सितंबर 2025 की बारिश: उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में बाढ़ जैसी तबाही
परिचय
सितंबर 2025 की शुरुआत भारत के कई राज्यों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रही। अचानक हुई तेज बारिश ने उत्तराखंड और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों को बुरी तरह प्रभावित किया है। देहरादून, सहस्त्रधारा और मणिपुर का इम्फाल वैली इस समय सबसे ज्यादा संकट झेल रहे हैं। बाढ़ और भूस्खलन की वजह से स्कूल बंद हैं, सड़कें टूट चुकी हैं और कई गाँव पूरी तरह से देश के बाकी हिस्सों से कट गए हैं।
उत्तराखंड में सहस्त्रधारा रोड जलमग्न
राजधानी देहरादून के मशहूर सहस्त्रधारा रोड पर पानी का सैलाब आ गया। कई गाड़ियाँ फँस गईं और लोगों को घंटों ट्रैफिक जाम झेलना पड़ा। भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने से यात्रियों को भारी दिक़्क़त का सामना करना पड़ा।
मणिपुर का इम्फाल वैली संकट में
मणिपुर के इम्फाल वैली में नदियाँ उफान पर हैं। गाँवों और कस्बों का संपर्क टूट चुका है। कई लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे और राहत सामग्री का इंतजार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश इसी तरह जारी रही तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
जनजीवन पर असर
- शिक्षा पर असर: कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए।
- परिवहन बाधित: सड़कों पर पानी भरने से बसें और ट्रेनें प्रभावित।
- बिजली-पानी संकट: ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप और पेयजल की किल्लत।
- जीवनरक्षक सेवाएँ: अस्पतालों तक पहुँच मुश्किल, दवाइयों की कमी।
राहत और बचाव कार्य
सरकार और प्रशासन ने तेजी से कदम उठाए हैं।
NDRF और SDRF की टीमें प्रभावित इलाकों में तैनात हैं।
राहत शिविर बनाकर खाने-पीने और दवाइयाँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मुआवज़े की घोषणा: उत्तराखंड सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए राहत पैकेज जारी किया।
लोगों की कहानियाँ
स्थानीय निवासी संदीप (45) बताते हैं,
“इतनी बारिश मैंने पिछले दस सालों में नहीं देखी। घर से निकलना असंभव है और बच्चों की पढ़ाई भी रुक गई है।”
सोशल मीडिया पर लोग बाढ़ के वीडियो और तस्वीरें शेयर कर रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर #UttarakhandFlood और #ManipurFloods ट्रेंड कर रहे हैं।
भविष्य की चेतावनी
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे तक भारी बारिश की संभावना जताई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल सामान्य बारिश नहीं बल्कि क्लाइमेट चेंज का असर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में ऐसी आपदाएँ और गंभीर हो सकती हैं।
निष्कर्ष
सितंबर 2025 की यह बारिश हमें याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने के लिए हमें सिर्फ राहत कार्यों पर नहीं, बल्कि लंबी अवधि की रणनीति पर काम करना होगा। जलवायु परिवर्तन को समझना और उसके अनुसार शहरों व गाँवों की योजना बनाना अब अनिवार्य हो गया है।

