बिहार 2025: भाजपा की OBC रणनीति, कुर्मी–कुशवाहा–धनुक पर ध्यान; दानापुर-अरवल पर खास नजर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिहार में होने वाले 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में लगी है। पार्टी का मुख्य ध्यान गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के वोट बैंक को मजबूत करने पर है। इसके लिए भाजपा खास तौर पर कुर्मी, कुशवाहा और धनुक समुदायों पर ध्यान दे रही है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, भाजपा दानापुर और अरवल जैसी कुछ खास सीटों को चिन्हित करके उन पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इन सीटों पर बूथ स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की योजना है। भाजपा का मानना है कि ऐसा करने से उसे सामाजिक रूप से ज्यादा समर्थन मिलेगा, उम्मीदवार चयन में मदद मिलेगी, और संगठन को मजबूती मिलेगी।
पृष्ठभूमि
बिहार की राजनीति में कुर्मी और कुशवाहा समुदायों का हमेशा से दबदबा रहा है। इन्हें अक्सर लव-कुश समीकरण के रूप में जाना जाता है। वहीं, धनुक समुदाय को भी राज्य की EBC राजनीति में महत्वपूर्ण माना जाता है।
2014 के बाद से भाजपा ने गैर-यादव OBC और EBC वर्गों में अपनी पैठ बढ़ाई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA की सरकार बनी, और इसके बाद भी पार्टी ने इन वर्गों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश जारी रखी है।
2025 के चुनाव में भाजपा का ध्यान उन सामाजिक समूहों पर है जिनका शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रभाव है। माना जा रहा है कि ये समुदाय 3-5% तक वोटों को इधर-उधर करने की क्षमता रखते हैं, जिससे कई सीटों पर परिणाम बदल सकते हैं।
पार्टी की योजना
पार्टी सूत्रों के अनुसार, बिहार भाजपा संगठन बूथ प्रबंधन, पन्ना प्रमुखों (मतदाता सूची के प्रभारी), और OBC/EBC मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर माइक्रो-सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रहा है। इसके तहत, समुदाय-आधारित संपर्क और संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
आंतरिक बैठकों में यह संकेत दिया गया है कि कुर्मी, कुशवाहा और धनुक समुदाय से आने वाले संभावित उम्मीदवारों को टिकट वितरण और चुनाव प्रचार में महत्व दिया जा सकता है।
दानापुर (पटना) और अरवल (मगध क्षेत्र) जैसी सीटों को टारगेट क्लस्टर में रखा गया है। इन क्षेत्रों में इन समुदायों का अच्छा प्रभाव माना जाता है। यहां बूथ स्तर पर मतदाता सूची को ठीक करने, घर-घर जाकर संपर्क करने और युवाओं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने पर खास ध्यान दिया जाएगा।
भाजपा कार्यकर्ताओं के अनुसार, किसान मोर्चा, पिछड़ा मोर्चा और महिला मोर्चा को समुदाय-विशेष अभियान चलाने की जिम्मेदारी दी गई है। इन अभियानों में रोजगार, कृषि सहायता, छात्रवृत्ति, आवास और स्वास्थ्य जैसी स्थानीय समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने भाजपा की इस रणनीति को जातिगत ध्रुवीकरण का प्रयास बताया है। उनका कहना है कि भाजपा को रोजगार, शिक्षा, महंगाई और बुनियादी ढांचे जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
कुछ क्षेत्रीय नेताओं का यह भी कहना है कि भाजपा की रणनीति JDU के पारंपरिक लव-कुश आधार में सेंध लगाने की कोशिश है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि यह समावेशी पहुंच और प्रतिनिधित्व संतुलन का हिस्सा है।
कुछ सामाजिक संगठनों ने समुदाय-आधारित कार्यक्रमों का स्वागत किया है, लेकिन उनका कहना है कि ये प्रयास तभी सफल होंगे जब उम्मीदवार चयन और स्थानीय विकास योजनाओं में ठोस काम किया जाएगा।
विश्लेषण
चुनावी असर: कुर्मी, कुशवाहा और धनुक तीनों समुदाय मिलकर कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला कड़ा होने की संभावना है। 2-3% वोटों का बदलाव भी नजदीकी सीटों पर परिणाम बदल सकता है।
JDU समीकरण: कुर्मी-कुशवाहा आधार JDU के लिए महत्वपूर्ण रहा है। भाजपा का ध्यान इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकता है, जिससे टिकट बंटवारे, सीट-समझौते और चुनाव प्रचार में नए समीकरण बन सकते हैं।
शहरी-ग्रामीण संतुलन: दानापुर जैसी सीटों पर जातिगत समीकरण के साथ-साथ युवा और महिला मतदाताओं की पसंद का भी ध्यान रखना होगा। उनकी प्राथमिकताएं सुरक्षा, परिवहन और रोजगार जैसे मुद्दे हैं। अरवल जैसे जिलों में भूमि, सिंचाई, स्वास्थ्य और रोजगार प्रमुख मुद्दे रहेंगे।
उम्मीदवार: समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले, साफ छवि वाले, स्थानीय रूप से सक्रिय और जनसेवा का अनुभव रखने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलेगी। यदि भाजपा इन सभी बातों का ध्यान रखती है, तो उसे फायदा हो सकता है।
बूथ रणनीति: बूथ स्तर पर प्रबंधन, मतदाता सूची को ठीक करना, कमजोर बूथों पर अधिक कार्यकर्ताओं को तैनात करना, महिला बूथों पर ध्यान देना और सोशल मीडिया पर स्थानीय भाषा में प्रचार करना इस रणनीति को मजबूत करेगा।
जोखिम
जाति के आधार पर प्रचार करने से विपक्षी दल ध्रुवीकरण का आरोप लगा सकते हैं। इसके अलावा, किसी एक समुदाय पर अधिक ध्यान देने से अन्य OBC/EBC समूहों में असंतोष पैदा हो सकता है। इसलिए, भाजपा को संतुलित संदेश देना होगा और विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाना होगा।
निष्कर्ष
भाजपा का मुख्य उद्देश्य गैर-यादव OBC/EBC वोट बैंक को बढ़ाना है। इसके लिए कुर्मी, कुशवाहा और धनुक समुदाय महत्वपूर्ण हैं। दानापुर और अरवल जैसे क्षेत्रों में मिलने वाले नतीजे इस रणनीति की सफलता का संकेत दे सकते हैं। आने वाले समय में टिकट बंटवारा और बूथ स्तर पर काम करना महत्वपूर्ण होगा।

