साल 2025 में, सरकारी और निजी क्षेत्रों के संयुक्त प्रयासों से भारत में AI निवेश 20 अरब डॉलर से ज़्यादा हो गया है। इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक नया दौर शुरू होने की उम्मीद है। भारतAI मिशन और बेहतर GPU इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के फ़ोकस के साथ, घरेलू मॉडल विकास, डेटा इकोसिस्टम और शिक्षा-कौशल विकास पर इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
मुख्य समाचार:
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, इस साल भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर का मिला-जुला निवेश 20 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि सरकार ने नीतियों को बढ़ावा दिया, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया और इंटरनेशनल सहयोग को तेज़ किया।
मंत्रालय का कहना है कि ये उछाल 2013-2024 के बीच प्राइवेट सेक्टर के 11.1 अरब डॉलर के इन्वेस्टमेंट और 2024 के आखिर तक कुल 12.3 अरब डॉलर तक पहुंचे इन्वेस्टमेंट पर टिका है। 2025 में, बड़े पैमाने पर किए गए वादों के साथ ये आंकड़ा 20 अरब डॉलर से भी ज़्यादा हो गया।
मार्च 2024 में भारतAI मिशन को मंज़ूरी मिली थी। इसका लक्ष्य 10,000 से ज़्यादा GPU क्षमता वाले कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और कई भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षित 100 अरब से ज़्यादा पैरामीटर वाले स्वदेशी मॉडल डेवलप करना है। इस पहल का शुरुआती फ़ोकस 300-500 GPU की तुरंत ख़रीद पर है, ताकि स्टार्टअप्स और रिसर्च इंस्टीट्यूट को ज़रूरी कंप्यूटिंग मिल सके।
केंद्र सरकार की Transforming India with AI जैसी पहलों और अक्टूबर 2025 में जारी की गई विषय संबंधी रिपोर्टों से पता चला है कि AI की मदद से असंगठित मज़दूरों के लिए समाधान निकाले जा सकते हैं और सभी को साथ लेकर विकास किया जा सकता है। इसके अलावा, 2025-26 के केंद्रीय बजट में शिक्षा के लिए AI सेंटर बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे शिक्षा-टेक्नोलॉजी, टीचर-असिस्टेंट डिवाइस और स्किल डेवलपमेंट के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा।
AI इन्वेस्टमेंट का ये पैमाना हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, फाइनेंशियल इंक्लूजन, लॉजिस्टिक्स और गवर्नेंस में सुधार लाने में मदद कर सकता है। साथ ही, 2026 तक 10 लाख से ज़्यादा प्रोफेशनल्स की डिमांड होने का अनुमान है। इंडस्ट्री और गवर्नमेंट की पार्टनरशिप, GPU इंफ्रास्ट्रक्चर, ओपन-सोर्स मॉडल सपोर्ट और खास सेक्टर के लिए एप्लीकेशन के साथ, भारत अगले दो-तीन सालों में ग्लोबल AI वैल्यू-चेन में आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज़िम्मेदार AI, डेटा-गवर्नेंस, साइबर सिक्योरिटी और स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान देना ज़रूरी है, ताकि इन्वेस्टमेंट का सही फ़ायदा सभी को मिल सके।
भविष्य की योजना:
अगले 6-12 महीनों में GPU ख़रीद, सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस, शिक्षा-AI इंटीग्रेशन और सेक्टर-स्पेसिफिक पायलट प्रोजेक्ट्स से ज़मीनी स्तर पर असर दिखने की उम्मीद है। स्टार्टअप्स के लिए कंप्यूट क्रेडिट, पब्लिक-डेटा एक्सेस और इंटरनेशनल को-डेवलपमेंट प्रोग्राम इन्वेस्टमेंट को असलियत में बदलने के लिए ज़रूरी होंगे।
