पहले चरण के लिए नामांकन ने हजार का आंकड़ा पार किया, कई जिलों से आंकड़े आना जारी है। अमित शाह-नीतीश मुलाकात के बाद सीट-बंटवारे पर अटकलों को विराम देने की कोशिश हुई, मगर ‘फ्रेंडली फाइट’ के संकेत भी दिखे।
चुनावी घमासान शुरू:
बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरे ज़ोरों पर हैं। पहले चरण के लिए 121 सीटों पर 1,250 से ज़्यादा उम्मीदवारों ने पर्चा भर दिया है। अभी कुछ और जिलों से आंकड़े आने बाकी हैं, तो ये गिनती और भी बढ़ सकती है।
महागठबंधन में सब ठीक नहीं?
एक तरफ तो महागठबंधन साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कर रहा है, दूसरी तरफ कई सीटों पर उनके अपने ही नेता आपस में लड़ने को तैयार बैठे हैं। इसे 'फ्रेंडली फाइट' कहा जा रहा है, लेकिन इससे गठबंधन में तालमेल की कमी साफ़ दिख रही है।
शाह-नीतीश मिले, क्या हुआ बात?
इन सबके बीच, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात हुई। माना जा रहा है कि ये मुलाकात इसलिए हुई ताकि लोगों को ये बताया जा सके कि बीजेपी और जेडीयू के बीच सब ठीक है और सीट बंटवारे को लेकर कोई झगड़ा नहीं है।
पार्टियां कर रहीं हैं जोड़-तोड़:
पार्टियां अब अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने, रूठे हुए नेताओं को मनाने और हर पोलिंग बूथ के लिए अलग-अलग रणनीति बनाने में लगी हैं।
क्या है बिहार का चुनावी गणित?
बिहार में चुनाव हमेशा से ही जाति, धर्म और पुराने गठबंधनों के हिसाब से होता आया है। कौन उम्मीदवार है और किस पार्टी को कितनी सीट मिल रही है, ये सब बहुत मायने रखता है। अभी जो खबरें आ रही हैं, उनसे पता चल रहा है कि इस बार मुकाबला काफ़ी दिलचस्प होने वाला है।
क्या होगा इसका असर?
इतने सारे उम्मीदवारों के मैदान में होने से कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय हो सकता है। इससे वोटों का बंटवारा होगा और छोटी पार्टियां भी 'किंगमेकर' बन सकती हैं। एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए ये ज़रूरी है कि वो सीटों का बंटवारा ठीक से करें और अपने बागियों को मना लें, वरना उन्हें नुकसान हो सकता है।
आगे क्या होगा?
अभी तो नामांकन की जांच होगी और कुछ लोग अपना नाम वापस भी लेंगे। इसके बाद ही पता चलेगा कि असली मुकाबला किन उम्मीदवारों के बीच है। आने वाले दिनों में बड़े नेता रैलियां करेंगे, पार्टियां अपने घोषणापत्र जारी करेंगी और जाति के समीकरणों को साधने की कोशिश करेंगी।
