहीं परमहंस ने साधना की थी और यहाँ उनकी गुफा और आश्रम आज भी लोगों को अपनी और खींचते हैं।
क्या-क्या देखने लायक है
- गांधी घाट, पटना: यहाँ हर सप्ताह शाम को गंगा आरती होती है, आप नाव से गंगा दियारा जा सकते हैं और नदी के किनारे टहल सकते हैं।
- एम.वी. गंगा विहार रिवर क्रूज़ और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट: यहाँ आप सूर्यास्त के समय क्रूज़ का मजा ले सकते हैं और घाटों के सुंदर नज़ारे देख सकते हैं।
- विक्रमशिला गैंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी (सुल्तानगंज–कहलगांव): यहाँ आप डॉल्फिन देख सकते हैं और गंगा की जैव विविधता और संरक्षण के बारे में जान सकते हैं।
- विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहर, काहलगांव: यहाँ आप स्तूप, विहार और बौद्ध शिक्षा के इतिहास से जुड़ी चीजें देख सकते हैं।
- अजगैबीनाथ मंदिर, सुल्तानगंज: यह गंगा के किनारे बना एक शिव मंदिर है और श्रावणी मेले के दौरान यहाँ बहुत भीड़ होती है।
- कुप्पाघाट आश्रम, भागलपुर: यहाँ महर्षि मेहीं की साधना गुफा है और नदी का शांत वातावरण आपको बहुत अच्छा लगेगा।
- गांधी घाट पर पतंगबाजी और बोटिंग जैसे आयोजन भी होते हैं, जो लोगों को खूब पसंद आते हैं।
पर्यटन और अनुभव
गांधी घाट पर होने वाली सामूहिक आरती, मंत्रों का उच्चारण और धूप-दीप का नजारा हर शाम को एक अलग ही माहौल बना देता है। नदी में क्रूज़ और बोटिंग करते हुए पटना के ऐतिहासिक घाटों और गंगा-दियारा के नज़ारे और भी खूबसूरत लगते हैं। भागलपुर में डॉल्फिन देखना, फोटोग्राफी करना और शांत घाटों पर ध्यान लगाना बहुत लोकप्रिय है। यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से अप्रैल तक होता है, क्योंकि इस दौरान मौसम अच्छा रहता है और नदी के किनारे घूमना बहुत अच्छा लगता है।
कैसे पहुँचे
- हवाई मार्ग: पटना का जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डा (PAT) देश के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। यहाँ एक नया टर्मिनल भी बना है, जिससे यात्रियों को और भी सुविधाएँ मिल रही हैं।
- रेल मार्ग: भागलपुर जंक्शन साहिबगंज लूप पर स्थित है और यह कई बड़े शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग: भागलपुर और पटना को NH-33 जोड़ता है। इसके अलावा, जिले में NH-31 और NH-80 भी हैं, जिससे सड़क से यहाँ पहुँचना आसान है।
- स्थानीय परिवहन: पटना और भागलपुर दोनों शहरों में ऑटो-रिक्शा, बसें और प्राइवेट गाड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, जिससे आप घाटों तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
कहाँ ठहरें
- पटना: यहाँ आपको बीएसटीडीसी के होटल (जैसे होटल कौटिल्य विहार) और चाणक्य, द पैनाचे, गार्गी ग्रैंड जैसे कई अच्छे होटल मिल जाएंगे।
- भागलपुर: यहाँ होटल अशोका ग्रैंड, चिन्मये इन, राजहंस इंटरनेशनल जैसे कई होटल हैं, जिनमें से आप अपनी पसंद और बजट के हिसाब से चुन सकते हैं।
- सुल्तानगंज/धर्मशाला: कांवड़ यात्रा और मंदिर दर्शन के लिए यहाँ कई धर्मशालाएँ और गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं।
स्थानीय खानपान और संस्कृति
बिहार का पारंपरिक खाना लिट्टी-चोखा है, जिसमें सत्तू से भरी लिट्टी और भुने हुए बैंगन, आलू और टमाटर का चोखा होता है। छठ पर्व पर बनने वाली मिठाई ठेकुआ और सर्दियों में मिलने वाला तिलकुट यहाँ की मिठास और त्योहारों की संस्कृति का प्रतीक हैं। भागलपुर रेशम उद्योग के लिए देश-विदेश में जाना जाता है, इसलिए यहाँ आपको हाथों से बनी रेशम की कई खूबसूरत चीजें मिल जाएंगी।
निष्कर्ष
पटना और भागलपुर के गंगा घाट आध्यात्म, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम हैं। यहाँ आरती की दिव्य छटा से लेकर डॉल्फिन को देखने और नदी में क्रूज़ करने तक, आपको कई तरह के अनुभव मिलेंगे। विक्रमशिला के खंडहर, अजगैबीनाथ मंदिर और कुप्पाघाट आश्रम इस नदी की संस्कृति को और भी गहरा करते हैं। यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से अप्रैल तक होता है। यहाँ पहुँचने के लिए हवाई, रेल और सड़क तीनों मार्ग उपलब्ध हैं और ठहरने के लिए भी कई विकल्प मौजूद हैं, जो आपकी यात्रा को यादगार बना देंगे।


