ओडिशा के तट पर हुआ परीक्षण, भारत की रक्षा क्षमता में एक बड़ा उछाल
मुख्य खबर:
17 अक्टूबर, 2025 को DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने ओडिशा के तट के पास एक लंबी दूरी की सतह-से-आकाश मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल खास तौर पर तेज़ गति से आने वाले हवाई खतरों को रोकने के लिए बनाई गई है।
यह परीक्षण भारत की वायु रक्षा क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक बहुत जरूरी कदम है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, मिसाइल ने परीक्षण के दौरान सभी कसौटियों को पूरा किया। इससे हमारे वायु सुरक्षा तंत्र की ताकत और भरोसे दोनों में सुधार होने की उम्मीद है।
रक्षा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि इस नई क्षमता से हवाई सीमाओं की सुरक्षा, महत्वपूर्ण ठिकानों की रक्षा और हमारी निवारण क्षमता में सुधार होगा। इसका मतलब है कि हम किसी भी हवाई हमले का जवाब देने के लिए और भी बेहतर तरीके से तैयार रहेंगे।
हाल के सालों में, भारत में ही रक्षा प्रणालियों को बनाने पर जोर दिया जा रहा है। यह सफलता 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
सबसे खास बात यह रही कि मौसम और हालात खराब होने के बावजूद, मिसाइल ने एकदम सटीक निशाना लगाया और कमांड-एंड-कंट्रोल लिंक स्थिर रहा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली का एक ज़रूरी हिस्सा है। इससे हमारे तटीय और अंदरूनी इलाकों में स्थित संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा और भी बढ़ जाएगी।
सरकार ने सेमीकंडक्टर स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एक नई नीति को भी मंज़ूरी दी है। इससे एयरोस्पेस और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा। यानी, हम इन क्षेत्रों में और ज़्यादा चीज़ें खुद ही बनाने लगेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में डेटा गोपनीयता कानून पर सुनवाई चल रही है। इसके साथ ही, रक्षा तकनीक में स्वदेशीकरण से नागरिक-रक्षा समन्वय के नए रास्ते भी खुल रहे हैं।
आगे की राह:
आने वाले महीनों में, मिसाइल के और भी परीक्षण किए जाएंगे। इसके बाद, इसे हमारी रक्षा प्रणाली में शामिल किया जाएगा। इससे हमारी वायु रक्षा प्रणाली और भी मज़बूत हो जाएगी।
