व्हाईट हाउस में प्रेस वालों को बताया गया कि भारत ने रूस से तेल का आयात कम कर दिया है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रम्प ने उनसे ऐसा करने को कहा था। इस बात से पता चलता है कि पश्चिम एशिया और यूक्रेन को लेकर क्या चल रहा है।
मुख्य खबर:
व्हाईट हाउस के प्रेस दफ़्तर में सुबह-सुबह बताया गया कि भारत अब रूस से कम तेल खरीद रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से ऐसा करने का अनुरोध किया था। इस खबर का असर दुनिया भर के तेल बाज़ारों और देशों के बीच के संबंधों पर पड़ सकता है।
प्रेस सचिव कैरोलाइन लिविट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस बात से खुश नहीं हैं कि यूक्रेन में चल रही लड़ाई को ख़त्म करने की दिशा में ज़्यादा तरक्की नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि ट्रम्प रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए दूसरे देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
इसी बीच, अमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर और ज़्यादा पाबंदियाँ लगा दी हैं। इस वजह से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे विकासशील देशों को तेल खरीदने में ज़्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।
पश्चिम एशिया के बारे में बात करते हुए, ट्रम्प ने यह भी कहा कि अगर इज़राइल ने वेस्ट बैंक में कुछ भी ऐसा किया जो शांति के लिए अच्छा नहीं है, तो अमेरिका शायद उसका समर्थन न करे। उन्होंने साफ़ कर दिया कि इस इलाके में शांति बनाए रखने के लिए अमेरिका की क्या शर्तें हैं।
जानकारों का मानना है कि भारत के रूस से कम तेल खरीदने से उसे दूसरे देशों से तेल खरीदना पड़ेगा और लंबी अवधि के लिए तेल के समझौते करने होंगे। हालाँकि, भारत के लिए सबसे ज़रूरी यह है कि वह अपने देश में तेल की कीमतों को स्थिर रखे।
आगे क्या होगा:
आने वाले हफ़्तों में शायद तेल की कीमतों, रूस पर लगी पाबंदियों और यूक्रेन में शांति वार्ता को लेकर कुछ नई घोषणाएँ हों। इन सबका असर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है।
