अक्टूबर में हुई MPC की मीटिंग में ब्याज दरें जस की तस रहीं। इस साल 1% की कटौती के बाद ये लगातार दूसरी बार है जब ब्याज दरों को स्थिर रखा गया है। RBI ने GST में सुधार और दुनिया भर में टैरिफ को लेकर चल रही अनिश्चितता के बीच महंगाई को काबू में रखने के लिए थोड़ा सब्र रखने का फैसला किया है।
कहां और कब:
मुंबई में, बुधवार 1 अक्टूबर 2025 को ये फैसला हुआ। 6 अक्टूबर को बाजार ने इस पर कैसी प्रतिक्रिया दी, ये भी सामने आ गया।
क्या हुआ:
RBI की MPC ने रेपो रेट को 5.5% पर ही रखा है। बैंक रेट/MSF 5.75% और SDF 5.25% पर हैं। CRR में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
क्यों हुआ:
CPI कम हो रही है और देश में चीजों की मांग भी ठीक-ठाक है। लेकिन दुनिया भर में टैरिफ को लेकर जो माहौल है, रुपये में जो उतार-चढ़ाव हो रहा है, और विकास के संकेत जिस तरह से आ रहे हैं, उसे देखते हुए RBI ने फिलहाल रुकना ही बेहतर समझा।
किस पर होगा असर:
होम लोन, ऑटो लोन और MSME लोन की EMI फिलहाल नहीं बढ़ेंगी। बॉन्ड यील्ड, बैंकों की फंडिंग कॉस्ट और शेयर बाजार में थोड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, जो कि संकेतों पर निर्भर करेगा। सोने की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
क्या कहा गया:
गवर्नर ने कहा कि ब्याज दरों को रोकने का फैसला 'डेटा पर निर्भर' है। इसका मतलब है कि आगे जो आंकड़े आएंगे, उन्हें देखकर ही कोई फैसला लिया जाएगा। जानकारों का मानना है कि इस साल ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम है और ये भी आंकड़ों पर ही निर्भर करेगा।
पहले क्या हुआ:
फरवरी से जून 2025 के बीच ब्याज दरों में 1% की कटौती की गई थी। उसके बाद अगस्त में भी ब्याज दरों को स्थिर रखा गया था। GST में सुधार और अमेरिका के टैरिफ का भी ध्यान रखा गया है।
क्या होगा:
ब्याज दरें स्थिर रहने से लोन की लागत का अनुमान लगाया जा सकता है। लेकिन RBI को विकास को बढ़ावा देने के लिए महंगाई और रुपये से जुड़े जोखिमों का आकलन करना होगा। सोने की कीमतों में आज जो उछाल आया है, वो लोगों की भावनाओं को दिखाता है।
आगे क्या:
अगली पॉलिसी आने तक, RBI को महंगाई के आंकड़े और दुनिया भर के हालात पर नज़र रखनी होगी। बैंकों की ब्याज दरों में बदलाव और बाजार में पैसे की स्थिति पर भी ध्यान देना होगा।
