ETtech मॉर्निंग डिस्पैच के अनुसार, Groww के फाउंडर्स ने IPO से पहले अपना स्टेक बढ़ाया है, और Ola Electric Tech को 878 करोड़ रुपये तक का फंड जुटाने की परमिशन मिल गई है। भारत के टेक सेक्टर में ग्लोबल कंपटीशन और इन्वेस्टमेंट को लेकर बातें तेज़ हो गई हैं।
मेन खबर:
आज सुबह टेक और स्टार्टअप दुनिया में दो बड़ी खबरें आईं। ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म Groww के फाउंडर्स ने अपनी कंपनी के नवंबर में आने वाले IPO से पहले और शेयर खरीदे हैं। उधर, Ola Electric की टेक यूनिट को अपनी ही कंपनी से 878 करोड़ रुपये तक का फंड मिलने वाला है। इसके लिए बोर्ड और शेयरहोल्डर्स ने हामी भर दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि Ola Electric Tech इस पैसे का इस्तेमाल अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सिस्टम को और बेहतर बनाने में करेगी। इसमें बैटरी टेक्नोलॉजी, प्लेटफॉर्म और मैन्युफैक्चरिंग को अपग्रेड करना शामिल है।
इसके अलावा, जेनरेटिव AI, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट पॉलिसी और विदेशी मालिकाना हक की लिमिट जैसे मुद्दों पर भी बात हो रही है, जिसका असर टेक कंपनियों को मिलने वाले फंड पर पड़ सकता है।
यह क्यों है जरूरी:
IPO और फंडिंग में हो रही बढ़ोतरी दिखाती है कि इन्वेस्टर्स को भारतीय टेक स्टार्टअप्स पर भरोसा है और सरकार की नीतियां भी साफ हैं। इससे इन कंपनियों की वैल्यूएशन और आगे बढ़ने की योजनाओं पर अच्छा असर पड़ेगा।
देश और दुनिया में हो रही कंपटीशन को देखते हुए इन्वेस्टर्स इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कंपनियों को पैसे का सही इस्तेमाल करना चाहिए और मुनाफा कमाना चाहिए। इससे पॉलिसी बनाने में भी मदद मिलेगी।
किस पर होगा असर:
इसका सीधा असर छोटे और बड़े इन्वेस्टर्स, EV बनाने वाली कंपनियों और टेक सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर पड़ेगा। आने वाले समय में और भी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट हो सकती हैं। सरकार की नीतियों और कंपनियों के फैसलों का असर फंड के मूवमेंट और वैल्यूएशन पर होगा।
ट्रेंड:
इंडस्ट्री में इस बात पर चर्चा हो रही है कि भारत में टेक का इस्तेमाल करने वाले लोग तेजी से बढ़ रहे हैं, AI के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्टमेंट हो रहा है और भारत के पास बड़ा यूजर बेस और डेवलपर इकोसिस्टम है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में बैटरी और सेल टेक्नोलॉजी को देश में ही बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है।
एनालिसिस:
जिनके बिजनेस मॉडल अच्छे हैं और जो कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर ध्यान देते हैं, वे आसानी से आगे बढ़ पाएंगे। लेकिन जो कंपनियां ज्यादा पैसे खर्च कर रही हैं, उन्हें मार्केट से दबाव का सामना करना पड़ेगा। ऐसा लगता है कि EV और फिनटेक जैसे सेक्टर में इन्वेस्टमेंट 2025 के बाकी महीनों में भी जारी रहेगा।
आगे की राह:
आने वाले हफ्तों में मार्केट की नजर ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस, वैल्यूएशन बैंड्स और शेयर अलॉटमेंट की तारीखों पर रहेगी। EV सप्लाई चेन में नई घोषणाएं भी हो सकती हैं। पॉलिसी के मामले में, विदेशी मालिकाना हक की लिमिट और AI-डेटा नियमों पर स्पष्टीकरण से इन्वेस्टर्स का भरोसा और मजबूत हो सकता है।
