भारत में 5G और आने वाला 6G: बदलाव, स्थिति और असर

5G सब्सक्राइबर इंडिया 2025

परिचय

भारत में 5G तकनीक ने बहुत तेज़ी से अपनी पैठ बनाई है। अब सरकार 6G की तैयारी में जुट गई है, ताकि दुनिया के साथ कदम मिलाकर चला जा सके। उम्मीद है कि आने वाले सालों में इससे कनेक्टिविटी, उद्योगों और सरकारी सेवाओं में ज़बरदस्त बदलाव आएगा। 5G ने जो डिजिटल क्रांति शुरू की थी - यानी डेटा की तेज़ स्पीड, ज़्यादा डेटा संभालने की क्षमता और बेहतर कवरेज - उसे 6G और भी आगे ले जाएगा। 6G में डेटा ट्रांसमिशन में लगने वाला वक़्त (लेटेंसी) बहुत कम होगा, हर जगह इंटेलिजेंस होगी और सुरक्षा को सबसे ज़्यादा तवज्जो दी जाएगी।

अभी क्या चल रहा है?

सरकार के आंकड़ों के हिसाब से, 28 फ़रवरी 2025 तक देश में 4.69 लाख 5G बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) लगाए जा चुके हैं। 5G सेवाएँ देश के 99.6% ज़िलों तक पहुँच चुकी हैं, जो कि अब तक का सबसे तेज़ रोलआउट माना जा रहा है। इंड-रा की रिपोर्ट के मुताबिक, जून 2025 तक भारत में 5G इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 36.5 करोड़ तक पहुँच गई है। जियो और एयरटेल ने तो 5G का विस्तार कर दिया है, वहीं Vi और BSNL भी 5G शुरू करने की तैयारी में हैं। Vi 2025 में धीरे-धीरे 5G शुरू करेगी, जबकि BSNL का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक दिल्ली और मुंबई में 5G सेवा शुरू हो जाए।

टेक्नोलॉजी की जानकारी

भारत में 5G नेटवर्क अभी NSA (नॉन-स्टैंडअलोन) से SA (स्टैंडअलोन) की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में आई रिपोर्ट्स के अनुसार, एयरटेल SA टेक्नोलॉजी अपनाने की योजना बना रहा है। इससे नेटवर्क स्लाइसिंग, डेटा ट्रांसमिशन में कम वक़्त लगना और उद्योगों के लिए इस्तेमाल के मामले आसान हो जाएँगे। 6G के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था ITU ने IMT-2030 फ्रेमवर्क में कुछ बेहतर क्षमताएँ तय की हैं। इनके मुताबिक, कनेक्शन डेंसिटी 10^6 से 10^8 डिवाइस प्रति वर्ग किलोमीटर होनी चाहिए, मोबाइल की स्पीड 500-1000 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए, रेडियो नेटवर्क लेटेंसी 0.1-1 मिलीसेकंड होनी चाहिए और विश्वसनीयता 10^-5 से 10^-7 के स्तर तक होनी चाहिए। इसके अलावा, सुरक्षा पर भी खास ध्यान दिया जाएगा। ITU ने 6G (IMT-2030) के लिए नामांकन, ज़रूरतें और मूल्यांकन की समय-सीमा तय कर दी है। 2027-2029 के बीच रेडियो इंटरफ़ेस टेक्नोलॉजी के प्रस्ताव मंगाए जा रहे हैं, जबकि इसके स्पेसिफिकेशंस 2030 के आसपास पूरे होंगे।

फ़ायदे

  • समाज: 5G और 6G मिलकर ई-गवर्नेंस, स्वास्थ्य और पब्लिक सेफ्टी जैसी ज़रूरी सेवाओं को और भी मज़बूत बनाएँगे। इनमें डेटा ट्रांसमिशन में कम वक़्त लगेगा और ये ज़्यादा भरोसेमंद होंगी। IMT-2030 ने इन सेवाओं के हिसाब से क्षमताएँ तय की हैं और सुरक्षा को डिज़ाइन के सिद्धांतों में शामिल किया है।
  • बिजनेस और उद्योग: एंटरप्राइज़ 5G का चलन बढ़ रहा है। डेटा से जुड़े उद्योगों, नेटवर्क स्लाइसिंग और एज कंप्यूटिंग जैसे इस्तेमाल के मामलों से कमाई के मौके बढ़ रहे हैं।
  • शिक्षा और स्किलिंग: भारत का 6G विज़न हर जगह, इंटेलिजेंट और सुरक्षित कनेक्टिविटी पर टिका है। इससे रिमोट लर्निंग, लैब-टू-मार्केट रिसर्च और इनोवेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा।
IMT-2030 6G फ्रेमवर्क

चुनौतियाँ

  • साइबर सुरक्षा और प्राइवेसी: 6G फ्रेमवर्क में सुरक्षा और प्राइवेसी को अहमियत दी गई है। इससे पता चलता है कि अटैक सरफेस और सप्लाई-चेन सिक्योरिटी जैसी चुनौतियों से निपटना डिज़ाइन का हिस्सा होगा।
  • तकनीकी सीमाएँ और मानकीकरण: ITU की 6G टाइमलाइन के अनुसार, ज़रूरतों और स्पेसिफिकेशंस को धीरे-धीरे विकसित किया जाएगा। इसमें इंटरऑपरेबिलिटी, स्पेक्ट्रम और डिवाइस इकोसिस्टम को पूरी तरह से विकसित होने में वक़्त लगेगा।
  • रोलआउट और निवेश: भारत में बीटीएस की तैनाती तेज़ी से हो रही है, लेकिन ऑपरेटरों को लगातार निवेश करना होगा, सर्विस की क्वालिटी बनाए रखनी होगी और ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क को अपग्रेड करना होगा। इसके लिए एक स्थायी नीति और कारोबारी संतुलन की ज़रूरत है।

भारत में इसका भविष्य

सरकार ने मार्च 2023 में ‘भारत 6G विज़न’ जारी किया था। इसका लक्ष्य है कि 2030 तक भारत 6G में आगे रहे। भारत ने IMT-2030 में ‘हर जगह कनेक्टिविटी’ जैसे इस्तेमाल के मामलों और ‘कवरेज, इंटरऑपरेबिलिटी, सस्टेनेबिलिटी’ जैसी क्षमताओं को शामिल कराने में मदद की है। 6G THz और एडवांस्ड ऑप्टिकल कम्युनिकेशन टेस्टबेड्स और 100 5G लैब्स जैसे प्रयासों से स्टार्टअप, शिक्षा और उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। ऑपरेटर स्तर पर Vi की 2025 में 5G एंट्री और BSNL का शहरों में 5G का लक्ष्य, प्राइवेट 5G और एंटरप्राइज़ नेटवर्क्स के साथ अगले दो-तीन सालों में इस्तेमाल के मामलों को बढ़ाने की ओर इशारा करते हैं।

दुनिया से तुलना

IMT-2030 फ्रेमवर्क दुनिया भर में 6G के विकास का आधार है। 2027-2029 के बीच RIT सबमिशन और 2030 में स्पेसिफिकेशंस का लक्ष्य है। भारत समेत कई देश और संगठन अपने रिसर्च और डेवलपमेंट को इसके साथ जोड़ रहे हैं। भारत 5G रोलआउट की स्पीड और कवरेज में तेज़ी दिखा चुका है, जिससे 6G में भी मानकीकरण और पायलट-ट्रायल्स में समय पर भाग लेने की उम्मीद है। ITU का 6G फ्रेमवर्क 15 क्षमताओं और कनेक्टिंग द अनकनेक्टेड जैसे सिद्धांतों पर ज़ोर देता है, जो विकासशील और विकसित देशों दोनों के लिए दिशा-निर्देश देता है।

एक्सपर्ट की राय

इंड-रा की रिपोर्ट के अनुसार, 5G में निवेश और नेटवर्क-टेस्टिंग ने इसे अपनाने की रफ़्तार बढ़ाई है। 36.5 करोड़ सब्सक्राइबर्स तक पहुँचने में इसका अहम रोल रहा है। इससे पता चलता है कि डिवाइस इकोसिस्टम और टैरिफ में बदलाव के बावजूद, डेटा की ज़्यादा खपत वाले यूज़-केस टिके रहेंगे। मार्केट के जानकारों का मानना है कि एंटरप्राइज़ 5G की माँग उपभोक्ता 5G से ज़्यादा होगी। यह इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन, कैंपस नेटवर्क्स और IoT स्केल-अप के लिए अच्छा संकेत है। नीतिगत स्तर पर, भारत का 6G विज़न और IMT-2030 में योगदान, ग्लोबल मानकीकरण और घरेलू इनोवेशन के लिए एक अच्छा सिस्टम बनाता है।

निष्कर्ष

भारत ने 5G में कवरेज और इसे अपनाने में काफ़ी तरक्की की है। अब वह 6G के लिए वैश्विक IMT-2030 फ्रेमवर्क के हिसाब से आगे बढ़ रहा है। अगले चरण में सुरक्षा, इंटरऑपरेबिलिटी और एंटरप्राइज़-फ़र्स्ट यूज़-केस पर ध्यान रखने की ज़रूरत है। इसके लिए टेस्टबेड, लैब्स और स्टार्टअप्स को मज़बूत करना ज़रूरी होगा।

Raviopedia

तेज़ रफ्तार जिंदगी में सही और भरोसेमंद खबर जरूरी है। हम राजनीति, देश-विदेश, अर्थव्यवस्था, अपराध, खेती-किसानी, बिजनेस, टेक्नोलॉजी और शिक्षा से जुड़ी खबरें गहराई से पेश करते हैं। खेल, बॉलीवुड, हॉलीवुड, ओटीटी और टीवी की हलचल भी आप तक पहुंचाते हैं। हमारी खासियत है जमीनी सच्चाई, ग्राउंड रिपोर्ट, एक्सप्लेनर, संपादकीय और इंटरव्यू। साथ ही सेहत, धर्म, राशिफल, फैशन, यात्रा, संस्कृति और पर्यावरण पर भी खास कंटेंट मिलता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post