डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा है कि शी जिनपिंग को पता है अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो क्या होगा। हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि अमेरिका सीधे तौर पर ताइवान की मदद करेगा या नहीं, लेकिन उनके तेवर सख्त थे।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान को लेकर चीन को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अंजाम पता है, अगर बीजिंग ने ताइवान पर हमला किया तो। ट्रंप ने सीधे तौर पर ये कहने से मना कर दिया कि अमेरिका ताइवान की सेना की मदद करेगा या नहीं, लेकिन उनकी बातों से साफ था कि वो इस मामले में सख्त रुख अपना सकते हैं, जिससे इलाके में तनाव बढ़ सकता है।
ये बात ऐसे समय पर आई है जब इंडो-पैसिफिक इलाके में ताकत का संतुलन बिगड़ रहा है और लड़ाई का खतरा बढ़ रहा है। ताइवान जलडमरूमध्य लंबे समय से संवेदनशील मुद्दा रहा है। अमेरिका हमेशा से ताइवान की रक्षा करने की बात करता रहा है, और ट्रंप का ये संदेश चीन के लिए सीधी चेतावनी है।
जानकारों का मानना है कि ट्रंप का मकसद ये है कि वो खुलकर कुछ न कहें, लेकिन चीन को ये बता दें कि अगर उसने कुछ गलत किया तो उसे भारी पड़ेगा।
अमेरिका और चीन के रिश्ते पहले से ही कई मुद्दों पर बिगड़े हुए हैं, जैसे कि कारोबार, टेक्नोलॉजी और सुरक्षा। ताइवान का मुद्दा इनमें सबसे ज्यादा संवेदनशील है। ट्रंप के इस बयान से ये भी पता चलता है कि अमेरिका ताइवान स्ट्रेट में जो स्थिति है, उसे बदलने की कोशिश करने पर सख्त कार्रवाई करेगा।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइपेई में लोकतांत्रिक सरकार है और वो खुद को आजाद मानती है।
ट्रंप के इस बयान का असर बाजार पर, इलाके की सुरक्षा पर और दूसरे देशों की योजनाओं पर पड़ सकता है। जापान, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे सहयोगी देश अमेरिका के संकेतों को देखकर अपनी नीतियां बदल सकते हैं, वहीं ताइवान अपनी रक्षा और हमले से बचने की तैयारी और बढ़ा देगा। आने वाले समय में चीन की सैन्य गतिविधियों और अमेरिकी नौसेना की मौजूदगी पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
आने वाले दिनों में चीन और अमेरिका की तरफ से क्या कहा जाता है और ताइवान स्ट्रेट में सैन्य गतिविधियां कैसी रहती हैं, इससे ये साफ हो जाएगा कि ट्रंप की लाल रेखा क्या है। अगर बातचीत बढ़ती है तो तनाव कम हो सकता है, लेकिन अगर दोनों तरफ से गलत संकेत दिए जाते हैं तो खतरा बढ़ सकता है।
