पहले चरण की वोटिंग के बाद दोनों गठबंधन जीत के दावे कर रहे हैं, सबकी निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं। नेताओं के बयानों में रोज़गार, विकास और सुशासन बनाम बदलाव पर ज़ोरदार बहस छिड़ी है।
मुख्य खबर:
बिहार में पहले दौर के मतदान के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। NDA और महागठबंधन, दोनों ही अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। 'आज तक' और दूसरी जगहों पर NDA नेताओं ने कहा कि वे 160 से ज़्यादा सीटें जीतेंगे। वहीं, विपक्ष का कहना है कि लोग बदलाव चाहते हैं और उन्हें सामाजिक न्याय और रोज़गार के मुद्दे पर समर्थन मिल रहा है।
बड़े नेताओं की रैलियां और सभाएं लगातार हो रही हैं, जिनमें स्थानीय मुद्दों से लेकर राज्य की नीतियों तक पर चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया और डिजिटल कैंपेनिंग के ज़रिए पार्टियां युवा वोटरों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं। घोषणापत्र और वादे लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। 'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रधानमंत्री ने 'ऐतिहासिक बहुमत' का दावा किया है, जिससे बहस और बढ़ गई है।
पहले चरण के चुनाव के बाद कुछ विवादित बयान सामने आए हैं, और आचार संहिता का पालन हो रहा है। चुनाव आयोग इन पर नज़र रख रहा है और ज़रूरी कदम उठाने की बात कही है। जानकारों का मानना है कि नतीजे क्षेत्रीय गठजोड़, उम्मीदवारों की छवि और वोटिंग पैटर्न पर निर्भर करेंगे।
असर/विश्लेषण:
ज़्यादा वोटिंग होने से मुकाबला 'विकास बनाम बदलाव' के बीच होता दिख रहा है, जिसमें युवा और ग्रामीण वोटर अहम भूमिका निभा सकते हैं। दूसरे चरण के चुनाव तक पार्टियों के पास अपना पक्ष रखने और वोटरों को लुभाने के लिए चार दिन हैं।
आगे की राह:
दूसरे चरण से पहले का प्रचार निर्णायक होगा। 14 नवंबर को होने वाली मतगणना से पता चलेगा कि किसकी बात में कितना दम है।
