बिहार में 2025 के चुनावों को लेकर एनडीए और महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर ज़ोरदार बहस चल रही है। इस बीच, सीपीआई (एम-एल) ने दिव्या गौतम को दिघा सीट से उतारकर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। वोटिंग दो चरणों में होगी, 6 और 11 नवंबर को। सभी बड़ी पार्टियां जल्द ही अपनी आखिरी लिस्ट जारी कर सकती हैं।
मुख्य खबर:
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही, गठबंधन के दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत तेज़ हो गई है। एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के बीच बराबरी की सीटों पर सहमति बनाने की कोशिश चल रही है, लेकिन कुछ सीटों पर मतभेद की खबरें भी आ रही हैं। टाइम्स लाइव ब्लॉग के अनुसार, सहयोगी दलों के बीच कुछ खास इलाकों को लेकर खींचतान बनी हुई है, हालांकि पार्टियों की तरफ से कहा जा रहा है कि सब कुछ ठीक चल रहा है।
वहीं दूसरी तरफ, महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे पर आखिरी फैसला अभी तक नहीं हो पाया है। लेकिन, दलों ने यह ज़रूर कहा है कि अगले एक-दो दिनों में सब कुछ तय हो जाएगा। इसी बीच, दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की बहन दिव्या गौतम को सीपीआई (एम-एल) ने पटना की दिघा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। दिव्या ने दिघा के लोगों से इलाके की समस्याओं को दूर करने का वादा किया है। उन्होंने कहा है कि दिघा में पानी की समस्या, खराब स्ट्रीट लाइट और ट्रैफिक जाम जैसे मुद्दों को हल करना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी।
चुनाव आयोग ने यह भी ज़रूरी कर दिया है कि सभी उम्मीदवार अपने सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी दें। इससे चुनाव प्रचार में पारदर्शिता आएगी और यह भी पता चलेगा कि उम्मीदवार चुनाव के नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिए जाने वाले विज्ञापनों के लिए भी चुनाव आयोग से इजाजत लेनी होगी और यह भी बताना होगा कि विज्ञापन पर कितना खर्च हो रहा है। चुनाव आयोग का यह कदम फेक खबरों और गलत प्रचार को रोकने के लिए है।
बिहार में 243 सीटों के लिए चुनाव दो चरणों में होंगे, 6 और 11 नवंबर को। चुनाव आयोग ने पहले ही इसकी घोषणा कर दी है, जिसके बाद सभी पार्टियां ज़ोर-शोर से प्रचार में जुट गई हैं। बेरोजगारी, सड़कें और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे इस बार चुनाव में छाए हुए हैं। सभी पार्टियां अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट और रोड शो के कार्यक्रम को फाइनल करने में लगी हैं। खबरों में यह भी सुनने को मिल रहा है कि गठबंधन के अंदर कुछ नेता अपनी पार्टी से खुश नहीं हैं और वे दूसरी पार्टी में जा सकते हैं।
विश्लेषण:
सीटों के बंटवारे में देरी होने से उम्मीदवारों के चुनाव, बूथ लेवल पर मैनेजमेंट और प्रचार के लिए पैसे के इंतजाम पर सीधा असर पड़ता है। इससे पार्टियों को शुरुआत में मिलने वाली बढ़त कम हो सकती है। दिव्या गौतम जैसी नई उम्मीदवार के आने से शहरों में स्थानीय मुद्दों और जाति की राजनीति का समीकरण बदल सकता है, जो कि देखना दिलचस्प होगा।
आगे की राह:
अगले 24 से 48 घंटों में, उम्मीद है कि बड़े गठबंधन सीटों के बंटवारे का ऐलान कर देंगे। इसके बाद टिकट बंटने और नामांकन भरने का काम तेज़ी से शुरू हो जाएगा। चुनाव आयोग के नए नियमों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर प्रचार करना अब उतना आसान नहीं होगा और सभी को नियमों का पालन करना होगा।
