फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने आज प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के साथ मिलकर एक नए मंत्रिमंडल का गठन किया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब फ्रांस की राजनीति में काफी अस्थिरता है। रक्षा और अर्थव्यवस्था जैसे अहम विभागों में बदलाव किए गए हैं। जानकारों का मानना है कि यह फेरबदल मैक्रों सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती लेकर आएगा, क्योंकि उन्हें संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा।
राजनीतिक संकट में मैक्रों का दांव
फ्रांस की नेशनल असेंबली में किसी भी दल को बहुमत हासिल नहीं है। ऐसे में सरकार को कानून पारित कराने के लिए विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करना होगा। यह एक मुश्किल काम होगा, क्योंकि विपक्षी दल सरकार की नीतियों के खिलाफ हैं।
हाल ही में, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जो विफल हो गया। हालांकि, इससे सरकार की कमजोर स्थिति उजागर हो गई है। मैक्रों सरकार को अब अपनी नीतियों को जनता तक पहुंचाने और विपक्षी दलों को साथ लाने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
मंत्रिमंडल में बदलाव
नए मंत्रिमंडल में कई अहम बदलाव किए गए हैं। रक्षा मंत्री और अर्थव्यवस्था मंत्री को बदल दिया गया है। इन दोनों पदों पर नए चेहरों को लाया गया है। जानकारों का मानना है कि यह बदलाव सरकार की नीतियों में बदलाव का संकेत है।
नए रक्षा मंत्री पर देश की सुरक्षा को मजबूत करने की जिम्मेदारी होगी। वहीं, नए अर्थव्यवस्था मंत्री को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए काम करना होगा।
यूरोपीय संघ पर असर
फ्रांस यूरोपीय संघ का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता का असर यूरोपीय संघ पर भी पड़ सकता है। मैक्रों सरकार को यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि यूरोपीय संघ को मजबूत बनाया जा सके।
आगे की राह
आने वाले हफ्तों में फ्रांस की राजनीति में काफी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। सरकार को संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा और बजट और सुधार विधेयकों को पारित कराना होगा। यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
जानकारों का मानना है कि मैक्रों सरकार को अपनी नीतियों को जनता तक पहुंचाने और विपक्षी दलों को साथ लाने की जरूरत है। तभी वह राजनीतिक स्थिरता हासिल कर पाएगी।
