बिहार के बेगूसराय जिले में सिमरिया घाट, गंगा नदी के उस मोड़ पर बसा है जहाँ नदी उत्तर की ओर बहती है। यह जगह बहुत खास है क्योंकि यहाँ कल्पवास की पुरानी परंपरा निभाई जाती है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन दूर-दूर से लोग गंगा स्नान करने आते हैं।
आजकल, यहाँ 550 मीटर लंबा एक सुंदर रिवरफ्रंट बना है। इस रिवरफ्रंट पर गंगा आरती होती है, तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और देव दीपावली पर हजारों दीये जगमगाते हैं। ये सब मिलकर यहाँ आने वाले लोगों को ऐसा अनुभव कराते हैं जो वे कभी नहीं भूल पाते।
सिमरिया घाट तक पहुँचना भी बहुत आसान है। पास में ही राजेन्द्र सेतु (मोकामा–सिमरिया) है और एक और छह लेन का पुल (औंटा–सिमरिया) भी बन गया है। इससे सड़क के रास्ते यहाँ आना-जाना बहुत सुविधाजनक हो गया है। अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं, तो दिनकर ग्राम सिमरिया और बेगूसराय/बरौनी जंक्शन आपके लिए सही स्टेशन रहेंगे। हवाई जहाज से आने वालों के लिए सबसे पास दरभंगा (लगभग 90 किमी) और पटना (लगभग 106 किमी) में हवाई अड्डे हैं। बेगूसराय जिले की वेबसाइट भी यही सलाह देती है कि पटना एयरपोर्ट सबसे अच्छा रहेगा।
सिमरिया घाट: एक परिचय
सिमरिया घाट गंगा नदी के किनारे बसा एक बहुत ही पुराना और पवित्र स्थान है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहाँ लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। धीरे-धीरे यह जगह बिहार में धार्मिक पर्यटन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती जा रही है। यहाँ कल्पवास मेला लगता है, रिवरफ्रंट को सुंदर बनाया गया है और गंगा आरती भी होती है।
इस जगह का साहित्यिक महत्व भी बहुत अधिक है, क्योंकि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म यहीं सिमरिया में हुआ था। पास में ही राजेन्द्र सेतु है, जो उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला गंगा नदी पर बना पहला पुल था। यह पुल भी इस क्षेत्र की पहचान का एक अहम हिस्सा है।
सिमरिया घाट का इतिहास और महत्व
सिमरिया धाम में कल्पवास मेले की परंपरा राजा जनक के समय से चली आ रही है। कार्तिक महीने में लोग यहाँ गंगा के किनारे कुटिया बनाकर रहते हैं, व्रत रखते हैं और हर दिन गंगा में स्नान करते हैं। इस जगह को कल्पवास धाम भी कहा जाता है और यहाँ समय-समय पर अर्धकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन भी होते रहे हैं।
बेगूसराय जिले के रिकॉर्ड बताते हैं कि ‘बेगूसराय’ नाम के पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि भागलपुर की बेगम हर महीने सिमरिया घाट पर तीर्थ करने आती थीं, इसलिए इस जगह का नाम ‘बेगम+सराय’ पड़ गया।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म 1908 में सिमरिया में हुआ था। इसी वजह से यह गाँव पूरे देश के साहित्य प्रेमियों और श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थ स्थान बन गया है। 1959 में राजेन्द्र सेतु के खुलने से इस इलाके को बिहार के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों से जुड़ने का मौका मिला, जिससे लोगों का आना-जाना आसान हो गया और व्यापार भी बढ़ा।
सिमरिया में घूमने लायक जगहें
- सिमरिया गंगा रिवरफ्रंट और सीढ़ी घाट: यहाँ शाम को गंगा आरती होती है, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और दीये जलाए जाते हैं, जो देखने में बहुत सुंदर लगते हैं।
- कल्पवास/कार्तिक पूर्णिमा स्नान: कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें लोग गंगा में स्नान करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। कल्पवास की परंपरा इस घाट की पहचान है।
- राजेन्द्र सेतु और औंटा–सिमरिया छह-लेन पुल: यहाँ से ऐतिहासिक राजेन्द्र सेतु और नए पुल के साथ बहती हुई गंगा नदी का दृश्य बहुत ही सुंदर लगता है। यह जगह फोटोग्राफी के लिए शानदार है।
- दिनकर जन्मस्थली: सिमरिया गाँव में ‘दिनकर’ जी का जन्म हुआ था। उनके घर और उनसे जुड़ी हुई चीजों को देखने के लिए साहित्य प्रेमी यहाँ आते हैं।
- काबर झील (कनवर लेक) बर्ड सेंक्चुरी: बेगूसराय में एशिया की सबसे बड़ी झील है, जो पक्षियों के लिए बहुत मशहूर है। सिमरिया घूमने आने वाले लोग यहाँ भी घूमने जा सकते हैं।
सिमरिया में पर्यटन और अनुभव
कार्तिक के महीने में (खासकर कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली के समय) यहाँ आने पर आपको धर्म, श्रद्धा और संस्कृति का एक साथ अनुभव होता है। आजकल यहाँ रिवरफ्रंट पर गंगा आरती होती है, काशी से आए पंडित अनुष्ठान करते हैं, भजन-संध्या होती है और लेज़र शो भी दिखाया जाता है। ये सब देखकर लोग बहुत खुश होते हैं।
प्रशासन यहाँ भीड़ को संभालने, सुरक्षा बनाए रखने और यातायात को ठीक रखने का पूरा इंतजाम करता है, जिससे लोगों को स्नान करने और पूजा-पाठ करने में कोई परेशानी नहीं होती। रिवरफ्रंट के सुंदर बनने से यहाँ फोटोग्राफी करना, आरती देखना और नदी के किनारे शांति से बैठना और भी अच्छा लगता है।
सिमरिया कैसे पहुँचे
- ट्रेन से: सबसे पास का स्टेशन दिनकर ग्राम सिमरिया (DKGS) है। इसके अलावा, बेगूसराय (BGS) स्टेशन से भी यहाँ के लिए ट्रेनें मिल जाती हैं। सिमरिया से बरौनी के लिए भी कई गाड़ियाँ चलती हैं।
- सड़क से: राजेन्द्र सेतु (मोकामा–सिमरिया) गंगा नदी पर बना हुआ है, जो उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ता है। औंटा–सिमरिया छह-लेन का नया पुल बनने से यहाँ आना-जाना और भी आसान हो गया है। बेगूसराय जिले की वेबसाइट के अनुसार, सड़क से यहाँ पहुँचना बहुत सुविधाजनक है।
- हवाई जहाज से: सबसे पास के हवाई अड्डे दरभंगा (लगभग 89.5 किमी) और पटना (लगभग 106.5 किमी) में हैं। जिले की वेबसाइट के अनुसार, पटना एयरपोर्ट सबसे अच्छा विकल्प है।
सिमरिया में कहाँ ठहरें
- द अशोका (Begusarai): यह बेगूसराय शहर में एक अच्छा होटल है।
- होटल युवराज DX (बिहट/बरौनी क्षेत्र): यह होटल बरौनी के पास है, जो IOC/NTPC के दौरे पर आने वाले लोगों के लिए अच्छा है।
- ज़ीरो माइल रूम्स (बिहट-IV): यह कम बजट में रहने के लिए एक अच्छी जगह है।
- सरोजिनी गार्डन होटल एंड रेस्टोरेंट (Begusarai): यह होटल परिवार और दोस्तों के साथ ठहरने के लिए अच्छा है। यहाँ रेस्टोरेंट भी है।
- रामा रॉयल रिसॉर्ट्स (Barauni): यह बरौनी में ठहरने के लिए एक अच्छा विकल्प है।
सिमरिया का खाना और संस्कृति
सिमरिया को मिथिला, मगध और अंग जैसे क्षेत्रों का मिलन माना जाता है। इसलिए यहाँ अलग-अलग तरह की भाषाएँ और रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। कार्तिक पूर्णिमा और कल्पवास के समय नेपाल और मिथिलांचल से भी बहुत सारे लोग आते हैं, जिससे यहाँ के लोक संगीत और परंपराओं को देखने का मौका मिलता है। सिमरिया महोत्सव और देव दीपावली पर गंगा आरती होती है, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और 30,000 दीये जलाए जाते हैं। ये सब मिलकर इस जगह को और भी खास बनाते हैं। खाने के लिए बेगूसराय और बरौनी में कई होटल और रेस्टोरेंट हैं, जहाँ आप अलग-अलग तरह के व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं।
निष्कर्ष
सिमरिया घाट एक ऐसी जगह है जहाँ धर्म, साहित्य (दिनकर जी की जन्मभूमि), ऐतिहासिक पुल और आधुनिक रिवरफ्रंट सब कुछ एक साथ देखने को मिलता है। यह बिहार के उन खास स्थानों में से है जहाँ आपको परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण देखने को मिलेगा। कार्तिक के महीने में यहाँ गंगा आरती होती है और उत्सव जैसा माहौल रहता है, जिससे यह जगह आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाती है। यहाँ का सौंदर्यीकरण और अच्छी कनेक्टिविटी लोगों को यहाँ घूमने के लिए प्रेरित करती है।


