बिहार चुनाव 2025: पहले चरण का प्रचार खत्म, 6 और 11 नवंबर को डाले जाएंगे वोट

पहले चरण के लिए प्रचार का शोर थमा; अब सबकी निगाहें 6 और 11 नवंबर को होने वाले मतदान पर टिकीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने जहां रैलियां कर माहौल बनाने की कोशिश की, वहीं विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पूरी ताकत झोंकी।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का प्रचार आज शाम थम गया। अब बस कुछ दिन का इंतजार है, जिसके बाद 6 नवंबर को 121 सीटों पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगेI इसके बाद 11 नवंबर को दूसरे चरण के लिए वोटिंग होगी और नतीजों का एलान 14 नवंबर को किया जाएगा।

सोमवार को प्रचार के आखिरी दिन सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां की, तो गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया और अपनी पार्टी के लिए समर्थन जुटाने की अपील की।

विपक्ष भी इस चुनावी जंग में किसी से पीछे नहीं रहा। प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी जमकर रैलियां की और मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की। इससे पहले रविवार को राहुल गांधी ने भी बेगूसराय और खगड़िया में जनसभाएं की थीं, जिनमें अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली।

इस बार के चुनाव प्रचार में कई मुद्दे छाए रहे। कानून-व्यवस्था, रोजगार, विकास और कृषि जैसे मुद्दों पर जमकर बहस हुई। पार्टियों ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। इसके साथ ही, गठबंधन समीकरणों पर भी खूब चर्चा हुई। किसको किससे फायदा होगा और कौन किसके साथ मिलकर सरकार बनाएगा, इस पर कयास लगाए जाते रहे।

मोकामा केस में जद(यू) उम्मीदवार अनंत सिंह की गिरफ्तारी भी एक बड़ा मुद्दा बन गई। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कानून अपना काम कर रहा है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

राज्य पुलिस ने इस मामले में 80 गिरफ्तारियां की हैं। विपक्ष ने इसे भी मुद्दा बनाया और सत्तारूढ़ गठबंधन पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि सरकार की नाक के नीचे इतने अपराध कैसे हो रहे हैं?

जहां तक रैलियों की बात है, तो प्रधानमंत्री मोदी ने कटिहार और सहरसा में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। अमित शाह ने सीतामढ़ी, शिवहर और मधुबनी में रैलियां कीं, वहीं योगी आदित्यनाथ ने दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सारण और पटना में जनसभाएं कीं।

इस बार बिहार की 243 सीटों पर दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। मुकाबला 'डबल इंजन' (भाजपा और जदयू गठबंधन) और 'महागठबंधन' (राजद, कांग्रेस और अन्य दल) के बीच माना जा रहा है। सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर कौन बाजी मारता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस चुनाव में सोशल कोएलिशन, जातीय समीकरण और युवा मतदाताओं का रुझान अहम भूमिका निभाएंगे। सोशल मीडिया और डिजिटल कैंपेनिंग भी जोर-शोर से चल रही है, साथ ही जमीनी स्तर पर नुक्कड़ सभाएं और घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करने का अभियान भी तेज है।

जानकारों की माने तो, चुनाव प्रचार थमने के बाद आखिरी 72 घंटे में मतदाता शांत मन से सोच-विचार करेंगे। इस दौरान 'इश्यू-आधारित' और 'लोकल कैंडिडेट' जैसे मुद्दे ज्यादा असर डाल सकते हैं। बड़े नेताओं की रैलियों का मकसद अपने समर्थकों को एकजुट करना और आखिरी समय में अनिर्णीत मतदाताओं को अपनी ओर खींचना था। इसका असर पहले चरण के मतदान पर भी दिख सकता है।

अब 6 नवंबर को पहले चरण की 121 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्थाओं का पुख्ता इंतजाम किया है। राजनीतिक दल भी अपने कार्यकर्ताओं को बूथ और PSU स्तर पर तैनात करने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 14 नवंबर को नतीजों का एलान होगा। अब देखना यह है कि इस चुनावी जंग में कौन जीतता है और किसकी सरकार बनती है।

Raviopedia

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