पावापुरी, जो बिहार के नालंदा जिले में है, जैन धर्म के लिए एक बहुत ही खास जगह है। यहाँ जल मंदिर है, जहाँ भगवान महावीर, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, का अंतिम संस्कार किया गया था। मंदिर में उनकी पवित्र चरण पादुका (पैर के निशान) भी हैं।
यह मंदिर बहुत खूबसूरत है। यह सफेद संगमरमर से बना है और कमल के फूलों से भरे एक तालाब के बीच में है। एक पुल इसे जमीन से जोड़ता है, जिससे यह और भी सुंदर दिखता है।
कहा जाता है कि जब भगवान महावीर का अंतिम संस्कार हुआ, तो लोग उनकी चिता की राख और मिट्टी लेने के लिए उमड़ पड़े। इससे वहाँ एक गड्ढा बन गया, जो बारिश के पानी से भर गया और बाद में एक तालाब बन गया।
यहाँ का माहौल बहुत शांत और पवित्र है। मंदिर की वास्तुकला बहुत ही सुंदर है। इसलिए, यह जैन धर्म के तीर्थ स्थानों में एक खास जगह रखता है। यहाँ आने का सबसे अच्छा समय सितंबर से अप्रैल के बीच होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर यहाँ एक मेला लगता है, जो बहुत ही आध्यात्मिक होता है।
पावापुरी सड़क, रेल और हवाई मार्ग से राजगीर, नालंदा और पटना से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
पावापुरी का जल मंदिर जैन धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भगवान महावीर के निर्वाण (मोक्ष) और दाह-संस्कार का स्थान है। कमल के तालाब के बीच बना यह सफेद संगमरमर का मंदिर शांति, पवित्रता और सुंदरता का प्रतीक है। मंदिर के मुख्य भाग में भगवान महावीर की चरण पादुका स्थापित हैं।
ऐसा माना जाता है कि भगवान महावीर ने 527-528 ईसा पूर्व में पावापुरी में निर्वाण प्राप्त किया था। यहीं पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था, और उनकी याद में जल मंदिर बनाया गया है।
कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के भाई नंदिवर्धन ने करवाया था, ताकि इस पवित्र स्थान की याद हमेशा बनी रहे। लोगों की राख और मिट्टी लेने की वजह से वहाँ एक गड्ढा बन गया, जो बारिश के पानी से भर गया और एक कमल का तालाब बन गया। यह मंदिर जैन धर्म, संस्कृति और शांति का जीता जागता उदाहरण है।
पावापुरी में घूमने के लिए कई जगह हैं:
जल मंदिर: यह कमल के तालाब के बीच में बना सफेद संगमरमर का मंदिर है। यहाँ भगवान महावीर की चरण पादुका हैं।
गाँव मंदिर: यह स्थानीय लोगों के लिए एक पवित्र जगह है। इसे भगवान महावीर के निर्वाण से जोड़ा जाता है।
सामोसारण मंदिर: पावापुरी में सामोसारण और नया सामोसारण भी हैं। ये जैन धर्म के उपदेशों की याद दिलाते हैं।
कमल का तालाब और पुल: यह शांत तालाब बहुत सुंदर है। यहाँ कई पक्षी भी आते हैं। पुल इसे मुख्य भूमि से जोड़ता है।
आस-पास के दर्शनीय स्थल: आप नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष, विश्व शांति स्तूप (राजगीर) और ह्वेनसांग मेमोरियल भी जा सकते हैं।
यहाँ का वातावरण बहुत शांत और ध्यान करने के लिए अच्छा है। मंदिर में आपको शालीन कपड़े पहनने चाहिए, मौन रहना चाहिए और जूते बाहर उतारने चाहिए। यहाँ आने का सबसे अच्छा समय सितंबर से अप्रैल के बीच है। कार्तिक पूर्णिमा का मेला बहुत ही खास होता है। आप यहाँ तस्वीरें ले सकते हैं और मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। मंदिर और तालाब की तस्वीरें लेना बहुत अच्छा लगेगा।
यहाँ पहुँचने के लिए आप इन रास्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
हवाई मार्ग: सबसे पास का हवाई अड्डा पटना में है, जो लगभग 100-101 किलोमीटर दूर है। आप गया हवाई अड्डे (70-78 किलोमीटर) भी जा सकते हैं।
रेल मार्ग: सबसे पास का रेलवे स्टेशन राजगीर में है। आप पटना रेलवे स्टेशन भी जा सकते हैं। पावापुरी रोड रेलवे स्टेशन बख्तियारपुर-तिलैया लाइन पर है।
सड़क मार्ग: पटना, राजगीर, गया और बिहारशरीफ से बसें और टैक्सियाँ आसानी से मिल जाती हैं। राजगीर यहाँ से लगभग 19 किलोमीटर, बिहारशरीफ 15 किलोमीटर और पटना 101 किलोमीटर दूर है।
यहाँ ठहरने के लिए कई जगह हैं:
*दिगंबर जैन धर्मशाला, पावापुरी: यह जल मंदिर से लगभग 300 मीटर दूर है। यहाँ साफ कमरे, भोजन और पार्किंग की सुविधा है।
पावापुरी तीर्थ धर्मशाला: यह धर्मशाला जैन यात्रियों के लिए है। इसका पता है: पावापुरी, नालंदा। यहाँ रहने के लिए कुछ नियम हैं जिनका आपको पालन करना होगा।
राजगीर के होटल: राजगीर में कई होटल हैं, जैसे द राजगीर रेजिडेंसी, गार्गी गौतम विहार रिज़ॉर्ट और नालंदा रीजेंसी। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (BSTDC) की वेबसाइट पर भी राजगीर में होटलों की सूची दी गई है।
यहाँ के खाने और संस्कृति के बारे में कुछ बातें:
नालंदा का सिलाव खाजा एक खास मिठाई है जिसे 2018 में जीआई टैग मिला था। यह मिठाई परतदार होती है और इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है। यह राजगीर-नालंदा क्षेत्र की पहचान है। बिहार के लिट्टी-चोखा, सत्तू से बने व्यंजन और यहाँ के मेले यहाँ के स्वाद और संस्कृति को दिखाते हैं। मंदिर में आपको शालीन कपड़े पहनने चाहिए, जूते बाहर उतारने चाहिए और शांत रहना चाहिए। इससे आपको यहाँ का अनुभव और भी अच्छा लगेगा।
कुल मिलाकर, पावापुरी का जल मंदिर आस्था, इतिहास और प्रकृति का एक अद्भुत संगम है। कमल के तालाब के बीच बना यह संगमरमर का मंदिर आपको शांति का अनुभव कराता है। यह जैन धर्म के तीर्थ स्थानों में एक खास जगह है। नालंदा-राजगीर के आस-पास कई ऐतिहासिक स्थल हैं और यहाँ का खाना भी बहुत स्वादिष्ट है। इसलिए, यह यात्रा आपके लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक खोज का एक अच्छा अवसर है।

