सुप्रीम कोर्ट में एक अहम मामला सामने आया है। क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिए जाने के मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
यह याचिका वांगचुक की पत्नी, डॉ. गितांजलि जंगपा आंग्मो ने दायर की है। उनका कहना है कि वांगचुक की हिरासत गैरकानूनी है और यह उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई के बाद सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है और अगली तारीख तय कर दी है।
क्या हुआ कोर्ट में?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को ज़रूरी मानते हुए फौरन रिकॉर्ड तलब किए हैं। साथ ही, राज्य प्रशासन से भी स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। याचिका में कहा गया है कि वांगचुक का शांतिपूर्ण तरीके से जलवायु के लिए काम करना NSA के दायरे में नहीं आता है। यह उनकी आज़ादी पर गलत तरीके से लगाई गई रोक है। कोर्ट ने दोनों पक्षों से सबूत पेश करने को कहा है, ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके।
यह मामला क्यों उठा?
पिछले कुछ महीनों में NSA जैसे सख्त कानूनों के इस्तेमाल को लेकर काफी बहस हो रही है। लोगों का कहना है कि सरकार इनका इस्तेमाल विरोध को दबाने के लिए कर रही है। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पहुंचा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार असहमति को राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बताकर गलत कर रही है। यह लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है।
किस पर होगा असर?
इस मामले का असर बोलने की आजादी, शांतिपूर्ण विरोध करने के अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर पड़ सकता है। कोर्ट यह भी तय कर सकता है कि सरकार कब और कैसे प्रिवेंटिव डिटेंशन का इस्तेमाल कर सकती है। कोर्ट की टिप्पणियां पुलिस और प्रशासन के लिए नए नियम बना सकती हैं।
किसकी क्या प्रतिक्रिया?
इस मामले पर अभी तक सरकार की ओर से कोई खास बयान नहीं आया है। उम्मीद है कि सरकार कोर्ट में हलफनामा दायर करके अपना पक्ष रखेगी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला प्रिवेंटिव डिटेंशन कानूनों के इतिहास से जुड़ा है। पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन कानूनों का इस्तेमाल सिर्फ 'अत्यावश्यक' स्थिति में ही किया जाना चाहिए। वांगचुक लेह-लद्दाख में जलवायु और टिकाऊ विकास के लिए काम करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
इसका क्या मतलब है?
शुरुआती नोटिस से पता चलता है कि कोर्ट इस मामले की गहराई से जांच करना चाहता है। भविष्य में, यह NSA के इस्तेमाल के नियमों को तय करने में मदद कर सकता है। अगर कोर्ट इस बारे में कोई निर्देश जारी करता है, तो यह लोगों की आज़ादी और देश की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने का एक अच्छा उदाहरण होगा।
आगे क्या होगा?
अगली सुनवाई में सरकार अपना पक्ष रखेगी। इसके बाद कोर्ट यह तय कर सकता है कि वांगचुक को राहत दी जाए या नहीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला प्रिवेंटिव डिटेंशन के मामलों में एक मिसाल बन सकता है।
