केंद्र सरकार ने जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति से जुड़ी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली है। उनका शपथ ग्रहण समारोह 24 नवंबर को होने की संभावना है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर हुई घोषणाओं के बीच, न्यायपालिका के नेतृत्व में बदलाव पर भी लोगों का ध्यान गया।
मुख्य समाचार:
जस्टिस सूर्यकांत को देश का 53वां मुख्य न्यायाधीश बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। 24 नवंबर को उनके शपथ लेने की बात कही जा रही है, जिससे पता चलता है कि अब सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व बदलने वाला है।
उनकी नियुक्ति के बाद, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी रहेंगी कि लंबित संवैधानिक मामलों की सुनवाई कैसे होती है, मामलों का बोझ कैसे कम किया जाता है और न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। साथ ही, यह भी उम्मीद की जा रही है कि कानूनी मामलों में संस्थागत व्यवस्था बनी रहेगी।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर बड़े नेताओं की घोषणाओं ने संस्थागत परंपराओं और प्रशासनिक सुधार के एजेंडे को सामने रखा। इसका असर न्यायपालिका समेत सभी मुख्य संस्थानों के कामकाज पर पड़ेगा।
इस बदलाव से संवैधानिक बेंचों का दोबारा गठन, मामलों की लिस्टिंग में पारदर्शिता और तकनीकी को अपनाने जैसे कामों में सुधार होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष :
शपथ लेने के बाद, जस्टिस सूर्यकांत का ध्यान अदालतों में लंबित मामलों को कम करने, ई-कोर्ट की सुविधा को बढ़ाने और संवैधानिक पीठों में मामलों की सुनवाई समय पर करने पर होगा। इससे न्याय मिलने की गति भी बढ़ेगी।
