बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में वोट डाले जाएंगे, और 14 नवंबर को नतीजे घोषित होंगे। इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि NDA और INDIA गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक चुनावी रैली में बड़ा वादा किया है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी सरकार फिर से सत्ता में आती है, तो अगले 5 सालों में 1 करोड़ नौकरियां दी जाएंगी। इस घोषणा के बाद दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज़ हो गया है।
क्या है पूरा मामला?
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों पर चुनाव दो चरणों में होंगे। NDA में बीजेपी और जेडीयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि एलजेपी (राम विलास) को 29 सीटें दी गई हैं। इसके अलावा, एचएएम और आरएलएम 6-6 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाएंगे।
वहीं, INDIA ब्लॉक (आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी) भी जल्द ही सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने वाला है। इस बीच, जन सुराज के प्रशांत किशोर ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है।
किसने क्या कहा?
चुनाव प्रचार में सभी पार्टियां जोर-शोर से लगी हुई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी रैली में कहा कि उनकी सरकार ने पहले भी रोजगार के अवसर पैदा किए हैं, और आगे भी करेगी।
दूसरी ओर, बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने बिहार में 'जंगल राज' की वापसी की चेतावनी दी है। उन्होंने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर उनकी सरकार आई तो राज्य में फिर से अराजकता फैल जाएगी। कांग्रेस के जयराम रमेश ने करपुरी ठाकुर की सरकार गिराने के लिए संघ को दोषी ठहराया है, जिससे राजनीतिक बयानबाजी और तेज़ हो गई है।
किन मुद्दों पर हो रहा है चुनाव?
बिहार में शराबबंदी, कानून-व्यवस्था, युवाओं को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे हमेशा से ही चुनावी चर्चा में रहे हैं। इस बार भी इन मुद्दों पर ही चुनाव लड़ा जा रहा है। दोनों गठबंधन इन मुद्दों पर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं और जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
वोटों का गणित
बिहार में महिला वोटरों, युवाओं और जातीय समीकरणों का चुनाव पर काफी असर पड़ता है। इसलिए, सभी पार्टियां टिकट बांटते समय इन बातों का ध्यान रख रही हैं।
क्या हो सकता है नतीजा?
जानकारों का मानना है कि रोजगार, शिक्षा और उद्योग जैसे मुद्दों पर किए गए वादे मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, गठबंधन और टिकट वितरण भी चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।
हालांकि, चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था, त्योहारों का मौसम और मौसम की मार भी एक बड़ी चुनौती होगी। चुनाव आयोग और प्रशासन इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं।
आगे क्या होगा?
आने वाले दिनों में दोनों गठबंधन अपने घोषणापत्र जारी करेंगे और स्टार प्रचारकों की रैलियां होंगी। इन सभी चीजों का चुनाव पर असर पड़ेगा। फिलहाल, सभी की निगाहें 6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हैं। सुरक्षा व्यवस्था और मतदाता जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराए जा सकें।
