12 राज्यों में वोटर लिस्ट अपडेट करने का काम शुरू, जानिए 51 करोड़ वोटरों पर इसका क्या असर होगा

चुनाव आयोग आज से 12 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए एक और कदम उठाने जा रहा है। मकसद ये है कि शहरों में रहने वाले लोग, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, या जिनका नाम दो जगह है, उनकी जानकारी ठीक की जा सके। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इस पर सवाल उठाए हैं।

मुख्य खबर:

चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को और भी बेहतर बनाने के लिए एक खास प्रोग्राम का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। इसमें 12 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 51 करोड़ वोटरों का नाम शामिल है।

चुनाव आयोग का कहना है कि उनका ध्यान नए वोटरों का नाम जोड़ने, जो लोग मर चुके हैं या जिनका नाम दो बार आ गया है, उनका नाम हटाने और जिनका पता बदल गया है, उनकी जानकारी अपडेट करने पर है। इससे 2025-26 में होने वाले चुनावों से पहले वोटर लिस्ट और भी सही हो जाएगी।

इस बीच, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इस प्रोग्राम को लेकर कुछ राजनीतिक पार्टियों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि ये प्रोग्राम ऐसे समय पर क्यों हो रहा है और क्या इसे करने का तरीका सही है।

दिल्ली-एनसीआर में छठ पूजा की वजह से छुट्टी है और 1,300 से ज़्यादा घाट बनाए जा रहे हैं। ऐसे में, सरकारी अधिकारी लोगों को वोट देने के बारे में जागरूक करने और उनका नाम वोटर लिस्ट में लिखवाने के लिए कैंप लगाने की तैयारी कर रहे हैं।

जानकारों का मानना है कि शहरों में रहने वाले, किराए पर रहने वाले और प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोगों तक पहुंचना इस प्रोग्राम की सफलता के लिए बहुत ज़रूरी है।

पहले भी चुनाव आयोग घर-घर जाकर, स्कूलों और कॉलेजों में कैंप लगाकर और ऑनलाइन फॉर्म भरकर लोगों का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ चुका है। लेकिन, जो लोग मर चुके हैं उनका नाम हटाने और जिनका पता बदल गया है उनकी जानकारी अपडेट करने में हर राज्य में अलग-अलग तरह से काम हुआ है।

राजनीतिक माहौल की बात करें तो, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में राज्य सरकारों और चुनाव आयोग के बीच बातचीत बढ़ाने की ज़रूरत है। विपक्षी पार्टियों को डर है कि इस प्रोग्राम का इस्तेमाल चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है।

चुनाव आयोग का कहना है कि ये प्रोग्राम हमेशा होता रहता है और इसका मकसद सिर्फ वोटर लिस्ट में गलतियों को कम करना और चुनाव की प्रक्रिया को और भी भरोसेमंद बनाना है।

बड़े शहरों और इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले लोग अक्सर एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं, जिसकी वजह से उनका पता ठीक से पता लगाना और पोलिंग स्टेशन की जानकारी देना मुश्किल हो जाता है।

असर:

51 करोड़ वोटरों पर असर डालने वाला ये प्रोग्राम 2025 में होने वाले बाकी उपचुनावों और 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ज़मीन तैयार करेगा। इससे हर पोलिंग बूथ पर वोटर स्लिप देना, दिव्यांग और बुज़ुर्ग वोटरों के लिए सुविधाएं देना और पुलिस को ठीक से तैनात करना आसान हो जाएगा।

अगर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सहमति बन जाती है, तो शहरों और गांवों दोनों जगह से गलत नाम हटाए जा सकते हैं, जिससे वोटिंग का प्रतिशत और वोटर लिस्ट की शुद्धता बढ़ सकती है।

त्योहारों और मौसम की वजह से होने वाली परेशानियों के बीच, जिला प्रशासन के लिए वोटर लिस्ट अपडेट करने के प्रोग्राम और कानून व्यवस्था को बनाए रखना एक चुनौती है। एनसीआर में छठ पूजा की तैयारी से इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

चुनाव आयोग दिसंबर तक वोटर लिस्ट अपडेट करने के दूसरे चरण के नतीजे ज़िले के हिसाब से जारी कर सकता है। इसके बाद, लोग अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं और फिर फाइनल लिस्ट जारी की जाएगी। सभी पार्टियों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि इस प्रक्रिया में और सुधार हो और ये ज़्यादा पारदर्शी हो सके।

Raviopedia

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