अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप्प, दूसरे हफ़्ते में प्रवेश; ट्रंप के ट्रक टैक्स से दुनिया भर के बाज़ारों में हलचल

अमेरिकी सरकार के कामकाज में रुकावट से ज़रूरी आर्थिक आँकड़े आने में देरी हो रही है। वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाहर से आने वाले ट्रकों पर 25% टैक्स लगाने का एलान कर दिया है। यूरोप और एशिया में बाज़ारों का मूड मिला-जुला रहा, लेकिन टेक कंपनियों के सौदों से नैस्डैक में थोड़ा उछाल आया।

मुख्य ख़बर:

अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप्प होकर दूसरे हफ्ते में चला गया है। इससे सरकारी दफ़्तरों का काम और ज़रूरी आर्थिक आँकड़ों का प्रकाशन रुक गया है। सरकारी आँकड़ों के अभाव में, निवेशक अब निजी क्षेत्र के आँकड़ों और फ़ेडरल रिज़र्व के बयानों पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव बना हुआ है।

इसी बीच, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 नवंबर से बाहर से आने वाले मध्यम और भारी ट्रकों पर 25% टैक्स लगाने का एलान किया है। इस फ़ैसले से दुनिया भर की सप्लाई चेन और ऑटो सेक्टर में सतर्कता बढ़ गई है।

एशिया और वॉल स्ट्रीट पर असर:

टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में उछाल के कारण एसएंडपी 500 और नैस्डैक रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गए, जबकि डाउ पर दबाव रहा, जिससे बाज़ारों का मूड मिला-जुला रहा। एशिया-प्रशांत बाज़ारों में निक्केई ने टेक्नोलॉजी में तेज़ी की वजह से एक नया रिकॉर्ड बनाया, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग थोड़ा कमज़ोर रहा। भारतीय बाज़ारों के लिए भी संकेत मिले-जुले रहे, और शुरुआती रुझान सतर्कता दिखा रहे हैं।

पृष्ठभूमि:

सरकारी कामकाज में रुकावट के चलते नौकरियों के आँकड़ों जैसे ज़रूरी डेटा का प्रकाशन टल गया है, जिससे नीति बनाने वालों और बाज़ारों के लिए अनिश्चितता बढ़ गई है। दूसरी ओर, AMD और OpenAI के बीच कई सालों के लिए AI चिप सप्लाई के सौदे ने टेक सेक्टर में कॉम्पिटिशन बढ़ा दिया है, और निवेशकों को थोड़ा सहारा मिला है।

अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां:

इसके साथ ही, मध्य-पूर्व और पूर्वी यूरोप में सुरक्षा से जुड़ी घटनाएँ और निर्वासन से जुड़े अपडेट भी 7 अक्टूबर की सुबह की मुख्य ख़बरों में शामिल थे। कुल मिलाकर, नीति और भू-राजनीति दोनों मोर्चों पर अनिश्चितता ने दुनिया भर में जोखिम लेने की भावना को प्रभावित किया है।

विश्लेषण:

ट्रकों पर टैक्स लगाने का असर दुनिया भर में गाड़ियों की सप्लाई चेन और भारत से ऑटो पार्ट्स के निर्यात पर पड़ सकता है। हालाँकि, इसका अंतिम असर कीमतों में बदलाव और रास्तों में बदलाव पर निर्भर करेगा। अगर सरकारी कामकाज में रुकावट लंबी खिंचती है, तो फ़ेडरल खर्च, ठेकों और लोगों की भावनाओं पर दबाव बढ़ सकता है, जिसका असर उभरते बाज़ारों में आने वाले पैसे पर भी दिखेगा।

आगे की राह:

आने वाले दिनों में, सरकारी कामकाज को फिर से शुरू करने की बातचीत, ट्रक टैक्स के नियमों का एलान और टेक सौदों पर नियामकीय नज़रें बाज़ारों की दिशा तय करेंगी। भारतीय बाज़ार को एशिया के संकेतों और विदेशी निवेशकों के रुख़ पर ध्यान रखना होगा।

Raviopedia

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