दिल्ली में 'ग्रीन पटाखे' की बहस फिर शुरू, क्या AQI सुधरेगा? दिवाली से पहले चिंता!

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता को लेकर फिर से बातें शुरू हो गई हैं। 'ग्रीन पटाखे' कितने कारगर हैं, इस पर सवाल उठ रहे हैं। AQI में थोड़ा सुधार तो हुआ है, लेकिन यह ऊपर-नीचे होता रहा है। मुंबई में भी AQI 'मॉडरेट' रहा, जो दिखाता है कि सर्दियों में प्रदूषण को रोकना कितना मुश्किल है।

मुख्य खबर:

दिवाली आने वाली है और राजधानी में 'ग्रीन पटाखे' को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। इनके इस्तेमाल और प्रदूषण को रोकने के उपायों पर लोग बात कर रहे हैं, क्योंकि हाल ही में AQI में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक नहीं है।

इंडियन एक्सप्रेस के लाइव अपडेट्स के अनुसार, दिल्ली का AQI 193 से गिरकर 169 हो गया है। कुछ जानकारों का मानना है कि यह सुधार थोड़ा ही है। वहीं, मुंबई में AQI 149 है, जो 'मॉडरेट' माना जाता है। इससे पता चलता है कि शहरों में प्रदूषण कितना गंभीर है।

कुछ रिपोर्ट्स में 'ग्रीन पटाखे' के प्रयोग की सच्चाई बताई गई है। इन रिपोर्ट्स में सवाल उठाया गया है कि यह नीति कितनी कारगर है। खासकर तब, जब निगरानी ठीक से नहीं हो रही है, पटाखे बेचने पर नियंत्रण नहीं है और आतिशबाजी के लिए तय समय का पालन नहीं किया जा रहा है। लोगों को जागरूक करने के बाद भी, नागरिकों के व्यवहार में बदलाव के संकेत कम ही दिख रहे हैं। इसलिए, इस नीति के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं हैं।

प्रशासन प्रदूषण को रोकने के लिए कई योजनाएं चला रहा है। इनमें सड़कों को मशीनों से साफ करना, धूल को नियंत्रित करना, निर्माण कार्यों पर नजर रखना और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाना शामिल है। लेकिन, आंकड़ों से पता चलता है कि इससे तुरंत राहत नहीं मिल रही है। इसलिए, एजेंसियों पर और भी ठोस कदम उठाने का दबाव है।

दिल्ली में हर साल सर्दियों में पराली जलाने, मौसम में बदलाव और स्थानीय कारणों से प्रदूषण बढ़ जाता है। ऐसे में, 'ग्रीन पटाखे' जैसी नीति सिर्फ एक अस्थायी उपाय साबित होती है। यह प्रदूषण को रोकने का लंबे समय तक चलने वाला समाधान नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि AQI को बेहतर बनाने के लिए कई क्षेत्रों में काम करना होगा। प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करना होगा, साफ ईंधन का इस्तेमाल करना होगा, यातायात को ठीक से चलाना होगा और अलग-अलग क्षेत्रों में तालमेल बिठाना होगा। इसके साथ ही, त्योहारों के दौरान आतिशबाजी के लिए कम समय तय करना होगा और लोगों को उत्सव मनाने के दूसरे तरीकों के लिए मनाना होगा।

मुंबई जैसे शहरों में भी AQI 'मॉडरेट' बना हुआ है। इससे पता चलता है कि यह समस्या पूरे देश में है और इसे सिर्फ एक नीति से हल नहीं किया जा सकता है।

आगे की राह:

दिवाली से पहले प्रशासन 'ग्रीन पटाखे' के नियमों का पालन कराने, बिक्री पर नियंत्रण रखने और समय-सीमा का सख्ती से पालन कराने पर ध्यान देगा। इसके साथ ही, AQI में सुधार लाने के लिए कई तरह के कदम उठाएगा। नागरिकों को भी जिम्मेदारी से व्यवहार करना होगा और उत्सव मनाने के दूसरे तरीकों को अपनाना होगा।

Raviopedia

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