अमेरिकी वीज़ा पाबंदियों की चिंता से एशियाई बाजार दबाव में, तकनीकी नियमों पर सबकी निगाहें

24 सितंबर को वैश्विक बाजारों में अमेरिकी वीज़ा पाबंदियों को लेकर चिंता छाई रही, जिससे एशियाई शेयरों में गिरावट आई और भारतीय शेयर बाजार कमजोर हुआ। इसके साथ ही, टिकटॉक पर अमेरिकी नियंत्रण और ओपनएआई-जॉनी आइव के सहयोग जैसे तकनीकी विकासों ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। इसलिए निकट भविष्य में बाजार की दिशा नीतिगत स्पष्टता पर निर्भर कर सकती है।

अमेरिकी वीज़ा को लेकर चिंताएं भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का मुख्य कारण बनीं, जिससे पूरे एशिया में नकारात्मक माहौल बना। तकनीकी क्षेत्र में नियमों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, और टिकटॉक व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वाले कई उपकरणों पर दुनिया भर में हो रही चर्चाओं ने निवेशकों को और भी ज्यादा सतर्क कर दिया है।

मुख्य समाचार

  • नई दिल्ली/वॉशिंगटन, 24 सितंबर 2025: बुधवार को पूरी दुनिया के बाजारों में डर का माहौल रहा। अमेरिकी वीज़ा को लेकर लगाई गई पाबंदियों की वजह से एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट आई, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी दिखा। जानकारों का कहना है कि कुशल श्रमिकों की श्रेणी सहित वीज़ा नियमों को कड़ा करने से आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) सेवाओं और स्टार्टअप इकोसिस्टम (कारोबार प्रणाली) के लिए परेशानी बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब यह देखना होगा कि इसका असर कर्मचारियों की आवाजाही और विदेश में चल रहे प्रोजेक्ट्स पर क्या होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, तकनीकी क्षेत्र में बड़े बदलावों को लेकर बातचीत चल रही है। टिकटॉक के अमेरिकी संचालन के स्ट्रक्चर पर नियंत्रण से जुड़े संभावित सौदे और AI हार्डवेयर की नई श्रेणियों पर सहयोग जैसी खबरों से बाजार में सेंटीमेंट (माहौल) प्रभावित हो रहा है।
  • बिजनेस मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओपनएआई और एप्पल के पूर्व डिजाइन प्रमुख जॉनी आइव के बीच AI से चलने वाले उपकरणों (जैसे कि स्मार्ट ग्लास और बिना स्क्रीन वाले स्पीकर) पर साथ मिलकर काम करने की योजना बन रही है, जो कंज्यूमर टेक (उपभोक्ता तकनीक) के भविष्य को बदल सकती है। इसके अलावा, टिकटॉक पर अमेरिकी नियंत्रण की अटकलों और ऑरेकल जैसे बड़े कारोबारियों के संभावित रूप से शामिल होने की खबरों ने बिग टेक कंपनियों पर सबकी नजरें टिका दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वीज़ा पाबंदियों और तकनीकी नियमों को लेकर स्थिति जल्दी साफ नहीं होती है, तो उभरते बाजारों में पैसे का आना-जाना (कैपिटल फ्लो) अस्थिर हो सकता है। खासकर उन क्षेत्रों में जो कुशल कर्मचारियों (टैलेंट) और प्लेटफार्म पर आधारित विकास पर निर्भर हैं।
  • भारत की बात करें तो, अमेरिकी नीतियों के अलावा, यहां के घरेलू कारक भी बाजार की चाल तय कर रहे हैं। हालांकि, जब दुनिया में अनिश्चितता का माहौल होता है, तो निवेशक सुरक्षित और वैल्यू-ओरिएंटेड पोर्टफोलियो (निवेश) की तरफ झुकते हैं। इससे थोड़े समय के लिए बाजार में उतार-चढ़ाव होने के बावजूद निवेश के कुछ अच्छे मौके मिल सकते हैं। कुल मिलाकर, छोटे और हाई-बीटा शेयरों में फिलहाल जोखिम ज्यादा दिख रहा है। लेकिन लंबे समय में, नीतिगत स्पष्टता और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (संचार तकनीक) में बदलाव की कहानी निर्णायक साबित हो सकती है।

आगे की राह

अगले कुछ दिनों में अमेरिकी वीज़ा नीति और टिकटॉक/AI उपकरणों से जुड़ी कोई ठोस खबर आने पर बाजार में हलचल हो सकती है। फिलहाल निवेश की रणनीति में जोखिम को कम करने और अलग-अलग सेक्टरों में निवेश करने पर ध्यान देना सही रहेगा।

Raviopedia

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