मुंबई में 8-9 अक्टूबर को हुए ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में भारत और यूके के बीच फिनटेक कॉरिडोर, सीईओ फोरम, और शिक्षा-तकनीक में साझेदारी पर ज़ोर दिया गया। 350 मिलियन यूरो का मिसाइल आपूर्ति समझौता और यूके के विश्वविद्यालयों के भारत में कैम्पस खुलने की घोषणा मुख्य आकर्षण रहे।
मुख्य खबर:
यूके के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान, ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में दोनों देशों ने फिनटेक कॉरिडोर लॉन्च करने, सीईओ फोरम की बैठक करने, और कनेक्टिविटी-इनोवेशन केंद्र स्थापित करने जैसे कई ज़रूरी मुद्दों पर सहमति जताई। यह दिखाता है कि दोनों देश एक-दूसरे के यहां ज़्यादा निवेश करेंगे और डिजिटल दुनिया में मिलकर आगे बढ़ेंगे।
शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में, यूके के नौ विश्वविद्यालय भारत में अपने कैम्पस खोलेंगे। इसके अलावा, स्वास्थ्य अनुसंधान पर आईसीएमआर और एनआईएचआर के बीच एक समझौता भी हुआ है।
रक्षा सहयोग में, 350 मिलियन यूरो का हल्के मल्टीरोल मिसाइल (एलएमएम/मार्टलेट) देने का समझौता हुआ है। इससे भारत में उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और सप्लाई-चेन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
टेक्नोलॉजी स्टार्टअप फंड, एआई जॉइंट सेंटर, और जेटको रीसेट पर बनी सहमति से आने वाले समय में इनोवेशन, पूंजी, और लोगों के विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
कारोबार के नज़रिए से, फिनटेक रेगुलेशन, डेटा-प्रोटेक्शन, और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट सिस्टम पर तालमेल बिठाना ज़रूरी है, ताकि आगे बढ़ने की रफ़्तार बनी रहे।
असर:
फिनटेक, रक्षा, और शिक्षा-तकनीक में सहयोग से भारत की निर्यात सेवाओं, उच्च-तकनीकी उत्पादन, और कौशल विकास को बढ़ावा मिल सकता है। इससे अच्छी नौकरियां मिलेंगी और रिसर्च एंड डेवलपमेंट में ज़्यादा निवेश होगा।
अगर नीतियां स्पष्ट हों और नियम समान हों, तो निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और स्टार्टअप से लेकर बड़ी कंपनियों तक, सभी मिलकर तेज़ी से आगे बढ़ेंगे।
निष्कर्ष:
अगले चरण में, योजनाओं, पायलट प्रोजेक्ट्स, और संयुक्त कार्यसमूहों की रूपरेखा सामने आने के बाद ज़मीनी स्तर पर काम करने में आसानी होगी और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ेगी।
