सुप्रीम कोर्ट में आज शाम 5 बजे पीएम मोदी करेंगे कानूनी सहायता सम्मेलन का शुभारंभ

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) का दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज सुप्रीम कोर्ट में शुरू, प्रधानमंत्री मोदी करेंगे उद्घाटन।

देश में हर किसी को मुफ्त कानूनी सहायता मिले, इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए आज भारत के सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) दो दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम को लगभग 5 बजे इसका उद्घाटन करेंगे।

इस सम्मेलन का मेन मकसद ये है कि कानूनी मदद को और बेहतर बनाया जाए, अलग-अलग विभागों में तालमेल बढ़ाया जाए और जो लोग समाज से कटे हुए हैं, उन तक न्याय आसानी से पहुंचे। NALSA ने एक कम्युनिटी मेडिएशन ट्रेनिंग मॉड्यूल भी बनाया है, जिसे इस मौके पर लॉन्च किया जाएगा। इससे क्या होगा कि लोगों को आपस में मिल-बैठकर मामले सुलझाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि छोटे-मोटे झगड़े कोर्ट तक न पहुंचें।

यह कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट में हो रहा है, जो खुद न्याय और सुधार का प्रतीक है। इससे इस सम्मेलन का महत्व और बढ़ जाता है। ये सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब त्योहारों और चुनावों का मौसम है। इस वक्त लोगों का आना-जाना लगा रहता है, प्रदूषण बढ़ जाता है और ट्रैफिक भी बहुत होता है। इन वजहों से लोगों को कानूनी मदद की ज़्यादा ज़रूरत होती है। सम्मेलन में जज, सरकारी अधिकारी और कानूनी सेवा देने वाले लोग हिस्सा लेंगे। इससे नीतियां, काम करने के तरीके और ट्रेनिंग वगैरह सब एक साथ मिलकर काम कर पाएंगे।

क्या है खास?

NALSA का ये सम्मेलन इसलिए खास है क्योंकि ये कानूनी मदद को सिर्फ मुकदमा लड़ने या मामले सुलझाने तक सीमित नहीं रखता, बल्कि इससे आगे बढ़कर लोगों को जागरूक करने और समुदाय के स्तर पर समाधान निकालने पर ज़ोर देता है। इसमें क्या होगा कि कम्युनिटी मेडिएशन यानी सामुदायिक मध्यस्थता के ज़रिए प्रशिक्षित वालंटियर और पैरालीगल कार्यकर्ता छोटे-मोटे झगड़ों को कोर्ट के बाहर ही सुलझा लेंगे। इससे कोर्ट पर बोझ कम होगा, मामलों का निपटारा जल्दी होगा और गरीब लोगों को समय पर न्याय मिलेगा। ये सब इसलिए ज़रूरी है ताकि हर किसी को समान रूप से न्याय मिल सके, जैसा कि हमारे संविधान में लिखा है।

किसको होगा फायदा?

इस पहल से गांव के गरीब, शहरों की झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले, महिलाएं, बच्चे, बूढ़े, विकलांग, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग, और वे कैदी जो अभी तक दोषी नहीं ठहराए गए हैं, उनको सीधा फायदा होगा। अक्सर इन लोगों को कानूनी जानकारी नहीं होती और उनके पास साधन भी नहीं होते, इसलिए वे न्याय से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा, कोर्ट में मामलों की भीड़ कम होने से न्याय मिलने की स्पीड भी बढ़ेगी और न्याय अच्छा भी मिलेगा।

NALSA ने बताया है कि इस सम्मेलन का सबसे बड़ा मकसद यही है कि 'सबको न्याय मिले'। इसके लिए ज़रूरी है कि काम करने के तरीके, ट्रेनिंग और अलग-अलग विभागों में तालमेल बढ़ाया जाए। कम्युनिटी मेडिएशन ट्रेनिंग मॉड्यूल को लॉन्च करना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। प्रधानमंत्री खुद इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे, जिससे पता चलता है कि सरकार भी चाहती है कि हर किसी तक न्याय पहुंचे।

पहले क्या हुआ है?

NALSA को इसलिए बनाया गया था ताकि हर किसी को समान रूप से न्याय मिल सके। इसने लीगल एड क्लीनिक, लोक अदालतों और पैरालीगल वालंटियर के ज़रिए सालों से अपने काम को बढ़ाया है। आजकल पूरी दुनिया में कम्युनिटी मेडिएशन को झगड़े सुलझाने का अच्छा, सस्ता और तेज़ तरीका माना जा रहा है। भारत में भी इसे बढ़ावा देने के लिए ये मॉड्यूल एक ज़रूरी कदम है।

क्या होगा असर?

अगर कम्युनिटी मेडिएशन मॉड्यूल के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है, तो घर, पड़ोस, छोटे-मोटे कारोबार और संपत्ति से जुड़े झगड़े शुरुआत में ही सुलझाए जा सकते हैं। इससे मुकदमों की संख्या और उनकी अवधि दोनों कम हो जाएगी। इसका अच्छा असर न्याय व्यवस्था पर भी पड़ेगा, लोगों का समय और पैसा भी बचेगा, और समाज में भी शांति बनी रहेगी।

आगे क्या होगा?

उम्मीद है कि सम्मेलन के बाद राज्य और जिले ट्रेनिंग कैलेंडर, मॉनिटरिंग मैट्रिक्स और लोगों तक पहुंचने की योजनाओं की घोषणा करेंगे। इससे अगले छह से बारह महीनों में कानूनी मदद और मेडिएशन सेवाओं में सुधार दिखेगा। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपने नज़दीकी लीगल एड क्लीनिक या विधिक सेवा प्राधिकरण से जानकारी लेकर इन सेवाओं का फायदा उठाएं।

Raviopedia

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