मुख्य बातें:
- मध्य प्रदेश और राजस्थान में 11 बच्चों की दुखद मौत के बाद, 'कोल्ड्रिफ' नामक कफ सिरप पर कार्रवाई और जाँच का दायरा बढ़ गया है।
- विशेषज्ञों की रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक आने की उम्मीद है।
विस्तृत खबर
कई राज्यों में 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप से संदिग्ध मौतों की खबरें आने के बाद हड़कंप मच गया है। बिक्री और वितरण पर तत्काल रोक लगा दी गई है, और मामले की गंभीरता को देखते हुए जाँच तेज़ी से की जा रही है। दुख की बात है कि अब तक 11 बच्चों की जान जा चुकी है, जिससे दवाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
टीवी पर प्रसारित खबरों में एक और बच्चे की मौत का ज़िक्र किया गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। राज्य सरकारें पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा देने और मामले की जाँच करने में जुटी हैं। इस बीच, केंद्र सरकार और दवा नियामक एजेंसियों पर कफ सिरप की कड़ी जाँच करने का दबाव बढ़ रहा है।
असम के मुख्यमंत्री ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि एक और हाई-प्रोफाइल जाँच में नमूना रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक आने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि फॉरेंसिक जाँच में थोड़ा समय लग सकता है।
दवा सुरक्षा से जुड़े मामलों में कुछ अहम मुद्दे सामने आए हैं, जैसे कि क्वालिटी कंट्रोल में कमी, सप्लाई चेन में गड़बड़ी और बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाओं की बिक्री। इन मुद्दों पर नीति निर्माताओं को ध्यान देना होगा। नियामक एजेंसियां सैंपल टेस्टिंग, बैच रिकॉल और लाइसेंस रद्द करने जैसे कदम उठा रही हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता को बच्चों को दवा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर के बताए अनुसार ही दवा देनी चाहिए और अगर कोई असामान्य लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
फिलहाल, अधिकारियों की प्राथमिकता फॉरेंसिक और लैब रिपोर्ट का इंतज़ार करना है। इसके बाद, वे संदिग्ध बैचों का पता लगाएँगे और क्लीनिकल ऑडिट करेंगे। रिपोर्ट आने के बाद ही ज़िम्मेदारी तय की जाएगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
