दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों (एनसीआर) में हवा की हालत खस्ता, 'बहुत खराब' वाली श्रेणी में पहुँच गई है। मौसम के जानकारों ने चेतावनी दी है कि आने वाले 1 नवंबर से 15 नवंबर तक हवा सबसे ज़्यादा ज़हरीली रहेगी। इसकी वजह ठंडी हवा, खेतों में पराली जलाना और मौसम का मिजाज ठीक न होना बताया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को घर से कम निकलना चाहिए।
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दिल्ली वालों, सावधान! दिल्ली-एनसीआर की हवा में ज़हर घुल गया है। हवा की गुणवत्ता बताने वाला इंडेक्स (AQI) 'बहुत खराब' कैटेगरी में पहुँच गया है। शनिवार को AQI का औसत 303 था और आज सुबह भी हालात वैसे ही हैं।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (DPCC) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच हवा सबसे ज़्यादा खराब रही है। 2018 से 2023 के बीच इसी दौरान AQI का औसत 371 दर्ज किया गया था।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस वक्त खेतों में पराली जलाने का सीज़न चल रहा है। दिवाली जैसे त्योहारों के चलते सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ बढ़ गई है और मौसम भी प्रदूषण को बढ़ाने वाला बना हुआ है। इन वजहों से हवा में प्रदूषण के कण बढ़ गए हैं।
रियल टाइम डैशबोर्ड के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में AQI 180 से 446 के बीच रहा है। इसी वजह से लोगों को सेहत से जुड़ी सलाह दी जा रही है।
दिल्ली की हवा का हाल बताने वाले आंकड़े बताते हैं कि PM2.5 और PM10 का स्तर सेहत के लिए खतरनाक है। इसे 'बहुत अस्वस्थ' माना जा रहा है।
लोगों को सलाह दी गई है कि वे घर में रहें, बाहर कम निकलें, घर और ऑफिस में एयर प्यूरीफायर चलाएं और बाहर निकलने पर अच्छा मास्क पहनें।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने में थोड़ी देर हुई है। इसके अलावा, हवा की रफ्तार कम होने और तापमान में बदलाव होने से प्रदूषण के कण जमा हो रहे हैं।
पिछले साल नवंबर में 8 दिन ऐसे थे जब हवा 'गंभीर' रूप से खराब थी। इनमें से 6 दिन 1 से 15 नवंबर के बीच थे। इससे पता चलता है कि ये वक्त कितना खतरनाक होता है।
हवा की गुणवत्ता बताने वाले पोर्टल्स पर अलग-अलग इलाकों के इंडेक्स 'बहुत खराब' से लेकर 'गंभीर' तक बताए गए हैं। इसी वजह से स्कूलों, बच्चों, बुज़ुर्गों और बाहर काम करने वाले लोगों को खास सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
कई जगहों पर सुबह और शाम के वक्त AQI सबसे ऊपर पहुँच जाता है। इससे सांस की बीमारियों, अस्थमा और दिल के मरीज़ों को खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे वक्त में घर के अंदर हवा को साफ रखना, N-95/FFP2 मास्क पहनना और ज़ोर-ज़ोर से सांस लेने वाले व्यायाम से बचना चाहिए।
DPCC की रिपोर्ट में बताया गया है कि रात में तापमान गिरने और ठंड बढ़ने से प्रदूषण के कण फैल नहीं पाते और एक जगह जमा हो जाते हैं। पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के कण शहर के प्रदूषण में मिलकर हालात और खराब कर देते हैं।
इसके अलावा, दिल्ली-एनसीआर में बिल्डिंग बनाने से उड़ने वाली धूल, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और फैक्ट्रियों का प्रदूषण भी हवा को खराब करने में योगदान करते हैं।
रियल-टाइम पोर्टल्स पूरे शहर में AQI का स्तर और सेहत से जुड़ी सलाह लगातार अपडेट कर रहे हैं। इससे लोगों को सही समय पर सही फैसला लेने में मदद मिल रही है।
इसका असर ये हो रहा है कि सांस के मरीज़ों, बच्चों और बुज़ुर्गों को सबसे ज़्यादा खतरा है। आम लोगों की आँखों में जलन, खांसी और गले में खराश जैसी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि फौरन ट्रैफिक और निर्माण कार्यों को कम किया जाए, पानी का छिड़काव किया जाए और पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर काम किया जाए।
कुछ समय के लिए बस सर्विस को बेहतर किया जाए, साफ ईंधन का इस्तेमाल किया जाए और कूड़ा जलाने पर सख्ती की जाए। लंबे समय में गाड़ियों को बिजली से चलाने और ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) को सख्ती से लागू करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
निष्कर्ष
आने वाले 10-12 दिनों में राहत मिलने की उम्मीद कम है। इसलिए लोगों को सेहत से जुड़ी सलाह का पालन करना चाहिए और सरकार को GRAP को लागू करना चाहिए। अगर हवा की दिशा और रफ्तार ठीक होती है और पराली जलाना कम होता है, तो नवंबर के बीच में धीरे-धीरे सुधार हो सकता है।
